जी साथियान की सबसे बड़ी जीत: जब टेबल टेनिस के नए पोस्टर बॉय तोमोकाज़ू हरिमोटो को चटाई धूल
2019 एशियन चैंपियनशिप में साथियान गणानाशेखरन ने जापान के तोमोकोज़ू के खिलाफ शानदार जीत दर्ज कर टूर्नामेंट में भारत की उम्मीदों को जिंदा कर दिया था।
आप किसी भी एथलीट से पूछिए कि टूर्नामेंट के शुरू होने से पहले उस टूर्नामेंट को जीतने वाले फेवरेट खिलाड़ी के खिलाफ जीतना कितना कठिन होता है, तब वो बताएगा कि वास्तव में वो काम कितना मुश्किल होता है।
प्रतिद्वंद्वी के कौशल और क्लास की तो बाद बाद में आती है उससे पहले फेवरेट खिलाड़ी के लिए जो आपके चारों ओर समर्थन और उसके एक एक अंक पर जिस तरह से फैंस को शोर गुंजता है वो एक अलग ही तरह का दबाव बनाता है। मीडिया में उसको लेकर लगातार बातें चल रही होती हैं।
अगर तब भी फेवरेट खिलाड़ी के खिलाफ खेलने वाला खिलाड़ी दबाव में नहीं आता, तो स्टेडियम के चारों ओर का माहौल उस पर दबाव बना ही देता है।
कम रैंकिंग वाले खिलाड़ी के खिलाफ ही सारी बाधाएं होती हैं, यही वजह है कि इस स्थिति में मिली जीत सबसे यादगार और शानदार होती है। साथियान गणानाशेखरन (Sathiyan Gnanasekaran) ने इंडोनेशिया के योग्याकार्ता में खेले गए 2019 एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप में कुछ ऐसा ही अनुभव किया था।
भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी (Indian table tennis player) ने टूर्नामेंट में पुरुष टीम मैच में जापान के इस युवा धुरंधर तोमोकाज़ू हरिमोटो (Tomokazu Harimoto) को 11-4, 11-7, 12-10 से हराया और उनका मानना है कि ये उनकी सबसे यादगार जीत में से एक थी।
किसी शीर्ष -5 या शीर्ष -10 खिलाड़ी को हराना हमेशा से मेरा सपना था और हरिमोटो जैसे दिग्गज प्रतिद्वंद्वी को हराना और वो भी सीधे गेम में....। मैं वास्तव में उस दिन अच्छा खेला, अपने गेम पर फोकस किया और उस दिन मैं बहुत आक्रामक था।
भारतीय टीम को मिली थी शानदार शुरुआत
भारत की पुरुषों की टीम में साथियान के अलावा अनुभवी शरत कमल (Sharath Kamal) और हरमीत देसाई (Harmeet Desai) शामिल थे, जिन्होंने कुवैत, श्रीलंका, सऊदी अरब और थाईलैंड को हराकर क्वार्टर फाइनल की आसानी से जगह बना ली थी।
भारतीय टेबल टेनिस टीम को अंतिम आठ में अपने पहले मजबूत प्रतिद्वंद्वी टीम का सामना करना पड़ा, जहां उन्हें जापान के खिलाफ मैच खेलना था। जापान की टीम में उस समय के 16 वर्षीय तोमोकाज़ू हरिमोटो को भी शामिल किया गया था।
तोमाकोज़ू तब टेबल टेनिस के सबसे नए सितारे थे। वो 2018 में 15 साल और 172 दिनों में आईटीटीएफ वर्ल्ड टूर ग्रैंड फाइनल जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए थे। 2019 एशियन टेबल टेनिस चैंपियनशिप में वो दुनिया के नंबर 5वें खिलाड़ी के रूप में खेलने आए थे।
जी साथियान ने इससे पहले सिर्फ एक बार 2018 कतर ओपन में तोमोकोज़ू का सामना किया था, जहां सात गेम तक चले मुक़ाबले में भारतीय खिलाड़ी ने अच्छा खेल दिखाया लेकिन आखिरी और निर्णायक मुक़ाबले में हार गए।
