सानिया मिर्जा की कश्ती के कप्तान रहे हैं उनके पिता इमरान मिर्जा

लगभग 30 सालों से टेनिस सानिया मिर्ज़ा के परिवार के क़रीब रहा है और इस खिलाड़ी ने इस खेल को आगे बढ़ाने की हर कोशिश की है।

3 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज
Imran has been a constant source of support for daughter Sania Mirza. Source: Imran Mirza/Instagram 

पिछले कई सालों से भारतीय टेनिस का भार सानिया मिर्ज़ा (Sania Mirza) के कंधों पर है। 6  बार की ग्रैंड स्लैम विजेता ने खेल को 6 साल की उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था और इसका परिणाम तो सारा विश्व जानता है।

इंडियन वुमेंस क्रिकेट टीम के कोच डब्लूवी रमन (WV Raman) द्वारा आयोजित शो ‘इनसाइड आउट’ में सानिया के पिता इमरान मिर्ज़ा ने कहा “अगर सानिया ने कुछ हासिल किया है तो यह सानिया की टीम जीती है। इसमें मेरी पत्नी, मेरी छोटी बेटी समेत और भी लोग शामिल हैं। पिता होने के नाते मैं इस नांव का कप्तान था। मुझे यह सुनिश्चित करना था कि यह कश्ती ठीक तरह से चल पाए। पिछले 28 सालों से टेनिस के इर्द गिर्द ही हमारा परिवार बड़ा हुआ है और इसमें पूरे परिवार ने हिस्सा लिया है।

दबाव नहीं बल्कि माता पिता का साथ था

पिता होने के अलावा इमरान ने सानिया के करियर में एक मेंटर और कोच की भूमिका भी निभाई है। यह कहना गलत नहीं होगा कि सानिया के करियर और जीवन में सबसे अहम किरदार उनके पिता ने निभाया है।”

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Missing the circuit!

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इमरान मिर्ज़ा का यह भी मानना था कि उनकी कोशिश थी उनकी बेटी पर उम्मीदों को दबाव न बने। उन्होंने आगे कहा “जब कोई स्पोर्ट्स के परिवार से आता है तो उनके घरवालों का दबाव ज़्यादा होता है और इससे वह खिलाड़ी ख़त्म हो सकता है। यह एक ऐसी चीज़ थी जिसे मैंने उनके खेल से हटा दिया था।”

सानिया मिर्ज़ा के पिता ने आगे अलफ़ाज़ साझा करते हुए कहा “पहले ही दिन से मैंने यह सुनिश्चित किया था कि सानिया के ऊपर कोई दबाव नहीं होगा चाहे वह मुकाबले जीते या फिर उन्हें सबसे ऊपर जाना हो। हमेशा से यह मनोरंजन के लिए ही डगर नहीं आसान

कम उम्र में ही इमरान ने सानिया के कौशल को पहचान लिया था और उन्होंने ठान लिया था कि परिवार को चाहे कई बलिदान ही क्यों न देने पड़ें लेकिन उनकी बेटी की ट्रेनिंग में कोई रुकावट नहीं आएगी। भारतीय स्टार के पिता ने आगे बताया “एक समय ऐसा था जब सानिया को खेल में टिके रहने के लिए एक साल में 50 लाख रुपयों की ज़रूरत पड़ती थी और मैं महीने का सिर्फ 10 हज़ार कमाता था। स्पोंसर ढूंढने में हमने बहुत बलिदान दिए हैं।”

“यह भी आसान नहीं था क्योंकि वह उस पर पैसा लगा रहे थे जो इतना बड़ा नाम नहीं है। हम बहुत मुश्किल समय से गुज़रे हैं। मैंने और मेरी पत्नी ने सुनिश्चित कर लिया था कि जो हमे करना चाहिए वह हम करेंगे।

सानिया मिर्ज़ा को खेल में बनाए रखने के लिए बहुत से जतन किए गए थे लेकिन उनके पिता ने यह बताया कि खेल को आगे खेलने या न खेलने का निर्णय हमेशा से सानिया का ह था। “यह कभी भी हमारे लिए या किसी और के लिए खेलने का सवाल नहीं था। यह हमेशा से उनके लिए और इनकी ख़ुशियों के लिए था।”

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