रिफ्यूजी तैराक इयाद मसूद: "यह खेल से बढ़कर है, यह ध्यान है, यह प्रेरणा है... यह खुशी है"

मसूद का जन्म सीरिया में हुआ था और उसे अपने तैराक बनने के सपने को साकार करने के लिए अपने देश से भागकर दूसरे देश जाना पड़ा।

4 मिनटद्वारा मनोज तिवारी
Eyad Masoud

इयाद मसूद के लिए तैराकी हमेशा से उनका मुख्य उद्देश्य रहा है।

उन्होंने स्पोर्ट्स गजट को बताया, "जब मैं तैरता हूं तो यह मेरे लिए खेल से कहीं अधिक होता है। यह एक ध्यान, एक चुनौती, एक प्रेरणा, एक उपलब्धि और खुशी है।"

"मैं इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि इसने मुझे क्या सिखाया; धैर्य, दृढ़ संकल्प, एकाग्रता, नम्रता और प्रेम।"

जब उन्हें और उनके परिवार को गृहयुद्ध के कारण सीरिया छोड़ना पड़ा, तो ओलंपिक में तैरना तो असंभव सा सपना बन गया था।

वह पहले सऊदी अरब में शरण लेना चाहते थे, जहां उनके पिता ने डॉक्टर के रूप में काम किया था। लेकिन मसूद को ट्रेनिंग करने के लिए जगह नहीं मिल रही थी, क्योंकि सार्वजनिक स्विमिंग पूल का उपयोग करना विदेशियों को प्रतिबंधित था। ऐसे में ट्रेनिंग करना और प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए वह जगह उतनी मुफीद नहीं थी।

लेकिन न्यूजीलैंड में जन्में कोच डेविड राइट से एक मुलाकात ने उनकी जिंदगी बदल दी।

न्यूजीलैंड में हुई नई शुरुआत

राइट सऊदी अरब में राष्ट्रीय टीम के साथ काम कर रहे थे, वह युवा सीरियाई प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्हें टीम के साथ प्रशिक्षण करने के लिए आमंत्रित किया।

लेकिन राइट जल्द ही न्यूजीलैंड लौट आए और मसूद को एक बार फिर पूल में जाने से मना कर दिया गया।

ओलंपियन को प्रशिक्षित करने वाले कीवी कोच ने उन्हें आश्वस्त किया कि न्यूजीलैंड जाना उनके भविष्य के लिए सबसे अच्छी बात थी और बेहद जटिल वीजा मामलों के बाद उन्हें थोड़ा इंतजार के बाद नए देश में अकेले जाना पड़ा।

यह कोई आसान बदलाव नहीं था।

उन्होंने आगे कहा, "मैंने सोचा था कि भाषा और संचार सबसे बड़ी बाधा होगी। लेकिन मैंने पाया कि समस्या और जटिल व गहरी है।" 

"न्यूजीलैंड आना और सीरिया के बारे में समाचार देखना बहुत दुखदायी था, मैं विशेष रूप से हुई तबाही को देखने के बाद सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था।

"ऐसे देश में रहना जो मेरे परिवार से बहुत दूर है, ये भी मेरे लिए बेहद कठिन था।"

तैराकी उसका जीवन था, जहां वह हमेशा होता था।

खेल और तैराकी उनके लिए लाइफलाइन

राइट के परिवार के साथ क्वालिटी टाइम के साथ-साथ तैरना एक बार फिर उनका मुख्य उद्देश्य बन गया था। उन्होंने उसे वहां की परिस्थितियों में ढालने में मदद की।

मसूद आगे बताते हैं, "तैराकी के माध्यम से और पूल के आसपास होने के कारण मुझे तैराकी प्रशिक्षक के रूप में नौकरी मिल गई।"

"इसके अलावा वहां के नियमित लोग खासकर लाइफगार्ड और कैफे बैरिस्टर मुझे जानने लगे।

"मेरी कहानी सुनकर और किसी भी परिस्थिति में प्रशिक्षण के लिए मेरे दृढ़ संकल्प को देखकर उन्हें प्रेरणा मिली।

"इस बदलाव के लिए साहस लगा। साहस मैंने अपने तैराकी प्रशिक्षण में बाधाओं पर काबू पाने के लिए विकसित किया।"

सीरिया में जन्मे तैराक का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी बाधा व्यवहार और वित्तीय रूप में थीं - किराया निकालना, खाने और रहने के खर्च को कवर करने के लिए पर्याप्त बंदोबस्त करना मुख्य उद्देश्य था।

इयाद मसूद: "मैं आशा का पर्याय बनना चाहता हूं"

जब खबर आई कि उन्हें आईओसी शरणार्थी एथलीट छात्रवृत्ति प्राप्त करनी है, तब उन्होंने बगैर चिंता के खुद को तैराकी के लिए समर्पित किया।

उन्होंने कहा, "मैं इस समाचार से बेहद खुश था, मैं अपने प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो गया था और रोजमर्रा की चिंताओं से मुक्त हो गया था।"

छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए दुनिया भर के 56 होनहार शरणार्थी एथलीटों में से एक मसूद को टोक्यो ओलंपिक की रिफ्यूजी ओलंपिक टीम में जगह नहीं मिली। लेकिन उनकी जीवन यात्रा जारी है और तैराकी के लिए उनकी प्रतिबद्धता अपने परवान पर है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह पेरिस 2024 के स्विमिंग पूल में तैरते हुए नजर आएंगे।

अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं से परे इस शरणार्थी तैराक को ये मालूम हुआ है कि वे किसी बड़ी चीज का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और उनकी शक्ति से लोग प्रभावित हो रहे हैं।"

"मैं आशा के संदेश का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं, मैं प्यार और दया फैलाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि दुनिया भर में बड़ी संख्या में रह रहे शरणार्थियों के बारे में लोग जानें। उनके पास बहुत सारी प्रतिभा और कौशल हैं।"

"मैं लोगों को इसलिए भी प्रेरित करना चाहता हूं कि क्योंकि ऐसा करने से आपको सिर्फ और सिर्फ खुशी मिलती है। यह आपको महान चीजों को पाने के लिए भरोसा दिलाती है।"