बड़ी प्रतियोगिताएं से मिलेगा भारतीय मुक्केबाज़ों को टोक्यो में फायदा: सैंटियागो नीवा

सैंटियागो नीवा जो कि भारतीय बॉक्सिंग के हाई परफार्मेंस डायरेक्टर हैं उनका मानना है कि एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स का अनुभव भारतीय मुक्केबाज़ों के लिए टोक्यो में फायदेमंद साबित होगा।

3 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज
भारतीय टीम के हाई परफॉरमेंस डायरेक्टर सैंटियागो नीवा को लगता है ओलंपिक गेम्स के नज़दीक पहुंचने तक हालात सुधर जाएंगे। 
(BFI)

भारतीय बॉक्सिंग मेंस के हाई परफार्मेंस डायरेक्टर सैंटियागो नीवा (Santiago Nieva) का मानना है कि एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लेने से भारतीय बॉक्सर अपने डेब्यू ओलंपिक गेम्स का दबाव कम कर पाएंगे।

भारत की ओर से 9 मुक्केबाज़ों ने टोक्यो ओलंपिक गेम्स के लिए क्वालिफाई कर लिया है जो कि भारतीय ओलंपिक में एक रिकॉर्ड भी है। इन 9 मुक्केबाज़ों में 5 पुरुष हैं और 4 महिलाएं।

दो बार के ओलंपियन रह चुके विकास कृष्णन (Vikas Krishan) के अलावा अमित पंघल (Amit Panghal), मनीष कौशिक (Manish Kaushik), आशीष कुमार (Ashish Kumar) और सतीश कुमार (Satish Kumar) पहली बार ओलंपिक के मंच पर अपने कौशल का प्रमाण पेश करते हुए नज़र आएंगे।

यह सभी मुक्केबाज़ तजुर्बा हासिल करते जा रहे हैं। जहां अमित पंघल और मनीष कौशिक के पास वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल हैं तो वहीं आशीष कुमार ने भी एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने तक का सफ़र तय किया हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि सतीश कुमार 91 किग्रा भारवर्ग में क्वालिफाई करने वाले पहले बॉक्सर हैं।

सैंटियागो नीवा ने ओलंपिक चैनल से बात करते हुए कहा “ओलंपिक बहुत ख़ास है और हमारी टीम के पास अनुभव भी है। इनमें से ज़्यादातर खिलाड़ी एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसी प्रतियोगिताओं का हिस्सा रह चुके हैं।

“यह इवेंट ओलंपिक नहीं हैं लेकिन कुछ वैसा ही हैं। सही मायनों में तो पिछले साल होने वाले ओलंपिक क्वालिफायर्स भी घमासान थे। इनमें ओलंपिक से भी ज़्यादा दबाव होता है क्योंकि इसमें आप हार गए तो आप बहार हो जाते हैं।

बातचीत को आगे बढ़ाते हुए सैंटियागो नीवा ने कहा “हां, हमे टोक्यो जा कर काफी कुछ देखना होगा लेकिन हम सकारात्मक होने का ही दबाव लेंगे।

जिन मुक्केबाज़ों ने ओलंपिक के लिए अपना कट हासिल कर लिया है उनका हालही प्रदर्शन मिला जुला रहा है। स्पेन में हुए बोक्स्म मीट में भारतीय मुक्केबाज़ों का परिणाम कभी खट्टा तो कभी मीठा रहा है। मनीष कौशिक इकलौते भारतीय बॉक्सर रहे जिन्होंने गोल्ड मेडल जीता और वहीं आशीष कुमार को कोरोना पॉजिटिव पाया गया और सतीश कुमार फाइनल से पहले बीमार हो गए।

वहीं दूसरी ओर 51 किग्रा भारवर्ग में भारतीय मुक्केबाज़ अमित पंघल के हाथ कोई मेडल नहीं आया और उन्हें क्वार्टरफाइनल में ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हालांकि नीवा को उनके कौशल पर बिलकुल भी शक नहीं है।

“अमित उन 4 उम्मीदों में से हैं जो मेडल जीत सकता है। वह एक ऐसा मुकाबला हारे जो अच्छा मुकाबला था लेकिन हम उनसे ज़्यादा की उम्मीद करते हैं। उन्होंने बहुत बार यह साबित किया है कि उनका खेल उच्च स्तर का है।”

“हमे कुछ चीज़ों पर काम करना होगा और मुझे विश्वास है कि टोक्यो में वह अपने चरम पर होंगे।”

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ

अब जब टोक्यो ओलंपिक गेम्स से पहले ज़्यादा प्रतियोगिताएं नहीं रह गईं हैं तो ऐसे में नीवा चाहे हैं कि सभी मुक्केबाज़ एक कैंप का हिस्सा हों।

सैंटियागो नीवा ने इस विषय पर बात करते हुए कहा “अब हमारे पास दो ही प्रतियोगिताएं हैं, एक चेक रिपब्लिक में और मई या जून में खेली जाने वाली एशियन चैंपियनशिप। तो ऐसे में हम अब विदेश जा कर कैंप लगाएंगे।”

“मुझे लगता है कि हम यूएसए जाएंगे और उसके बाद ओलंपिक से पहले एक कैंप और करेंगे। हम कुछ देशों को भारत बुला कर ट्रेन करने का अवसर भी देने का प्लान कर रहे हैं ऐसे में यह चीज़ें बेहदती हैं।”

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