एल्ड्रिक सेला रोड्रिगेज: वेनेजुएला में जन्मे मुक्केबाज, जो दुनिया भर के शरणार्थियों को कर रहे हैं प्रेरित

एल्ड्रिक सेला रोड्रिगेज ने टोक्यो 2020 ओलंपिक में हिस्सा लेकर लोगों को प्रेरित किया, फिलहाल उनकी लड़ाई पदक से भी बड़ी है, जो वह लोगों के लिए लड़ रहे हैं।

Boxing - Men's Middleweight - Last 32
Tokyo 2020 Olympics - Boxing - Men's Middleweight - Last 32 - Kokugikan Arena - Tokyo, Japan - July 26, 2021. Eldric Sella Rodriguez of the Refugee Olympic Team in action against Euri Cedeno Martinez of the Dominican Republic REUTERS/Ueslei Marcelino

एल्ड्रिक सेला रोड्रिगेज का सपना तब सच हो गया, जब उन्होंने टोक्यो 2020 खेलों में IOC रिफ्यूजी ओलंपिक टीम की तरफ से भाग लेकर बॉक्सिंग की, लेकिन वह तो महज शुरुआत थी।

भले ही वह पहले ही राउंड में हारकर बाहर हो गए हों, लेकिन सेला शरणार्थी टीम ध्वज के तहत प्रतिस्पर्धा के बावजूद कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गए और दुनिया व वेनेजुएला से उन्हें भारी समर्थन मिला।

साल 2018 में उनके अपने देश में पैदा हुए आर्थिक और मानवीय संकट के चलते उन्हें भागना पड़ा। उन्होंने अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ा और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं।

मार्च 2022 में सेला ने इक्वाडोर में एएमबीसी एलीट चैंपियनशिप से रिंग में वापसी की, 25 देशों के 197 मुक्केबाजों में से एक ऐसी भी टीम थी, जिसका कोई देश नहीं था।

25 वर्षीय बॉक्सर 'फेयर चांस टीम' का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य वैश्विक संकटों से विस्थापित हुए प्रतिभाशाली मुक्केबाजों का समर्थन करना है।

और इस बार शुरुआती दौर की बाउट में सेला के नाम रहा, क्योंकि उन्होंने कोस्टा रिका के विक्टर गैलो अल्वाराडो को अपने मिडिलवेट में शानदार अंदाज में 4-1 से हराया।

इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्हें गुयाना की एम्स्टर्डम डेसमन कोर्ट से बेहद कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा और रोमांचक बाउट में उन्हें कोर्ट से 3-2 से हार का सामना करना पड़ा।

एक बार फिर मिली हार से सेला को मजबूती ही प्रदान हुई।

"हम बढ़ते जा रहे हैं - हमारे ऊपर नजर रखें!" - एल्ड्रिक सेला रोड्रिगेज

टूर्नामेंट के बाद ग्वायाकिल में उन्होंने अपने इंस्टाग्राम के 13 हजार फॉलोवर्स से एक संदेश साझा किया:

 "वास्तव में हार से सीखने में सक्षम होने के लिए बहुत ताकत और बहादुरी लगती है, और भले ही मैं इस बार हार गया हूं, इस बात को मैं ईमानदारी से कह सकता हूं।

 "मैंने अपनी हार से सीखा है!

"मैंने इस यात्रा से पहले एक व्यक्तिगत लक्ष्य निर्धारित किया और मैंने उस लक्ष्य को पूरा किया। मैं यहां एक बेहतर मुक्केबाज बनकर उभरा और दुनिया को दिखाया कि मैं इस खेल में महान चीजें हासिल कर सकता हूं - भले ही मेरी सबसे बड़ी लड़ाई हमेशा मेरे खिलाफ ही क्यों न होगी !"

