क्रिस्टियानो रोनाल्डो (Cristiano Ronaldo) की तरह तेज़ आंखे और गोल करने की काबिलियत भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह (Manpreet Singh) को खास बनाती है। वहीं गोल करने की क्षमता भी दोनों की एक समान ही है।
भारतीय हॉकी कप्तान ने ओलंपिक चैनल से खास बातचीत में कहा कि “मुझे उनमें कभी हार ना मानने का जज़्बा पसंद है। अगर उनकी टीम हार भी रही है तो भी वह अंत तक लड़ते हैं और टीम का मनोबल भी ऊंचा रखते हैं।”
मनप्रीत सिंह भी पुर्तगाली हीरो की तरह 7 नंबर की जर्सी पहनते हैं, भारतीय हॉकी कप्तान को डेविड बैकहम (David Beckham) भी बहुत पसंद हैं।
मनप्रीत ने कहा कि “मैं उस तरह का व्यक्ति हूं जो युवाओं को प्रेरित करना पसंद करता है जब वे खराब फॉर्म से गुजर रहे होते हैं या किसी कारण से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि "आखिरकार हॉकी एक टीम गेम है और सभी का योगदान समान रूप से महत्वपूर्ण है।"
इस रवैये के कारण वह आदर्श नेतृत्व की पसंद बन गए थे।
कप्तानी का भार
2017 में एशिया कप में जाने से भारतीय हॉकी टीम को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पूर्व दिग्गजों ने 10 वर्षों में टूर्नामेंट नहीं जीता था। इसके अलावा स्थिति और खराब हो गई जब स्टार गोलकीपर और मौजूदा कप्तान पीआर श्रीजेश सर्जरी के कारण टीम से बाहर हो गए थे।
अनुभवी मिडफ़ील्ड जनरल सरदार सिंह ने अपने खेल करियर की नई शुरुआत की। एक नए और युवा कप्तान की भूमिका के लिए ऊर्जा का प्रवाह और मनप्रीत सिंह अपने जूनियर करियर के माध्यम से कौशल रखने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार थे।
27 साल के इस खिलाड़ी ने बेहतरीन ढंग से कप्तानी का ज़िम्मा संभाला और भारतीय हॉकी टीम ने एशिया कप में गोल्ड मेडल पर कब्जा किया।
मनप्रीत से उम्मीद कम थी लेकिन उन पर किसी तरह का दबाव नहीं था। इस खिलाड़ी का कहना है कि “अब तक का ये अनुभव मेरे लिए बेहतर शानदार रहा है।”
भारतीय कप्तान ने कहा कि हमने एशिया कप में शानदार शुरुआत की। मुझे टीम की रणनीति और प्लान बनाने के लिए सरदार सिंह (Sardar Singh) की मदद मिल रही थी। इस तरह यह काफी हद तक पी आर श्रीजेश (P R Sreejesh), रूपिंदर पाल सिंह (Rupinder Pal Singh), एसवी सुनील (SV Sunil ) और रमनदीप सिंह (Ramandeep Singh) जैसे वरिष्ठों ने मुझे दबाव महसूस नहीं होने दिया।
भारतीय हॉकी टीम के सपोर्ट सिस्टम ने इस खिलाड़ी को पूरी आजादी के साथ खेलने की छूट दी। जिस वजह से उन्हें एस्ट्रोटर्फ के लगभग हर इंच को कवर करने की अनुमति मिलती है और मनप्रीत सिंह वह खिलाड़ी है जो दूसरे खिलाड़ियों के लिए उदाहरण बनते हैं।
पेनल्टी कॉर्नर का बचाव कैसे करें
पेनल्टी कॉर्नर हॉकी में सबसे आम अटैकिंग आउटलेट्स में से एक है, जिसे हर टीम हासिल करने की कोशिश करती है।
पेनल्टी कॉर्नर का बचाव करते समय, पहली लाइन एक ऐसी भूमिका होती है, जिसे ब्लॉक करने के लिए, शॉट रोकने के लिए और बहादुरी के साथ टिके रहने के लिए अत्यधिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है।
भारतीय हॉकी टीम में कप्तान मनप्रीत सिंह उनमें से एक हैं जिन्हें इसके बारे में अच्छे से जानकारी है कि इसके लिए योजना कैसे बनाई जाती है। मीठापुर के मूल निवासी ने कहा, "कोई भी पहला खिलाड़ी गेंद को अपने पास से जाने नहीं देना चाहता और मुझे लगता है कि अमित रोहिदास मुझसे बेहतर है।"
इसके अलावा उन्होंने कहा कि "हम आम तौर पर लक्ष्य के बाईं ओर की रक्षा के लिए योजना बनाते हैं, यह कीपर को सही कवर करने पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है। यह हमारे लिए काम को आसान बनाता है।”
टोक्यो की तैयारी
भारतीय हॉकी टीम ने नए साल में शानदार शुरुआत की थी, अपने पहले FIH प्रो लीग अभियान में नीदरलैंड, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज की। इसके साथ टीम का टोक्यो ओलंपिक के अभियान का सफर शानदार चल रहा है।
कोरोना वायरस (COVID-19) वायरस के कारण जब देश में लॉकडाउन लगा तो उस समय टीम बेंगलुरु में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) केंद्र में एक प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा ले रही थी और इसी दौरान उन्हें टोक्यो ओलंपिक एक साल आगे खिसकने की खबर भी मिली।
मनप्रीत ने बताया कि “भारतीय हॉकी टीम इस समय अच्छा प्रदर्शन कर रही है और इस खराब समय का अच्छे से सामना कर रही है। हम अपनी सामान्य दिनचर्या को पूरा नहीं कर सकते हैं, इसलिए टीम कई बार थकावट महसूस करती है।”
हालांकि, वे अभी भी सबसे बड़ी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। भारतीय कप्तान ने कहा कि अभी हमारे पास एक साल का वक्त है और इसे हम एक मौके के रूप में देख रहे हैं। इससे हमे तैयारियों के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा खासकर ओलंपिक की तैयारी के लिए”
इसके अलावा उन्होंने कहा कि "हम अपने विरोधियों के वीडियो की गहन समीक्षा कर रहे हैं और संभावित रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं। पूरा देश हम से पदक की उम्मीद कर रहा है और हम उनके इस सपने को पूरा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।”