रेस वॉकिंग: नियम और ओलंपिक का इतिहास के साथ ही जानिए कैसे और कहां हुई थी इस खेल की शुरुआत

विक्टोरियन एरा में शुरू हुआ खेल 1904 ओलंपिक गेम्स से आज तक इस समारोह का अहम हिस्सा बना हुआ है। जानें वॉक रेस क्या है।

6 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज
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(2016 Getty Images)

एक तरफ़ जहां ट्रैक एंड फ़ील्ड में भरपूर ऊर्जा की ज़रूरत होती है तो वहीं रेस वॉकिंग एक ऐसी स्पर्धा है जहां अनुशासन के साथ चलने और और सटीकता पर बहुत कुछ निर्भर करता है। हम यहां आपको विस्तार से बता रहे हैं कि वॉक रेस क्या है और इसके नियम क्या हैं।

रेस वॉकिंग एक पुराने ज़माने का खेल है या यों कहें कि यह विक्टोरिया के ज़माने से चलता आ रहा है। उस समय रईस लोग अपने नौकरों के बीच इसकी प्रतियोगिताएं करवाया करते थे।

इसे पद यात्रा के रूप में लिया जाता था और और 19वीं सदी में इस खेल ने यूनाइटेड स्टेट्स (संयुक्त राज्य अमेरिका) में प्रवेश किया था। उस समय यूएस में प्रतिभागी लगभग 1000 किमी की रेस किया करते थे जो 6 दिनों तक चला करती थी। रेस वॉकिंग पहले सड़कों पर नहीं बल्कि बंद एरीना में की जाती थी। इस खेल में सट्टेबाजी का भी किरदार अहम होता था और लोग उन खिलाड़ियों पर भी पैसा लगाते थे जिनके बारे में उन्हें लगता था कि वह सबसे पहले धराशायी हो जाएगा। मैथ्यू एल्जियो, ‘पेडेसट्रियानिस्म: वाचिंग पीपल वॉक वॉज़ अमेरिकाज़ फेवरेट सपोर्ट’ के लेखक ने NPR को बताया “यह एक अद्भुत प्रदर्शनी है। वहां ब्रास बैंड गाने बजाते हैं, विक्रेता अंडे और अखरोट बेचते हैं। यह एक देखने लायक जगह है।”

हालांकि, यह खेल अब सिर्फ़ मनोरंजन और टाइम पास तक सीमित नहीं है बल्कि इंग्लैंड ने इसके नियम तय कर इसे एक प्रोफेशनल खेल बना दिया।

रेस वॉकिंग के नियम

खेल के नाम से ही पता चलता है कि प्रतिभागी तेज़ी से वॉक कर फिनिश लाइन को पार करते हैं। हालांकि, इस खेल में हर एथलीट को तकनीक के हिसाब से ही दौड़ना पड़ता है।

रेस वॉकिंग आम दौड़ से अलग है। जहां आम दौड़ या स्प्रिंट में प्रतिभागी तेज़ी से दौड़ता है और उसके दोनों पाँव ज़्यादातर हवा में रहते हैं। वहीं रेस वॉकिंग में हर समय अपर प्रतिभागी का कम से कम एक पाँव ज़मीन पर होना ज़रूरी है। एथलीट की तकनीक एक दम पुष्ट होनी चाहिए ताकि इवेंट में बैठे जज उसे नग्न आँखों से देख सकें। अगर जज इसे ठीक से नहीं देख पाए तो प्रतिभागी के खाते में पेनल्टी आ जाती है।

कनाडा के रेस वॉकिंर और ओलंपिक इनाकी गोमेज़ ने स्टार से बात करते हुए कहा “आपकी आँख हर उस चीज़ को देख सकती है जो 0.6 सेकंड से धीरे है, तो ऐसे में सबसे तेज़ लिफ्ट करने वाले एथलीट को फायदा मिल जाता है और उसकी त्रुटी कभी-कभी जज से पकड़ी नहीं जाती। ऐसे में कम से कम जोखिम लिए एक एथलीट ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठा सकता है।”यन

