शर्मिला निकोलेट से लेकर अदिति अशोक तक, भारत की शीर्ष महिला गोल्फ खिलाड़ियों पर डालें एक नज़र

दो बार की ओलंपियन अदिति अशोक, दीक्षा डागर और उभरती हुई युवा खिलाड़ी तवेसा मलिक भारत में महिला गोल्फ की कमान संभाल रही हैं।

6 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Indian Women's Golf- THUMB

भारत में गोल्फ़ के बारे में सोचते ही जीव मिल्खा सिंह, अनिर्बान लाहिड़ी, ज्योति रंधावा और अन्य पुरुष गोल्फरों का नाम दिमाग में आता है। लेकिन पिछले एक दशक में कई महिला गोल्फरों ने भी इस खेल में अपनी अच्छी पहचान बनाई है। इसी का नतीजा है कि इतिहास में पहली बार स्कॉटलैंड के वुमेंस ओपन में एक ही इवेंट में अदिति अशोक, दीक्षा डागर और त्वेसा मलिक जैसी तीन बड़ी भारतीय गोल्फर एक साथ खेलती हुई नज़र आएंगी।

भारतीय गोल्फ का पूरा समुदाय इस महत्वपूर्ण अवसर का जश्न मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है, ऐसे में यहां हम कुछ शीर्ष भारतीय महिला गोल्फ खिलाड़ियों पर प्रकाश डालने की कोशिश कर रहे हैं।

अदिति अशोक

भले ही वह महज़ 22 साल की हैं, लेकिन गोल्फ की दुनिया में अदिति अशोक ने काफी पहले अपने कदम रखे और आज वह एक बड़ा नाम बन चुकी हैं।

पांच साल की उम्र में इस खेल को खेलना शुरू करने के बाद बेंगलुरु की इस गोल्फर ने 2016 में अपना प्रोफेशनल करियर शुरू किया। इसके बाद इस भारतीय गोल्फर को बड़ी लीग में अपना हुनर साबित करने में ज्यादा देर नहीं लगी।

अदिति अशोक ने साल 2016 टूर में कुछ प्रभावशाली प्रदर्शनों के साथ अपने प्रो करियर की शुरुआत की, जहां वह इंडियन ओपन में एक लेडीज यूरोपीय टूर (LET) खिताब जीतने वाली पहली भारतीय गोल्फर भी बन गईं।

हालांकि, उन्होंने प्रो टूर पर अपने डेब्यू सीज़न में एक और शीर्षक क़तर लेडीज़ ओपन और रूकी ऑफ़ द ईयर अवॉर्ड भी जीता।

अदिति ने एलपीजीए टूर कार्ड भी हासिल किया, जिसके चलते वह 2017 में बड़े अमेरिकी दौरे पर खेलने वाली पहली भारतीय बनीं।

उन्होंने नवंबर 2017 में अबू धाबी में अपनी तीसरी एलईटी जीत पर दावा किया और अटलांटिक के दोनों किनारों पर किए गए उनके शानदार प्रदर्शन ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।

टोक्यो 2020 ओलंपिक में उनकी प्रसिद्धि काफी बढ़ी। अदिति अशोक पहले तीन राउंड के दौरान शीर्ष तीन में रहीं और अंतिम दिन चौथे स्थान पर रहीं।

इन वर्षों में अदिति अशोक का अनुभव और भी अधिक बढ़ा है और LET और LPGA टूर पर उनके कारनामों ने दुनियाभर में उनकी गोल्फ प्रतिभा ने सुर्खियां बटोरने का काम किया है।

शर्मिला निकोलेट

एक एथलीट के तौर पर शर्मिला निकोलेट काफी पहले ही तैराकी के ज़रिए सुर्खियों में आ चुकी थीं, तभी 11 साल की उम्र में उनके चचेरे भाई ने उन्हें गोल्फ खेलने की सलाह दी।

शुरूआत में तो उन्होंने गोल्फ कोर्स पर मनोरंजन के तौर पर जाना शुरू किया, लेकिन जल्द ही यह उनकी प्राथमिकता बन गया और बेंगलुरु में जन्मी इस गोल्फर ने आने वाले वर्षों में शौकिया तौर पर खेलना शुरू किए गए इस खेल को अपना करियर बना लिया।

भारतीय गोल्फर ने एमेच्योर सर्किट में एक शानदार सफर का आनंद लिया, जिसमें 2007-08 में अखिल भारतीय महिला एमेच्योर चैंपियनशिप और 2006 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका शामिल रहा।

उस समय 16 वर्षीय इस गोल्फर को 2007 के इंडियन ओपन से पहले एक विशेष एमार-एमजीएफ चैलेंज मैच के दौरान सर्वश्रेष्ठ गोल्फरों में से एक लॉरा डेविस के साथ साझेदारी करने का मौका मिला। इसके दो साल बाद उन्होंने प्रोफेशनल करियर में अपने कदम रखे।