सेला ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ आईबीए को 'फेयर चांस टीम' और आईओसी रिफ्यूजी ओलंपिक टीम की तरफ से बॉक्सिंग का मौका देने के लिए धन्यवाद दिया और कहा उनके ये सब संभव नहीं था।"

अब और भी बड़े उद्देश्यों की प्रतीक्षा है और एक बड़े अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता में पहला राउंड जीतना उनके लिए एनर्जी का काम करेगा।

एल्ड्रिक सेला रोड्रिगेज: अपने सपनों को पूरा करने के लिए वेनेज़ुएला से भागे

सेला की कहानी दुनिया के लाखों लोगों की कहानी है और वह उससे खुद को रिलेट कर सकते हैं।

 वर्ल्ड विजन के अनुसार 2014 में वेनेजुएला में एक संकट के बाद गरीबी और हिंसा में तेज वृद्धि देखी गई, यह बॉक्सर एक बेहतर जीवन की तलाश में त्रिनिदाद और टोबैगो भाग गया, जो तब से दक्षिण अमेरिकी देश छोड़ चुके छह मिलियन लोगों में से एक है।

बॉक्सिंग सेला का जीवन है और इसी के साथ वह बड़े हुए हैं और उन्होंने 18 साल की उम्र में राष्ट्रीय टीम बनाने के लिए काफी मेहनत की, लेकिन ओलंपिक में लड़ने का उनका सपना तब टूट गया जब संसाधनों की कमी के कारण उन्हें और कई अन्य युवा खिलाड़ियों को मजबूरी में हटना पड़ा।

 इक्वाडोर में एक इंटरव्यू में उन्होंने आईबीए को बताया, "मैंने नौ साल की उम्र में बॉक्सिंग शुरू कर दी थी, कराकास में मेरे घर के पास एक बॉक्सिंग जिम था, मैं अपने पिता के साथ वहां जाता था।"

 "वेनेजुएला में चीजें खराब होने लगीं, इसलिए हमने अपने परिवार के लिए बेहतर अवसरों की तलाश में वहां से भागने का फैसला किया।"

"मैं अपनी प्रेमिका के साथ त्रिनिदाद और टोबैगो गया और मजदूरी की, लेकिन मैंने ट्रेनिंग बंद नहीं किया। साथ ही मैंने कभी भी पैनएम चैंपियनशिप, विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने के अपने सपने को देखना बंद नहीं किया।"

उन्होंने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा, "एक लंबी प्रक्रिया के बाद मुझे रेफ्यूजी एथलीटों के प्रोग्राम में शामिल होने का मौका मिला।"

उस प्रोग्राम ने उन्हें एक आईओसी रेफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप प्रदान की, जिसने उन्हें प्रशिक्षण के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित करने की अनुमति दी। उन्हें आईओसी रेफ्यूजी ओलंपिक टीम में चुने जाने और टोक्यो 2020 में प्रतिस्पर्धा करने का मौका दिया।

"जब मुझे प्रोग्राम में शामिल होने की मंजूरी मिली, तो मुझे लगा कि मैं अपने रास्ते पर वापस लौट आया हूं।" उन्होंने UNHCR को बताया, "मुझे फिर से जीवित महसूस हुआ।"

"अगली बात जो मुझे पता है, वह यह है कि मैं ओलंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा कर रहा हूं!"

लेकिन उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं होती है।

दुनिया भर के शरणार्थियों को "अपने सपनों का पीछा" करने के लिए कर रहे प्रेरित

2021 में टोक्यो 2020 ओलंपिक के बाद UNHCR कार्यक्रम ने उन्हें उरुग्वे में एक नया घर दिलाने में मदद किया। जहां वह अब अपने पिता, जो उनके कोच भी हैं, और उनकी प्रेमिका लूज जो उनकी मैनेजर व डाइटिशियन है के साथ रहते हैं।I

वह ओलंपिक गेम्स पेरिस 2024 में रिंग में उतरना चाहते हैं, लेकिन टोक्यो के बाद उन्हें दुनिया भर से जो संदेश मिले उसके बाद उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि वह बहुत बड़ी चीज के लिए लड़ रहे हैं: वह दुनिया भर के रिफ्यूजी को प्रेरित कर रहे हैं।

जैसा कि उन्होंने हाल ही में आईबीए को बताया; "जीवन हमेशा आपको अपने सपनों के रास्ते में लाने के तरीके ढूंढेगा।"

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