टोक्यो के लिए टिकट हासिल कर चुके भारतीय मुक्केबाज अमित पंघल (Amit Panghal) ने इस सप्ताह की शुरुआत में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप (Asian Boxing Championships) में उज्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव (Shakhobidin Zoirov) के खिलाफ अपने फाइनल मुकाबले को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करार दिया।
52 किग्रा फाइनल में दुनिया के नंबर-1 मुक्केबाज अमित पंघल मौजूदा ओलंपिक और विश्व चैंपियन जोइरोव से 3-2 के स्प्लिट डिसीजन से हार गए।
हालांकि, इस मुकाबले का परिणाम पंघल के पक्ष में नहीं रहा, लेकिन वह अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ इस प्रदर्शन से काफी खुश थे।
अमित पंघल ने प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) से कहा, “फ्लाईवेट वर्ग में यह मेरे द्वारा अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। मुझे वह फाइनल जीतना चाहिए था और जब मैं ऐसा नहीं कर पाया तो बहुत गुस्से में था। मैंने इसमें अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, और मुझे लगा भी कि फैसला मेरे पक्ष में होना चाहिए था, लेकिन कोई बात नहीं। लेकिन यह संभव हो सकता है।
पंघल ने बताया, “पिछली बार जब मैं उससे हारा था, उससे यह काफी बेहतर प्रदर्शन था। स्कोर-लाइन 3-2 से कम रह गया, लेकिन पहले यह 5-0 था।”
इससे पहले दोनों का सामना 2019 वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल में हुआ था।
हाल ही में संपन्न हुई एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में हिस्सा लेकर, अमित पंघल पिछले साल टोक्यो ओलंपिक के लिए अपना टिकट बुक करने के बाद से अपनी प्रगति का आकलन करने के लिए काफी उत्सुक थे।
कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी की वजह से प्रतियोगिताओं में कमी के चलते एशियन मीट एकमात्र बड़ा इवेंट था, जिसमें भारतीय मुक्केबाज अगले महीने टोक्यो में होने वाले ‘खेलों के महाकुंभ’ से पहले मुकाबला कर सकते थे।
दुबई में एक रजत पदक और कुछ बेहतरीन मुक्केबाजी प्रदर्शन के बाद पंघल ने कॉन्टिनेंटल मीट में जो देखा वह उससे काफी संतुष्ट दिखे। उन्होंने पीटीआई को बताया, “मैंने सुधार किया है लेकिन मेरा तीसरा राउंड और भी बेहतर हो सकता था। मुझे नहीं लगता है कि मैं तीसरे राउंड में अच्छे पंच लगा सका।”
"मैंने यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुधार किया है कि मेरा पहला राउंड जल्दी और बेहतर शुरू हो, मैं पहले खुद को रोक लिया करता था।”
इस बदलाव की वजह से भारतीय मुक्केबाज को काफी फायदा हुआ है, क्योंकि वह अक्सर कुछ बेहतरीन मुक्केबाजी पंच और मुक्कों की झड़ी के साथ अपने प्रतिद्वंद्वी को पीछे ढ़केल देता है।
अमित पंघल के नए अटैकिंग अंदाज से अब वह डिफेंस और क्लिंच में जाकर भी स्कोर कर लेते हैं – इसके साथ ही रक्षात्मक रणनीति प्रतिद्वंद्वी के मुक्कों से बचने में अधिक प्रभावी हो जाती है।
उन्होंने अपनी बात साझा करते हुए कहा, "यह पहली बार था जब मैंने ऐसी कोशिश की (क्लिंच के दौरान पंच करना)। यह कुछ ऐसा है जो मेरे कोच अनिल जी (धनकर) ने मुझे सिखाया है। उन्होंने मुझसे कहा कि क्लिंच सिर्फ रुकने के बारे में नहीं होना चाहिए, मुझे साथ में हिट भी करते रहना चाहिए। मैं इसपर लगातार काम कर रहा हूं।"
अमित पंघल के लिए एशियाई चैंपियनशिप एक मौका भी था, यह जानने का कि बायो-बबल के अंदर कोई प्रतियोगिता कैसी होगी, जो वास्तविकता में टोक्यो 2020 में नज़ारा होगा।
प्रशिक्षण के लिए सीमित समय और अक्सर कमरों तक सीमित रहने की वजह से भारतीय मुक्केबाज का मानना था कि एथलीटों को टोक्यो ओलंपिक खेलों में किसी भी इवेंट के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।
उन्होंने स्वीकार किया, “ट्रेनिंग में तो दुविधा उत्पन्न हुई ही है। एक और डर जिसका हम सामना करते हैं, वह यह है कि यदि हम कोविड टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाए हैं तो हमें क्वारंटाइन में रखा जाता है। ऐसे में हम जरूरी ट्रेनिंग से चूक जाएंगे। अब इस समय हम ऐसा कुछ नहीं झेल सकते हैं। और अगर हमारा कोई साथी टेस्ट में पॉजिटिव पाया जाता है, तो भी हमें नुकसान होगा। तो हां यह सब बातें कभी-कभी मेरे दिमाग में चलती रहती हैं।”