लैक्रोस उन पांच खेलों की लिस्ट में शामिल है, जिसे LA28 आयोजन समिति द्वारा लॉस एंजिल्स में ओलंपिक खेलों में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा है, जिसका मुंबई में आयोजित सत्र (अक्टूबर) में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से मंज़ूरी के लिए फ़ैसला आना अभी बाक़ी है।
इस इवेंट का प्रोग्राम और खेलों में एथलीटों के कोटा की संख्या को बाद में अंतिम रूप दिया जाएगा।
पुरुषों का लैक्रोस सेंट लुइस 1904 और लंदन 1908 ओलंपिक खेलों का हिस्सा था और एम्स्टर्डम 1928, लॉस एंजिल्स 1932 और लंदन 1948 खेलों में इसे एक प्रदर्शन खेल के रूप में शामिल किया गया था।
आपको बता दें कि केवल तीन देशों ने ओलंपिक लैक्रोस में भाग लिया है और कनाडा ने दो बार पर स्वर्ण पदक जीता है।
कनाडा के विन्निपेग शैमरॉक ने संयुक्त राज्य अमेरिका को हराकर स्वर्ण पदक जीता था, जबकि कनाडा के ही मोहॉक इंडियंस ने कांस्य पदक भी अपने नाम किया था।
वहीं 1908 में, कनाडा ने प्रतियोगिता के एकमात्र गेम में ग्रेट ब्रिटेन को हराकर दूसरा स्वर्ण पदक जीता था।
लैक्रोस में महिलाओं को ट्रेडिशनल 10-ए-साइड फॉर्मेट का उपयोग करके व्रोकला में 2017 विश्व खेलों में प्रदर्शित किया गया था, लेकिन अलबामा के बर्मिंघम में 2022 के खेलों में पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रतियोगिताएं लॉस एंजिल्स खेलों के लिए प्रस्तावित न्यू सिक्स-ए-साइड संस्करण का उपयोग करके आयोजित की गईं।
लैक्रोस क्या है और इसे कैसे खेला जाता है?
लैक्रोस में खिलाड़ी एक स्टिक का उपयोग करके विपक्षी टीम के गोल में रबर की गेंद को हिट करने की कोशिश करते हैं। लैक्रोस खेल में इस्तेमाल की जाने वाली स्टिक के ऊपरी हिस्से पर नेट लगा होता है।
फील्ड लैक्रोस एक 10-ए-साइड गेम है, जो 100 मीटर x 55 मीटर की पिच पर खेला जाता है जिसमें आमने-सामने टीमों के बीच एक्शन देखने को मिलता है और एक गोल के बाद खेल को फिर से शुरू किया जाता है।
वहीं, जिस संस्करण ने हाल ही में सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है, और जिसे LA28 द्वारा प्रस्तावित किया जा रहा है, वह वर्ल्ड लैक्रोस सिक्सेज है जो 70 मीटर x 36 मीटर की पिच पर खेला जाता है जिसमें एंड-लाइन से 10 मीटर की दूरी पर गोल होते हैं।
लैक्रोस दो टीमों के बीच खेला जाता है, प्रत्येक टीम में एक गोलकीपर होता है। इसमें 12 खिलाड़ियों का एक रोस्टर होता है। यह गेम आठ मिनट के चार अलग-अलग क्वार्टर में खेला जाता है।
फील्ड लैक्रोस में समय प्रतिबंध और अटैकिंग और डिफेंडिंग एरिया होते हैं। सिक्सेस में 30 सेकेंड की एक टाइम लिमिट होती है, जिसमें एक टीम को गोल के लिए प्रयास करना होता है या फिर अपनी पजेशन छोड़नी होती है। हालांकि टर्नओवर तब भी होता है जब कोई टीम अटैकिंग करने वाले आधे हिस्से में जाने के बाद अपने ही आधे हिस्से में वापस लौट आती है।
इसके साथ ही इस गेम में मामूली फाउल के परिणामस्वरूप खिलाड़ी को 30 सेकेंड के लिए पेनल्टी बॉक्स में भेजा जाता है, जबकि मेजर फाउल के परिणामस्वरूप एक मिनट का सस्पेंशन होता है।
मैच के अंत में, सबसे अधिक गोल करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। वहीं, स्कोर की बराबरी की स्थिति में, पहले चार मिनट के समय के लिए सडेन-डेथ ओवरटाइम शुरू होता है, जब तक गोल नहीं होता।
लैक्रोस खेल कितने समय का होता है?
सिक्सेस में, आठ मिनट के चार क्वार्टर खेले जाते हैं और सीमित रुकावटों के साथ 32 मिनट का यह खेल होता है, हालांकि टीमें प्रति हाफ 30 सेकेंड का दो टाइमआउट तक ले सकती हैं।
पहले और तीसरे क्वार्टर के अंत में दो मिनट का ब्रेक होता है। हाफ-टाइम पांच मिनट तक चलता है, इसलिए वर्ल्ड लैक्रोस सिक्सेस मैच आम तौर पर एक घंटे के भीतर समाप्त हो जाते हैं जब तक कि ओवरटाइम की आवश्यकता न हो।
लैक्रोस टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं?
वर्ल्ड लैक्रोस सिक्सेज में, प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ियों के रोस्टर से छह खिलाड़ी मैदान पर उतरते हैं, जिसमें एक गोलकीपर भी शामिल होता है।
लैक्रोस की शुरुआत कहां से हुई?
लैक्रोस 12वीं शताब्दी में नॉर्थ अमेरिकी पॉपुलेशन के स्वदेशी खेल से लिया गया है।
कनाडा की मूल परंपरा में, इस खेल का काफी महत्व था और यह दो या तीन दिनों तक जारी रहता था, जिसमें सैकड़ों पुरुषों की टीमें कई किलोमीटर लंबे मैदान पर खेलती थीं।
जेसुइट मिशनरियों ने 17वीं शताब्दी में लैक्रोस के खेल को एक नया रूप दिया था, जो अब कनाडा है।
1757 में मोहॉक लोगों के बारे में बताया गया कि वे लकड़ी की गेंद और घेरेदार जाल वाली छड़ी से यह खेल खेला करते थे।
लगभग ठीक 100 साल बाद, डेंटिस्ट विलियम जॉर्ज बीयर्स ने मॉन्ट्रियल लैक्रोस क्लब की स्थापना की और खेल के नियमों को बनाया।