एसवी सुनील का ग्रेटेस्ट गेम: जब भारतीय टीम ने एशिया को किया फतह
भारतीय हॉकी टीम ने 2014 एशियन गेम्स के फाइनल में पाकिस्तान को पस्त किया और 16 साल बाद खिताब को अपने नाम किया। वह जीत एसवी सुनील के करियर की बनीं सबसे ख़ास जीत।
एशियन गेम्स 2014 में प्रवेश करने तक भारतीय हॉकी टीम ने कई उतार चढ़ाव देखे थे।
बीजिंग 2008 में क्वालिफाई न कर पाने का दुख तो टीम के साथ था ही लेकिन 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने की वजह से भारतीय टीम ने 2012 लंदन ओलंपिक गेम्स में क्वालिफाई कर लिया है।
जिस टीम ने एशिया में अपना दबदबा कायम किया हुआ था अब समय बदल चुका था।
एशियन गेम्स 2014 ने भारतीय टीम को पटरी पर लाने का काम किया। भारतीय हॉकी टीम ने पाकिस्तान को 4-2 से मात दी और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। उस जीत ने टीम इंडिया में नई जान फूंक दी और फिर से जनता इस तेम को एशिया की सबसे बेहतरीन टीम मानने लगी थी।
उस समय भारतीय दिग्गज एसवी सुनील (SV Sunil) ने ख़ास भूमिका निभाई थी और उनकी बदौलत भारतीय प्रशंसकों को गोल्ड मेडल की चमक एक बार फिर दिखाई दी थी।
ओलंपिक चैनल से बात करते हुए कहा “वह प्रतियोगिता मेरे लिए उस टीम की नज़र से सबसे ऊपर थी। पाकिस्तान के खिलाफ वह फाइनल मेरे लिए सबसे ख़ास रात साबित हुई।”
घमासान युद्ध
प्रिलिमिनरी स्टेज में जब भारत और पाकिस्तान को ग्रुप बी में रखा गया तब लोगों की उम्मीदें बंध चुकी थी।
ग्रुप स्टेज के पहले दो मुकाबलों में भारतीय टीम ने श्रीलंका को 8-0 और ओमान को 7-0 से पस्त करते हुए अपने कारवां को आगे बढ़ाया था।
सबकी नज़रें तीसरी गेम पर थी और भारत का सामना पाकिस्तान से होने जा रहा था। हालांकि पड़ोसी मुल्क ने उस मुकाबले को 2-1 से अपने नाम किया और भारत का उस हार से उबर पाना मुश्किल लग रहा था।
वह हर मुश्किल थी लेकिन उसने टीम को अलग तरह से ही प्रेरणा दे दी थी।
सुनील ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा “उस मुकाबले के बाद हम सभी लोग प्रतियोगिता में गोल्ड जीतने के लिए और ज़्यादा आतुर हो गए थे।”
भारतीय हॉकी ने समय न ज़ाया करते हुए चीन को 2-0 से मात दी और सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया और अब उनका सामना साउथ कोरिया से होने जा रहा था।
आकाशदीप सिंह (Akashdeep Singh) के अहम गोल ने प्रतिद्वंदियों को 1-0 से हराया और फाइनल में प्रवेश किया।
वहीं पकिस्तान ने अपने सभी ग्रुप स्टेज के मुकाबलों को जीता था और सेमीफाइनल में मलेशिया को 6-5 (शूटआउट) से धूल चटाई थी। वह मुकाबला पाकिस्तान हॉकी टीम का सबसे कठिन मुकाबला था।
अब बारी थी फिनाले की, मंच सज चुका था और एक बार और भारत का सामना पकिस्तान से होने जा रहा था। इन दोनों मुल्कों ने इस खेल में बहुत सा नाम कमाया है और इतिहास के हर सुनहरे पन्ने को इन्होंने अपने हाथों से सजाया है। 1966 के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा था कि बहरत और पकिस्तान एशियाड फाइनल में एक साथ पहुंचे हों।
“16 सालों के बाद हमने एशियन गेम्स के फाइनल में प्रवेश किया था और हम गोल्ड मेडल को घर लाना चाहता था। यह हमे रियो गेम्स 2016 का टिकेट दिलवा सकता था।
सब की निगाहें अब इस घमसान फाइनल पर टिकीं हुई थी।
वाह! क्या प्रदर्शन है
