मेरे लिए ख़ुद भगवान ने टोक्यो 2020 के लिए विशेष प्लान बनाया है:विकास कृष्ण

2012 ओर 2016 के ओलंपिक गेम्स में पदक से चूकने वाले विकास कृष्ण अपने तीसरे ओलंपिक खेल को भाग्यशाली मानते हैं।

3 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह

अनुभवी भारतीय मुक्केबाज़ और दो बार के ओलंपियन विकास कृष्ण (Vikas Krishan) का मानना है कि टोक्यो ओलंपिक का स्थगन उनके लिए एक विशेष योजना का हिस्सा है।

इस मिडिलवेट भारतीय मुक्केबाज़ ने मार्च में जॉर्डन के अम्मान में आयोजित हुए एशियाई मुक्केबाज़ी ओलंपिक क्वालिफ़ायर्स में अपने तीसरे ओलंपिक खेलों के लिए टिकट हासिल किया है।

2010 के एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने 2012 के लंदन ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया था जब वो काफी छोटे थे और पहले दौर से आगे नहीं जा सके थे।

जब विकास कृष्ण ने 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई किया, तब वो एशियाई चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता थे, लेकिन ओलंपिक में उनका सफर क्वार्टर फाइनल में समाप्त हो गया।

हालांकि 28 वर्षीय मुक्केबाज़ अब ओलंपिक सर्किट में एक आखिरी पंच लगाने के लिए पहले से अधिक के अनुभव के साथ पेशेवर सर्किट से लौट आए हैं।

विकास कृष्ण ने ओलंपिक चैनल को बताया कि, "मैं युवा था, केवल 20 साल का था, जब मैंने अपने पहले ओलंपिक (2012) में भाग लिया था। तब मेरे पास परिस्थिति को समझने का अनुभव नहीं था, मुझे लगता है कि यह अच्छा नहीं हुआ।”

“2012 में, मेरे पास इतना धैर्य नहीं था, जबकि 2016 में मैं 71 किलोग्राम का ही था और 75 किग्रा वर्ग में प्रतिस्पर्धा कर रहा था।’’

भिवानी के मुक्केबाज़ ने कहा कि, "इसलिए पांच-छह किलोग्राम के एक व्यक्ति के खिलाफ रिंग में उतरना मुश्किल था और मैं फिर भी दो राउंड तक गया। लेकिन मुझे लगा कि मेरा प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं था।”

अनुभव हासिल करने के अलावा वो मानसिक रूप से भी मजबूत हो गए हैं। बता दें कि विकास कृष्ण ने ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर लिया है लेकिन टोक्यो 2020 को स्थगित कर दिया गया, जिसे वो सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं।

उन्होंने कहा, "पिछले दो ओलंपिक समय पर (निर्धारित समय अनुसार) हुए थे और मैं पदक जीतने में सक्षम नहीं था। इस बार भगवान ने मेरे लिए कुछ बेहतर योजना बनाई है।”

“मैं पेशेवर मुक्केबाज़ी में वापस जा रहा था और शौकिया मुक्केबाज़ी में अच्छी फॉर्म में नहीं था। लेकिन अब मेरे पास इस अंतराल का फायदा उठाने का समय है।”

कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते विकास

अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए विकास कृष्ण कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।

2018 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता ने कहा कि, “मैं एक उचित डाइट ले रहा हूं, मैंने अपना वजन कम कर लिया है और मैं उचित ट्रेनिंग भी कर रहा हूं। इसलिए, जो कुछ भी हो सकता है, मैं सब कुछ कर रहा हूं।”

उन्होंने कहा कि, “अगर कोई मुझसे कहता है कि मुझे एक ओलंपिक स्वर्ण पदक के लिए अपना जिंदगी देनी है तो मैं तैयार हूं। मैं कहता हूँ, ‘मेरी जान ले लो और मुझे एक ओलंपिक स्वर्ण पदक दे दो। बस मुझे एक दिन के लिए इसके साथ रहने दो।”

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