मिल्खा सिंह से लेकर नीरज चोपड़ा तक, जानें उन भारतीय एथलीटों के नाम जिनका ट्रैक एंड फील्ड पर रहा है दबदबा

टोक्यो 2020 में, नीरज चोपड़ा ने एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला ओलंपिक पदक हासिल करके एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की।

7 मिनटद्वारा सतीश त्रिपाठी
Neeraj Chopra of India.
(Getty Images)

दिग्गज एथलीट मिल्खा सिंह से लेकर वर्तमान में भाला फेंक स्टार नीरज चोपड़ा तक, मुट्ठी भर भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीटों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से पिछले कुछ वर्षों में एक अलग छाप छोड़ी है।

नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक और वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपने लगातार शानदार प्रदर्शन से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।

हालांकि, रनिंग ट्रैक पर मिल्खा सिंह का बेहतरीन प्रदर्शन, पीटी उषा का एशिया में दबदबा और 2003 वर्ल्ड चैंपियनशिप में लॉन्ग जंपर अंजू बॉबी जॉर्ज के ऐतिहासिक कांस्य पदक ने भारत को एक अलग ऊचांई पर पहुंचाने में अहम योगदान दिया है।

एशियाई रिकॉर्ड धारक और दो बार के कॉन्टिनेंटल शॉट पुट चैंपियन तजिंदरपाल सिंह तूर ने भी भारतीय एथलेटिक्स में एक अलग पहचान हासिल की है।

आइए यहां भारत के कुछ प्रसिद्ध एथलीटों पर एक नज़र डालते हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश को गौरवांवित किया है।

नीरज चोपड़ा

भारत के नीरज चोपड़ा ने पहले ही खुद को एक बेहतरीन और महान ट्रैक एंड फील्ड एथलीट के रूप में स्थापित कर लिया है। उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप, ओलंपिक, एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया और इसके साथ ही वह डायमंड लीग का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं।

नीरज चोपड़ा टोक्यो 2020 ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले भारतीय ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने। इससे पहले शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था और उसके बाद ऐसा करने वाले वह देश के केवल दूसरे एथलीट बन गए।

भाला फेंक खिलाड़ी ने ओरेगॉन 2022 में रजत पदक जीतकर विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला पदक हासिल किया, लेकिन अगले साल उन्होंने बुडापेस्ट 2023 में स्वर्ण पदक जीतकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली।

वह सीनियर विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं।

नीरज चोपड़ा पहली बार पोलैंड में 2016 IAAF वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आए। चोपड़ा ने पोलैंड में 86.48 मीटर का विजयी थ्रो किया, जो अभी भी अंडर-20 भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड के रूप में कायम है।

हरियाणा के इस एथलीट के पास पुरुषों की भाला फेंक में 89.94 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी दर्ज है, जिसे उन्होंने स्टॉकहोम डायमंड लीग 2022 में हासिल किया था।

मिल्खा सिंह

मिल्खा सिंह को 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में अपनी तेज गति के लिए फ्लाइंग सिख के नाम से भी जाना जाता है। मिल्खा सिंह यकीनन स्वतंत्र भारत के पहले खेल नायक थे और उन्होंने ट्रैक पर अपने कारनामों से आने वाली पीढ़ियों को काफी प्रेरित किया है।

मिल्खा सिंह रोम 1960 ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहे थे, जहां वह दक्षिण अफ्रीका के कांस्य पदक विजेता मैल्कम स्पेंस से सिर्फ 0.13 सेकेंड पीछे रहे। इस दौरान रोम में उनका 45.73 सेकेंड का समय चार दशकों तक एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड के रूप में कायम रहा।

मिल्खा कार्डिफ़ में 1958 संस्करण में 440-यार्ड रेस जीतने वाले भारत के पहले राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता भी थे। इस उपलब्धि का जश्न पूरे देश में मनाया गया और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसको लेकर अगले दिन सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

मिल्खा सिंह ने साल 1958 में टोक्यो में एशियाई खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीते। चार साल बाद, उन्होंने जकार्ता में अपने 200 मीटर खिताब को डिफेंड किया और पुरुषों की 4x400 मीटर रिले टीम के साथ पोडियम के शीर्ष पर जगह बनाई।

बॉलीवुड फिल्म भाग मिल्खा भाग, में मिल्खा सिंह के बचपन के मुश्किल दौर से लेकर दुनिया के सबसे तेज धावकों में से एक बनने तक के सफर को दर्शाया गया है, जो भारत में 2013 की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक रही थी।

पीटी उषा

रोम 1960 ओलंपिक में मिल्खा सिंह के चौथे स्थान पर रहने के चौबीस साल बाद, पीटी उषा स्वतंत्र भारत के लिए पहला ओलंपिक ट्रैक एंड फील्ड पदक जीतने के बेहद करीब पहुंच गईं। हालांकि, वह लॉस एंजिल्स 1984 ओलंपिक में 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रहीं और केवल 0.01 सेकेंड से पदक हासिल करने से चूक गईं।

