कनाडा ने एक अति रोमांचक स्वर्ण पदक मुक़ाबले में स्वीडन को हराकर अपना पहला ओलंपिक महिला फुटबॉल खिताब जीत लिया है।
एक दिल दहला देने वाले फाइनल में 3-2 के पेनल्टी शूटआउट जीत के साथ 6 अगस्त को योकोहामा में कनाडा ओलंपिक खेल टोक्यो 2020 के महिला फुटबॉल स्वर्ण पदक के हकदार बने।
120 मिनट – और पांच-पांच पेनल्टी किक्स के बाद – दोनों टीम में कोई फासला नहीं रहा था।
लेकिन सडन डेथ में स्वीडन के पहले पेनल्टी को कनाडा की गोलकीपर Stephanie Labbe ने रोका, और सब्स्टीट्यूट Julia Grosso ने अगले पेनल्टी को कामयाबी से गोल में डालकर कनाडा के लिए ओलंपिक चैंपियन का ताज हासिल कर लिया।
शुक्रवार के स्वर्ण पदक मुक़ाबले में दोनों टीम एक दुसरे से करीब रहे थे।
34वे मिनट में Stina Blackstenius ने स्वीडन को फाइनल में बढ़त दी, लेकिन Jessie Fleming 67वे मिनट में पेनल्टी के माध्यम से मैच को 1-1 की बराबरी पर ले आयीं।
90 और 120 मिनट के बाद भी इस स्कोर में बदलाव नहीं आया, और स्वर्ण पदक का निर्णय सनसनीखेज़ पेनल्टी शूटआउट के ज़रिये हुआ।
टोक्यो 2020 के महिला फुटबॉल फाइनल के लिए इससे ज़्यादा योग्य कोई दो टीम शायद ही हो सकते थे।
कनाडा ने क्वार्टरफाइनल में ब्राज़ील को पेनल्टी शूटआउट में मात दी थी, और उसके बाद सेमीफाइनल में अपने पडोसी देश और चार बार की ओलंपिक चैंपियन यूएसए को 1-0 से पराजित किया।
स्वीडन ने भी यूएसए को हराते हुए अपने ग्रुप में प्रथम स्थान हासिल किया था, जिसके बाद उन्होंने क्वार्टरफाइनल में मेज़बान जापान और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को टूर्नामेंट से बाहर निकाला।
कनाडा पहली बार महिला फुटबॉल ओलंपिक फाइनल का हिस्सा बने थे, जबकि स्वीडन का दिल दुसरे लगातार ओलंपिक खेल के स्वर्ण पदक मुक़ाबले में आकर टूटा है। रियो 2016 के फाइनल में स्वीडन को जर्मनी ने 2-1 से हराया था।