उस दिन और अधिक आक्रामक खेलने की रणनीति जी साथियान की एक झटके में ली गई निर्णय नहीं थी, ये रणनीति एक अच्छी तरह से सोची-समझी योजना थी।
साथियान ने उस समय को याद किया और बताया, “मैंने कोच रमन सर के साथ बात की और हमने तय किया कि मेरे पास किसी और की तुलना में तोमोकाज़ू के खिलाफ बेहतर मौका था। रमन सर ने मुझे बताया कि मुझे उन्हें आश्चर्यचकित करने की जरूरत है, और शुरू से आक्रामक खेल खेलो।”
जी साथियान खुद को जवाबी हमला करने वाला खिलाड़ी मानते हैं, इसलिए उनके करियर के सबसे बड़े मैच के लिए उनकी शैली में बदलाव करना चुनौतीपूर्ण लग रहा था।
हालांकि, भारतीय खिलाड़ी का आत्मविश्वास आसमान पर था, उन्होंने टूर्नामेंट में अपने किसी भी मैच को नहीं गंवाया था और उस साल मई में दुनिया के नंबर 24 खिलाड़ी बने थे। ये पहला मौका था जब किसी भारतीय ने विश्व रैंकिंग में शीर्ष -25 में जगह बनाई हो।
इसका असर टोमोकाज़ू के खिलाफ उनके प्रदर्शन में देखने को मिला।
साथियान ने कहा, 'मैं चारों तरफ से आक्रामक शॉट खेल रहा था, मेरे रिटर्न तेज थे और मैं एकदम फुर्तीला लग रहा था। हमारी बनाई गई रणनीति ने काम किया और इसने टोमोकाज़ू को पूरी तरह आश्चर्यचकित कर दिया।”
"उन्होंने दो गेम मेरे खेल को समझने में लगा दिए और तब तक, मैंने गियर बदल लिया था और मुक़ाबले में एकदम आरामदायक स्थिति में था। मैं देख सकता था कि जब मैंने पहला मैच जीता, तो पूरे जापान के फैंस हैरान थे, यहां तक के भीड़ भी ये बात हजम नहीं कर पा रही थी।”
साथियान का यादगार टूर्नामेंट
जी साथियान ने भारतीय टीम को पुरुष टीम के क्वार्टर फाइनल में 1-0 की बढ़त दिलाई थी, लेकिन शरत कमल को महारु योशिमुरा (Maharu Yoshimura) से हार मिली और हरमीत देसाई भी ताकुया जिन (Takuya Jin) से पार नहीं पा सके।
तोमोकाज़ू हरिमोटो ने अपनी हार का बदला लिया और शरत कमल को हराकर जापान को 3-1 से जीत दिला दी और सेमीफाइनल में अपनी टीम को पहुंचा दिया।
जी साथियान अंतिम मुक़ाबले में योशिमुरा का सामना करने वाले थे, लेकिन उस मैच से पहले टाई तय हो गया। जिसकी वजह से वो अपने सिंगल्स मुक़ाबले के लिए अधिक समय देने लगे।
उन्होंने पुरुषों के सिंगल्स में भी उतना ही शानदार प्रदर्शन किया था, उस टूर्नामेंट में उन्होंने क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय पुरुष बने, जहां वो उस साल के रनर-अप चीन के लिन गौयुआन (Lin Gaoyuan) से हार गए।
इस तरह टूर्नामेंट में साथियान के एक शानदार सफर का अंत हो गया।
साथियान ने कहा, “मैंने उस साल शानदार प्रदर्शन कर एशियन चैंपियनशिप को यादगार बनाया था। मैं टीम स्पर्धा में एक भी मैच नहीं हारा, जबकि सिंगल्स में भी गौयुआन के खिलाफ शानदार मुकाबला किया। उस टूर्नामेंट में मैंने बहुत सारी अच्छी जीत दर्ज की थी।”
भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी को उस टूर्नामेंट से प्रेरणा लेने की उम्मीद है और विशेष रूप से तोमोकाज़ू के खिलाफ अपनी जीत से, जब वो इस साल टोक्यो में अपने पहले ओलंपिक के लिए टेबल पर उतरेंगे।