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युवा भारतीय को एक्शन में देखकर डेविस ने गल्फ न्यूज़ को बताया, “मेरे अनुभव के मुताबिक वह एक अच्छी खिलाड़ी बनने की क्षमता रखती है।”

हालांकि भारतीय गोल्फर को खुद को टूर पर स्थापित करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन शर्मिला निकोलेट साल 2012 में अपनी साख बनाने में सफल रहीं और वह लेडीज़ यूरोपियन टूर के लिए फुल टूर कार्ड को सुरक्षित करने वाली दूसरी भारतीय बन गईं।

दीक्षा डागर

सुनने की क्षमता न होने के साथ जन्मी दीक्षा डागर का गोल्फ प्रतिभा के रूप में उदय होना साहस और दृढ़ संकल्प की अनूठी कहानी है।

अपने पिता कर्नल नरिंदर डागर द्वारा इस खेल को खेलना शुरू करने के बाद से दीक्षा आज एक काबिल गोल्फर बन गईं हैं, जो कि अपनी शानदार लंबी स्ट्राइकिंग के लिए जानी जाती हैं।

12 वर्ष की उम्र में अपने एमेच्योर करियर की शुरूआत करने के बाद साल 2015 में ही बाएं हाथ की दीक्षा डागर एक LET इवेंट हीरो महिला इंडियन ओपन में सुर्खियों में आ गईं थीं।

एक साल बाद वह अंडर-18 श्रेणी में विश्व रैंकिंग में शीर्ष 500 में पहुंच गईं और 2017 में हीरो महिला प्रो गोल्फ टूर में अपना पहला पेशेवर इवेंट जीता।

हरियाणा में जन्मी इस गोल्फर के लिए साल 2017 का सीज़न खास साबित हुआ, जहां उन्होंने 2017 डिफाइम्पिक्स में सिल्वर मेडल हासिल किया।

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दीक्षा डागर को 2018 एशियाई खेलों के लिए भारतीय दल में भी शामिल किया गया, जहां उन्होंने व्यक्तिगत और टीम स्पर्धा दोनों में भाग लिया।

अपनी फॉर्म और आत्मविश्वास पर भरोसा करते हुए दीक्षा डागर ने 2019 में प्रोफेशनल सर्किट में अपने कदम रखे और एक 2019 लेडीज यूरोपियन टूर इवेंट इंवेस्टेक साउथ अफ्रीकन वुमन्स ओपन में शानदार जीत के साथ खुद के इस सर्किट में आने का ऐलान किया।

भारतीय गोल्फर ने दक्षिण अफ्रीका की तीन बार की चैंपियन ली-एन पेस को अपने पहले प्रो टूर खिताब के लिए एक शॉट से हराया और लेडीज़ यूरोपियन टूर पर खिताब जीतने वाली अदिति अशोक के बाद दूसरी भारतीय बन गईं।

दीक्षा डागर ने देर से प्रवेश मिलने के बाद टोक्यो 2020 में ओलंपिक डेब्यू किया और 50वें स्थान पर रहीं।

त्वेसा मलिक

गुरुवार को रॉयल ट्रोन में महिला ओपन में टी-ऑफ करने के लिए तीन भारतीय गोल्फरों में से एक त्वेसा मलिक का खेल प्रदर्शन बेहद ख़ास रहा।

अपनी बहन के साथ बेंगलुरु में कर्नाटक गोल्फ एसोसिएशन के कोर्स में नियमित रूप से जाना शुरू करने वाली त्वेसा मलिक उस वक्त महज़ 11 साल की थीं और गोल्फ के लिए उनमें बहुत जुनून था। जिसके चलते 2007 महिला इंडियन ओपन में उन्हें वॉलंटियर करने का मौका मिला।

यह मौका इस युवा खिलाड़ी के लिए निर्णायक साबित हुआ, क्योंकि त्वेसा न केवल गोल्फ में करियर बनाने के लिए दृढ़ थीं, बल्कि यादों के तौर पर गोल्फ की गेंदों का एक समृद्ध संग्रह बना चुकी थीं।

इन वर्षों में भारतीय गोल्फर ने 2017 में प्रो सर्किट में आने से पहले कुछ बेहतरीन प्रदर्शन के साथ घरेलू मैदानों में आगे बढ़ी हैं। लेकिन बड़ी लीग में उनके लिए चीजें आसान नहीं रहीं।

क्वालिफाइंग स्कूल के माध्यम से त्वेसा मलिक को LET पर अपना पहला कार्ड हासिल करने से पहले दो साल तक इंतजार करना पड़ा।

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यूरोपीय टूर पर भी त्वेसा का यह खराब साल काफी मुश्किलों वाला रहा, जिसमें वह 12 में से आठ इवेंट में जगह बनाने में सफल रहीं।

हालांकि, त्वेसा मलिक ने इस सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए वुमेंस इंडियन ओपन में सीज़न के सर्वश्रेष्ठ छठे स्थान पर रहने का रिकॉर्ड बनाया।

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