पाकिस्तान साल 1947 में आजाद हुआ और साल 1948 में लंदन में आयोजित हुए समर गेम्स में अपनी दावेदारी पेश की। हालांकि, उन्हें अपना पहला ओलंपिक पदक जीतने में आठ साल का समय लगा। जिस साल पाकिस्तान ने पहला पदक जीता वह क्वाड्रेनियल शोपीस इवेंट था।
आइए पाकिस्तान के ओलंपिक सफर पर एक नज़र डालते हैं…
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, सिल्वर मेडल – मेलबर्न 1956
पाकिस्तान की मेंस हॉकी टीम ने साल 1948 और 1952 के ओलंपिक गेम्स में चौथे स्थान पर रहने के बाद, अब्दुल हमीद और अख्तर हुसैन और लतीफ-उर रहमान के नेतृत्व में पाकिस्तान की हॉकी मेंस टीम ऑस्ट्रेलिया पहुंची, वह भारत के 1948 ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता टीम का हिस्सा थे।
उस दौरान पाकिस्तान के कई खिलाड़ियों के पैर में जूते नहीं थे, इसके बावजूद पाकिस्तान ने ग्रुप चरणों में संतोषजनक प्रदर्शन किया था। पाकिस्तान की टीम ने ग्रेट ब्रीटेन को सेमीफाइन में 3-2 से हराकर फाइनल में जगह बनाई थी। वह ग्रुप सी में शीर्ष स्थान पर रहे थे और फाइनल में उनका मुकाबला स्टार खिलाड़ियों से भरी हुई भारतीय टीम से होना था।
पाकिस्तान और भारत का विश्व स्तर पर पहली बार आमान-सामना हुआ और उस मैच में पाकिस्तान की टीम ने भारत की बराबरी की। हालांकि, कप्तान बलबीर सिंह सीनियर के नेतृत्व में भारतीय खिलाड़ी रणधीर सिंह जेंटल ने दूसरे हाफ के शुरुआती दो मिनट में गोल किया और पाकिस्तान के खिलाफ बढ़त हासिल कर ली।
भारतीय टीम ने अपनी लीड बरकरार रखी और मैच को जीतकर ओलंपिक में स्वर्ण पदक की अपनी दूसरी हैट्रिक पूरी की। इस फाइनल के साथ भारत और पाकिस्तान की प्रतिद्वंद्विता की भी शुरुआत हो गई।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, गोल्ड मेडल – रोम 1960
पाकिस्तान हॉकी ने अपनी स्थिति मजबूत की। हालांकि, भारत अपने ओलंपिक खिताब को बरकरार रखने में असफल रही।
पाकिस्तान हॉकी टीम के सदस्य अब्दुल वहीद खान ने कहा, “हमने लाहौर कैंप में तीन से चार महीने तक खूब अभ्यास किया था। जिसके बाद खिलाड़ियों का मनोबल बहुत ऊंचा था और सभी खिलाड़ी जिन कमरों में सोते थे उनकी दिवारों पर और अन्य जगहों पर 'विक्ट्री एट रोम' का स्लोगन लिखा हुआ था, जिसने खिलाड़ियों में जीत की भावना को उजागर कर दिया था।”
रोम 1960 में पाकिस्तान की टीम फाइनल तक पहुंची। वह ग्रुप बी में शीर्ष पर थी। उन्होंने नॉकआउट चरण में जर्मनी को 2-1 से हराया था, जबकि स्पेन को 1-0 से मात दी थी। साल 1956 की तरह एक बार फिर उनका सामना अपने चिर प्रतिद्वंद्वी भारतीय टीम के साथ फाइनल में होने वाला था।
इस फाइनल के दौरान पाकिस्तान के ग्यारह में से आठ खिलाड़ियों ने पिछला फाइनल खेला था। पाकिस्तान ने अपनी अनुभवी टीम के साथ भारत को हराकर उनका वर्चस्व समाप्त किया और देश के लिए पहला ओलंपिक गोल्ड हासिल किया। पाकिस्तान के कप्तान अबदुल हमीद आठ गोल के साथ ग्रुप स्टेज के शीर्ष स्कोरर रहे थे जबकि नासीर अहमद बुंडा ने फाइनल मैच का अंतिम गोल किया था।
मोहम्मद बशीर, ब्रॉन्ज़ मेडल- मेंस 73 किग्रा कुश्ती – रोम 1960
फ्रीस्टाइल रेसलर मोहम्मद बशीर व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले पाकिस्तानी थे। उन्होंने रोम 1960 में 73 किग्रा भार वर्ग में ब्रान्ज़ मेडल जीता था, जिससे पाकिस्तान को दो पदक के साथ ओलंपिक में अपना सर्वश्रेष्ठ परिणाम हासिल करने में मदद मिली थी।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, सिल्वर मेडल - टोक्यो 1964
टोक्यो 1964 ओलंपिक में अपने सभी छह ग्रुप मैच जीतने वाली पाकिस्तान एकमात्र टीम थी। उन्होंने सेमीफाइनल में स्पेन को 3-0 से हराकर भारत के खिलाफ लगातार तीसरे फाइनल में प्रवेश किया था।
भारत के खिलाफ साल 1962 के एशियन गेम्स के फाइनल में उन्होंने काफी आक्रमक खेल दिखाया था, जिसका उन्हें फायदा भी मिला। लेकिन पाकिस्तान पेनल्टी कॉर्नर में गोल करने में असफल रहा और टोक्यो 1964 ओलंपिक फाइनल में उन्हें 1-0 से हार का सामना करना पड़ा। मैच का एकमात्र गोल मोहिंदर लाल का पेनल्टी स्ट्रोक रहा।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, गोल्ड मेडस - मेक्सिको सिटी 1968
