जानिए कैसे मैडिसन स्क्वायर में हासिल की गई जीत ने विकास कृष्ण को दबाव में लड़ना सिखाया

विकास कृष्ण ओलंपिक खेलों में एक आख़िरी दांव आज़माने के लिए अपने प्रोफ़ेशनल करियर को दरकिनार कर अमच्योर बॉक्सिंग में वापस लौट आए हैं।

3 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
विकास कृष्ण की ख़िताबी भिड़ंत जॉर्डन के मुक्केबाज़ ज़ैद आयशा हुसैन एशाष के साथ प्रस्तावित थी

अनुभवी भारतीय मुक्केबाज़ और टोक्यो ओलंपिक में पदक की उम्मीद के तौर पर देख जा रहे विकास कृष्ण (Vikas Krishan) ने दबाव में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाने के लिए पिछले साल न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित मैडिसन स्क्वायर गार्डन में हासिल की गई जीत को श्रेय दिया है।

यह एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता का दूसरा पेशेवर मुकाबला था और वह छह राउंड की वेल्टरवेट बाउट में यूएसए के नोआह किड (Noah Kidd) के खिलाफ रिंग में थे। इस मुक़ाबले में ‘इंडियन टैंक’ ने सर्वसम्मति निर्णय (Unanimous Decision) (60-54, 60-54 और 59-55) से जीत हासिल की थी।।

विकास कृष्ण का मानना है कि दर्शकों से भरे हुए मैडिसन स्क्वायर गार्डन में हासिल की गई उनकी हाई-प्रोफाइल जीत से उन्हें दबाव में भी खुद को शांत रखने में मदद मिलेगी। इससे उन्हें 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक में रयोगोकू कोकुगिकन (Ryōgoku Kokugikan) से मुक़ाबला करने में आसानी होगी।

विकास कृष्ण ने ओलंपिक चैनल से बात करते हुए कहा, “मैंने मैडिसन स्क्वायर गार्डन में मुक़ाबला लड़ा है और यह दुनिया के सबसे बड़े मंचों में से एक है।’’

‘’मुझे देखने के लिए वहां बहुत भीड़ मौजूद थी, और इससे मुझपर काफी दबाव था। हजारों लोग इस मुक़ाबले को देख रहे थे, और टीवी पर भी इसे लाइव प्रसारित किया जा रहा था। लेकिन मैं शांत रहा और मुझे जीत मिली। यही अनुभव मुझे टोक्यो ओलंपिक में मेरी मदद करने वाला है। मुझे लगता है कि मैं दबाव से निपट सकता हूं।”

विकास कृष्ण ने मार्च में जॉर्डन के अम्मान में हुए एशियन ओलंपिक बॉक्सिंग क्वालिफ़ायर्स टूर्नामेंट क्वार्टर-फाइनल में जापान के क्विन्सी ओकाज़ावा (Quincy Okazawa) को हराकर अपने ओलंपिक स्थान को सील किया था और वह इस टूर्नामेंट के फाइनल में भी पहुंचे थे।

ओलंपिक स्तर पर पहुंचना

लंदन में 2012 ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के बाद विकास कृष्ण ने बीते वर्षों में धीरे-धीरे प्रगति की है। तब से अब तक रिंग में बिताए गए उनके समय और प्रशिक्षण ने भिवानी के इस मुक्केबाज़ को टोक्यो 2020 तक पहुंचाने में मदद की है।

विकास कृष्ण ने पूरे आत्मविश्वास से कहा, “मेरी शक्ति, गति और अनुभव ही मेरी ताक़त हैं जो हर मुक़ाबले में मेरी मदद करते हैं। यही वजह है कि मैं मुक़ाबलों में जीत हासिल कर पाता हूं। मेरे मुक्कों की ताक़त भी काफी बढ़ गई है। अगर मेरे प्रतिद्वंद्वी से मेरी आंखे मिल जाती हैं तो फिर वह आंख मूंदकर मुझसे मुक़ाबला नहीं करेगा।”

उन्होंने आगे समझाते हुए कहा, “बचपन से ही मुझमें काफी गति रही है, बीते कुछ वर्षों में मैं अधिक बुद्धिमान और शक्तिशाली हुआ हूं। इसलिए, मुझे अब किसी भी स्थिति के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह मेरे दिमाग में अपने आप ही आ जाता है।”

जबकि उनके अब तक के सफल प्रोफेशनल बॉक्सिंग करियर ने विकास कृष्ण की ताक़त को और अधिक बढ़ाने में मदद की है। इसके साथ ही वह अपनी मानसिक शक्ति को भी सुधारने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “मैं सुबह-सुबह योग करता हूं और इससे मुझे और अधिक शक्ति मिलती है और मैं पिछले दो वर्षों से इसे कर रहा हूं। यह मेरे लिए काफी मददगार साबित हो रहा है।”

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