स्पोर्ट क्लाइम्बिंग के बारे में विस्तार से जानें

4 मिनटद्वारा Olympics.com

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग क्या है?

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग एक मॉडर्न स्पोर्ट है जो पारंपरिक रॉक क्लाइंबिंग से उत्पन्न हुआ है। इसमें तीन अलग-अलग डिसिप्लिन हैं: बोल्डर, लीड और स्पीड। इन सभी खेलों में, एक कृत्रिम दीवार से जुड़े एंकर्स के सहारे दीवार पर चढ़ना होता है।

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग का आविष्कार किसके द्वारा, कहां और कब किया गया?

माना जाता है कि मनोरंजक खेल गतिविधि के रूप में प्राकृतिक चट्टानों पर चढ़ना 19वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुआ था। एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में क्लाइम्बिंग साल 1985 में इटली के ट्यूरिन के पास बार्डोनेचिया में "स्पोर्टरोकिया" नाम के एक इवेंट में शुरू हुआ। एक साल बाद, फ़्रांस के ल्योन के पास वॉल्क्स-एन-वेलिन में एक कृत्रिम ‘क्लाइम्बिंग वॉल’ पर पहली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था।

1990 के दशक की शुरुआत में, यह निर्णय लिया गया था कि अंतरराष्ट्रीय इवेंट जानबूझकर एक डिज़ाइन किए गए बुनियादी ढांचे पर ही होंगे, जिससे प्राकृतिक पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस खेल के मूल मूल्यों में से एक पर्यावरण का संरक्षण भी है, जिसमें पर्वतारोही उन सेटिंग्स के रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार होते हैं जिनमें वे चढ़ते हैं।

मॉडर्न स्पोर्ट क्लाइम्बिंग का एक नया युग शुरू हुआ और 1991 में जर्मनी के फ़्रैंकफ़र्ट में पहली विश्व चैंपियनशिप का आयोजन किया गया।

यह चैंपियनशिप पिछले दो दशकों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गई है। स्पोर्ट क्लाइम्बिंग की दीवारों के विकास ने इस खेल की लोकप्रियता में बहुत अधिक योगदान दिया है, जिससे यह सभी के लिए सुलभ हो गया है।

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग के नियम क्या हैं?

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग के प्रत्येक डिसिप्लिन के लिए अलग-अलग नियम हैं:

बोल्डरिंग में, एथलीट सीमित समय में और कम से कम प्रयासों में बिना रस्सियों का सहारा लिए 4.5 मीटर की ऊंची दीवार पर चढ़ते हैं। रैंकिंग एथलीटों के द्वारा पार की गई मुश्किलों की संख्या से तय की जाती है।

लीड डिसिप्लिन में एथलीट समय से पहले ‘क्लाइम्बिंग वॉल’ को देखे बिना छह मिनट में 15 मीटर ऊंची दीवार पर सुरक्षा के लिए बांधी गई रस्सी के साथ अधिक से अधिक ऊंचाई पर पहुंचने की कोशिश करते हैं।

स्पीड डिसिप्लिन एक शानदार रेस है, जिसमें एथलीट समय के ख़िलाफ़ वन-ऑन-वन के एलिमिनेशन राउंड में रेस लगाते हैं। ये उनकी सटीकता और तेज़ी को दर्शाता है। इसमें चढ़ाई की दीवार 15 मीटर ऊंची और पांच डिग्री झुकाव वाली होती है। इस डिसिप्लिन में पुरुषों का विश्व रिकॉर्ड 5.00 सेकंड (किरोमल कातिबिन, इंडोनेशिया) का है और महिलाओं का विश्व रिकॉर्ड 6.53 सेकंड (एलेक्जेंड्रा मिरोस्लाव, पोलैंड) का है।

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग और ओलंपिक

स्पोर्ट क्लाइम्बिंग ने 2018 में ब्यूनस आयर्स यूथ ओलंपिक खेलों में ओलंपिक मंच पर अपना पहला क़दम रखा और इस खेल ने टोक्यो 2020 में अपना आधिकारिक ओलंपिक डेब्यू किया। स्पोर्ट क्लाइम्बिंग पेरिस 2024 में एक अलग फ़ॉर्मेट के साथ होगी, जिसमें हर जेंडर पदक के दो सेट होंगे। बोल्डर, लीड और स्पीड वाले एक ही इवेंट में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, एथलीट दो स्पर्धाओं में गौरव हासिल करने के लिए भिड़ेंगे। स्पीड एक अलग इवेंट होगा और बोल्डर एंव लीड संयुक्त तौर पर दूसरा इवेंट होगा। प्रत्येक इवेंट के लिए एक स्वर्ण पदक दांव पर होगा।

इसे लॉस एंजिल्स 2028 के ओलंपिक प्रोग्राम में भी शामिल किया गया है।

किन सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट क्लाइम्बर्स पर होंगी सभी की नज़रें

स्लोवेनिया के जान्जा गार्नब्रेट और स्पेन के अल्बर्टो जिनेस को टोक्यो 2020 में स्पोर्ट क्लाइम्बिंग इतिहास में पहले ओलंपिक चैंपियन के रूप में ताज पहनाया गया। उनका लक्ष्य पेरिस 2024 के लिए क्वालीफ़ाई करना और अपने ख़िताब का बचाव करना होगा।

एडम ओन्ड्रा (चेक रिपब्लिक), जान होजेर (जर्मनी), एलेक्स मेगोस (जर्मनी), कॉलिन डफी (यूएसए) या जैकब शूबर्ट (ऑस्ट्रिया) अन्य बड़े दावेदार होंगे।

महिलाओं में, संयुक्त डिसिप्लिन में ब्रुक राबाउटौ (यूएसए), अकीयो नोगुची (जापान), फैनी गिबर्ट (फ्रांस) और चाहेयुन सेओ (कोरिया) कुछ सबसे बड़े नाम हैं।

पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों में ‘स्पीड क्लाइम्बिंग’ में पदकों का एक अलग सेट होगा। इसे ओलंपिक में सबसे तेज़ खेल माना जाता है। इंडोनेशिया के किरोमल कातिबिन इसमें विश्व रिकॉर्ड धारक हैं; वे 5.00 सेकंड में 15 मीटर की दीवार पर चढ़ने की क़ाबिलियत रखते हैं। उनके साथी वेद्रिक लियोनार्डो पर भी सभी की नज़रें होंगी। उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 5.20 सेकंड है।

महिलाओं में पोलैंड की अलेक्सांद्रा मिरोस्लाव एक अन्य स्पीड रेसर हैं। उन्होंने टोक्यो 2020 में कुल मिलाकर चौथा स्थान हासिल किया था और 6.84 सेकंड समय दर्ज करते हुए विश्व रिकॉर्ड तोड़ने का कारनामा किया था। उन्होंने मई 2022 में साल्ट लेक सिटी में IFSC वर्ल्ड कप में इसे घटाकर 6.53 सेकेंड कर दिया।

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