पय्योली एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पीटी उषा ने 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं। वहीं LA 1984 में पीटी उषा द्वारा बनाया गया 55.42 सेकेंड के राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी 39 साल बाद विथ्या रामराज ने एशियाई खेल 2023 में की थी।

पीटी उषा ने मॉस्को 1980 खेलों में ओलंपिक में डेब्यू किया और 16 साल की उम्र में भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक धावक बन गईं। यह एक रिकॉर्ड है जो आज तक कायम है।

ट्रैक एंड फील्ड की भारतीय क्वीन ने साल 1982 से 1996 तक चार एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और चार स्वर्ण सहित 11 पदक जीते। एशियाई चैंपियनशिप में, पीटी उषा ने 100 मीटर, 200 मीटर, 400 मीटर, 400 मीटर बाधा दौड़ और रिले स्पर्धाओं में 14 स्वर्ण सहित कुल 23 पदक जीते।

साल 2022 में, पीटी उषा को भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुना गया।

अंजू बॉबी जॉर्ज

अंजू बॉबी जॉर्ज का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन एथेंस 2004 ओलंपिक में देखने को मिला। वह महिलाओं की लंबी कूद में 6.83 मीटर की दूरी के साथ पांचवें स्थान पर रहीं, यह दूरी अभी भी एक नेशनल रिकॉर्ड के रूप में कायम है।

इसके साथ ही उन्हें वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला होने का गौरव भी हासिल है, जहां प्रतिस्पर्धा ओलंपिक जितनी ही कड़ी होती है। साल 2003 में पेरिस में विश्व चैंपियनशिप में उनका कांस्य पदक वैश्विक प्रतियोगिता में भारत का पहला पदक था।

साल 2021 में, अंजू बॉबी जॉर्ज को भारत में युवा लड़कियों को खेल के लिए तैयार करने और प्रोत्साहित करने के लिए खेल के अंतरराष्ट्रीय शासी निकाय, विश्व एथलेटिक्स द्वारा वुमेन ऑफ द ईयर के अवार्ड से नवाजा गया।

साल 2016 में, उन्होंने अंजू बॉबी जॉर्ज स्पोर्ट्स फाउंडेशन की स्थापना की, जो युवा लड़कियों के लिए एक प्रशिक्षण अकादमी है। विश्व अंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली होनहार हाई जम्पर शैली सिंह भी इसी अकादमी की सदस्य हैं।

अंजू बॉबी जॉर्ज वर्तमान में भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) की वाइस-प्रेसिडेंट हैं, जो फेडरेशन के इतिहास में किसी महिला का सर्वोच्च पद है।

तजिंदरपाल सिंह तूर

एशियाई रिकॉर्ड धारक, एशियाई खेलों और एशियाई चैंपियनशिप में दो बार के स्वर्ण पदक विजेता, शॉट पुटर तजिंदरपाल सिंह तूर भी भारतीय एथलेटिक्स के सबसे प्रसिद्ध एथलीटों में शामिल हैं।

तूर का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय पदक जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में आया, जहां उन्होंने 20.75 मीटर थ्रो के साथ एक नया राष्ट्रीय और एशियाई खेलों का रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने चार साल बाद हांगझोऊ एशियाई खेलों में अपने खिताब को डिफेंड भी किया।

साल 2021 में, तजिंदरपाल सिंह तूर ने एक नए एशियाई और राष्ट्रीय रिकॉर्ड के लिए इंडियन ग्रां प्री में 21.49 मीटर का थ्रो फेंका। इस प्रयास से उन्हें टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए प्रवेश मानक को पार करने में भी मदद मिली। हालांकि, खेलों के दौरान उन्हें कलाई में चोट लग गई और वह फाइनल में जगह नहीं बना सके।

भुवनेश्वर में 2023 नेशनल्स में, तूर ने अपने एशियाई और राष्ट्रीय स्तर को बेहतर करते हुए 21.77 मीटर का थ्रो किया। उन्होंने दो एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023 में जीती थी। पंजाब के एथलीट तजिंदरपाल सिंह तूर दो बार के एशियाई इंडोर चैंपियन भी हैं।

1960 और 1970 के दशक में भारत के सबसे सफल एथलीटों में से एक प्रवीण कुमार सोबती, वर्तमान में भारत के बेहतरीन लंबी दूरी के धावक अविनाश साबले, लंबी कूद एथलीट मुरली श्रीशंकर, डेकाथलीट तेजस्विन शंकर, डिस्कस थ्रोअर विकास गौड़ा कुछ अन्य प्रसिद्ध भारतीय हैं जो विश्व मंच पर पुरुष ट्रैक एंड फील्ड का नेतृत्व कर रहे हैं।

वहीं महिलाओं में, होनहार हर्डलर ज्योति याराजी, धाविका हिमा दास, जिन्हें 'ढिंग एक्सप्रेस' के नाम से भी जाना जाता है, लंबी दूरी की धाविका पारुल चौधरी और भाला फेंक खिलाड़ी अन्नू रानी कुछ बड़े नामों में शामिल हैं।

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