पाकिस्तान हॉकी टीम दुनिया की शीर्ष टीमों में से एक थी। पाकिस्तान ग्रुप चरणों के मैचों के बाद एक बार फिर टॉप पर था। उन्होंने सेमीफाइनल में जर्मनी को 2-1 से हराया था।
फाइनल मैच में लेफ्ट फुलबैक तारिक अजीज के नेतृत्व में पाकिस्तान का सामना ऑस्ट्रेलिया से हुआ। दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलियाई हॉकी टीम ने भारत को 2-0 से मात दी थी।
पाकिस्तान ने मैक्सिको सिटी 1968 ओलंपिक के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। फाइनल मैच में सेंटर फॉरवर्ड रशीद जूनियर और असद मलिक ने एक-एक गोल किया था।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, सिल्वर मेजल - म्यूनिख 1972
साल 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में पाकिस्तान हॉकी अपने चरम पर थी। सेमीफाइनल में भारत को 2-0 से हराने के बाद फाइनल में पाकिस्तान का सामना मेजबान जर्मनी से हुआ, जो विवादों में घिर गया था।
ाइकल क्रॉस के गोल ने जर्मनी को 60वें मिनट में 1-0 की बढ़त दिला दी, जिसके बाद अंपायरों को कई बार खेल बंद करना पड़ा।
पाकिस्तानी खिलाड़ियों और अधिकारियों ने इसका विरोध किया और अंपायरों से गोल को न मानने का अनुरोध किया। जब उनके अनुरोध को ठुकरा दिया गया तब पाकिस्तानी खिलाड़ी पदक समारोह के दौरान पश्चिमी जर्मनी के झंडे की ओर अपनी पीठ करके खड़े हो गए और सिल्वर मेडल पहनने से भी इनकार कर दिया। इसका नतीजा उन्हें भुगतना पड़ा। टीम के सभी 11 खिलाड़ियों को उनकी राष्ट्रीय टीम से दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, ब्रॉन्ज़ मेडल - मॉन्ट्रियल 1976
यह पहली बार था कि ओलंपिक में फील्ड हॉकी आर्टिफिशियल मैदान पर खेली गई थी। और यह भी पहली बार था जब पाकिस्तान की मेंस हॉकी टीम 20 वर्षों में ओलंपिक में फाइनल में जगह बनाने में असफल रही।
ग्रुप चरण में दबदबा बनाने के बाद पाकिस्तान को सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से 2-1 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, पाकिस्तान ब्रॉन्ज मेडल के मैच में नीदरलैंड को 3-2 से हराकर तीसरे स्थान पर रहा।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, गोल्ड मेडल - लॉस एंजिल्स 1984
मॉस्को में 1980 के ओलंपिक से बाहर होने के बाद, मौजूदा विश्व चैंपियन पाकिस्तान ने 12 साल बाद साल 1984 में फिर से खिताब हासिल किया।
हालांकि, मंजूर जूनियर की अगुवाई में पाकिस्तान पांच ग्रुप गेम्स में से सिर्फ दो में जीत हासिल करने में सफल रही और उन्होंने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। उस मैच में पाकिस्तान के सबसे महान फॉरवर्ड खिलाड़ियों में से एक हसन सरदार ने मैच 22वें मिनट में गोल किया था।
हसन सरदार एक बार फिर पाकिस्तान को जर्मनी के खिलाफ एलए 1984 ओलंपिक फाइनल में बढ़त दिलाने में मदद की। पाकिस्तान ने जर्मनी को 2-1 से हराकर अपना तीसरा और आखिरी ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता।
हुसैन शाह, ब्रॉन्ज़ मेडल - मेंस मिडिलवेट बॉक्सिंग - सियोल 1988
कराची के मुक्केबाज सैयद हुसैन शाह देश के लिए दूसरा व्यक्तिगत ओलंपिक पदक और सियोल 1988 ओलंपिक में बॉक्सिंग में पहला पदक हासिल किया था। शाह ने मिडिलवेट वर्ग में बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया था।
पाकिस्तान हॉकी मेंस टीम, ब्रॉन्ज़ मेडल - बार्सिलोना 1992
साल 1988 के ग्रुप चरण में ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड से हार का सामना करने के बाद पाकिस्तान टीम ने बार्सिलोना 1992 ओलंपिक में अपने सभी पांच ग्रुप स्टेज मैच जीतकर मजबूत वापसी की।
हालांकि, टीम सेमीफाइनल में अपनी फॉर्म बरकरार नहीं रख पाई और उन्हें जर्मनी से 2-1 से हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान ने ब्रॉन्ज़ मेडल के मैच में नीदरलैंड को 4-3 से हराकर ओलंपिक में अपना आखिरी पदक हासिल किया।
**पाकिस्तान की ओलंपिक मेडल विजेता सूची