भारत के लिए फाइनल की शुरुआत बेहद ख़राब रही और मोहम्मद रिजवान (Mohammad Rizwan) ने तीसरे ही मिनट में गोल दाग कर अपने खेमे को बढ़त प्रदान की।
विंगर ने आगे कहा “बड़ी प्रतितिगितायों में सब कुछ आपके प्लान के हिसाब से नहीं चलता। हमें हर चीज़ के लिए तैयार होना था और हमने हर हालात और लगभग हर मैच की स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए अभ्यास किया था।”
अब मुकाबले की गति बढ़ चुकी थी। दोनों ही टीमों खुद के बराबर मौके बनाती हुई आगे बढ़ रही थी। इसी बीच एसवी सुनील को भी मौका मिला लेकिन वह उससे बन न सके।
दूसरे सत्र में भारतीय टीम ने और तेज़ी दिखाई और मौका मिलते ही कोथाजीत सिंह (Kothajit Singh) ने चतुराई दिखाई और गुरबाज सिंह (Gurbaj Singh) के आक्रामक शॉट को दिशा दिखाते हुए गोल में तब्दील किया।
दोनों टीमों के गोलकीपर पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh) और इमरान बट (Imran Butt) ने उम्दा प्रदर्शन दिखाया और खेल को शूटआउट तक ले गए।
सोनहाक हॉकी स्टेडियम में अब टेंशन का माहौल था और पूरी दुनिया से हॉकी प्रशंसक इस मुकाबले पर नज़र गड़ाए हुए बैठे थे।
आकाशदीप सिंह और रुपिंदर पाल सिंह (Rupinder Pal Singh) ने अपने पहले दो मौकों को बुना और वहीं पाकिस्तान के अब्दुल हसीम खान (Abdul Haseem Khan) के शॉट को पीआर श्रीजेश ने गोल तक जाने नहीं दिया। इसके बाद मुहम्मद वकास (Muhammad Waqas) ने अपना शॉट सफलतापूर्वक मारा और अब स्कोर भारत के हक में 2-1 से चला गया था।
इके बाद भारतीय मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) का शॉट मिस हो गया और अब पाकिस्तान के पास बराबरी का मौका था।
खेल की स्थिति को समझते हुए पीआर श्रीजेश ने खुद को संभाला और मुहम्मद उमर बट्टा (Muhammad Umar Bhutta) के शॉट को रोका और भारतीय टीम की बढ़त को कायम रखा।
देखते ही देखते बिरेन्द्र लाकरा (Birendra Lakra) की हॉकी से भारतीय टीम को एक और गोल मिला और अब स्कोर 3-1 हो गया था। इसके बाद पाकिस्तान के शफकत रसूल (Shafqat Rasool) ने गोल दागा और स्कोर को 3-2 कर दिया।
अब बारी थी धरमवीर सिंह (Dharamvir Singh) की और उन्होंने शानदार रणनीति बनाते हुए गोल मारा और भारत को 16 साल के बाद एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जितवाया।
एसवी सुनील ने उन पलों को याद करते हुए कहा “जब धरमवीर ने उस शॉट को मारा तो वहां ख़ुशी की लहर दौड़ गई क्योंकि हमने एक घमासान मुकाबले को जीता था।”
वह प्रतियोगिता पीआर श्रीजेश के करियर के लिए भी अहम साबित हुई और इस जीत में उनका भी बड़ा हाथ माना जाता है।
“हमने उस मुकाबले में कमबैक करते हुए शानदार खेल दिखाया। उस समय के बाद हमने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। हम चैंपियन ट्रॉफी 2016 के फाइनल में भी पहुंचे थे लेकिन शूटआउट के दौरान ऑस्ट्रेलिया से हार गए थे। इसके बाद हमे रियो के भी क्वार्टरफाइनल तक गए थे।”
“वह दौर हमारे लिए मज़ेदार था।”
उस इवेंट ने भारतीय मेंस हॉकी को एक नया जीवन दिया और साथ ही 2018 एशियन गेम्स में भी इस टीम ने ब्रॉन्ज़ मेडल पर अपने नाम की मुहर लगाई थी। साथ ही एफआईएच वर्ल्ड रैंकिंग में भी भारतीय टीम ने अपनी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग हासिल की थी।
भारत ने FIH प्रो लीग में भी अच्छा प्रदर्शन किया था पर वह टोक्यो गेम्स में जाने के लिए भी तैयार हैं।