इस रेस का अगला नियम यह है कि एथलीट की जो टांग आगे है उसका घुटना मुड़ना नहीं चाहिए और पूरी टांग सीधी करते हुए ही उसे अपने शरीर का वज़न खींचना होता है। हर रेस वॉकर पर पुख्ता नज़र रखी जाती है और अगर जज एथलीट के घुटने को मुड़ा हुआ देखते हैं तो उन पर पेनल्टी लगा देते हैं।

इवेंट के अनुसार जज 5 से 9 के बीच में नंबर देते हैं। ‘आँखों से संपर्क न हो पाना’ और ‘घुटने का मुड़ना’ यह दो वजहें हैं जिनसे जज प्रतिभागी पर पेनल्टी डाल सकते हैं।

इसके आलावा अगर किसी एथलीट को अलग-अलग जजों द्वारा तीन वार्निंग कार्ड मिल जाते हैं और अगर उसमें चीफ जज भी होता है तो उस एथलीट को डिसक्वालीफ़ाई (अयोग्य) घोषित कर दिया जाता है।

स्टैंडर्ड रेस वॉकिंग इवेंट 3000 मीटर, 5000 मीटर (इनडोर) होते हैं और 5000, 10,000, 20,000 और 50, 000 मीटर रेस को बंद ट्रैक पर आयोजित किया जाता है। इसके आलावा 10, 20, 50 किमी रेस को सड़क पर आयोजित किया जाता है।

ओलंपिक में रेस वॉकिंग

रेस वॉकिंग ने ओलंपिक में साल 1904 में डेब्यू किया था। उस समय इस इवेंट को ‘ऑल-अराउंड चैंपियनशिप’ से मिला दिया गया था जिसे आज डेकाथलॉन के एक संस्करण के रूप में जाना जाता है।

इसके बाद व्यक्तिगत तौर पर इस खेल ने 1908 लंदन गेम्स के दौरान डेब्यू किया और उस समय इस खेल में सिर्फ पुरुषों की स्पर्धा होती थी।उस समय इसकी दूरी 3500 मीटर और 10 मील हुआ करती थी।

1912 समर ओलंपिक में 10 किमी वॉक को शामिल किया गया और 50 किमी लॉन्ग-डिस्टेंस रेस ने अपना डेब्यू 1932 लॉस एंजेल्स के दौरान किया।

वहीं शॉर्ट वर्ग में 20 किमी को 1956 ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया और यह कदम भी सफल रहा।।

1992 बार्सिलोना ओलंपिक खेल में महिलाओं के इवेंट को भी जोड़ा गया। इस बार रेस को 10 किमी का किया गया और आगे चलकर सिडनी 2000 में इसे बढ़ाकर 20 किमी कर दिया गया।

पेरिस 2024 में, पुरुषों की एकमात्र 50 किमी रेस वॉक स्पर्धा को मैराथन रेस वॉक मिश्रित रिले से बदल दिया गया था, जिसमें एक पुरुष और एक महिला वाली टीमें हिस्सा लेती हैं। 42.195 किमी के कोर्स में प्रत्येक एथलीट को निम्नलिखित क्रम में दो-दो लेग पूरे करने होते हैं - पहले लेग में पुरुष को 11.45 किमी, महिला को 10 किमी, दूसरे लेग में पुरुष को 10 किमी और महिला को 10.745 किमी।

35 किमी रेस वॉकिंग इवेंट वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप का एक हिस्सा है।

रेस वॉकिंग में पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक

ब्रिटिश एथलीट जॉर्ज लार्नर ने रेस वॉकिंग मेंस इवेंट में पहला स्वर्ण पदक जीता था। यह कारनामा उन्होंने 1908 लंदन गेम्स के दौरान 10 मील वर्ग में जीता था। इतना ही नहीं, बल्कि लार्नर ने 3500 मीटर में भी स्वर्ण पदक पर अपने नाम की मुहर लगाई थी।

चार साल के बाद स्टॉकहोल्म में कनाडा के जॉर्ज गूल्डिंग ने 10 किमी वॉक में दुनिया का पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक हासिल किया।

50 किमी रेस वॉक का डेब्यू 1932 लॉस एंजेल्स गेम्स में कराया गया था और उस संस्करण में ब्रिटेन के टॉमी ग्रीन ने स्वर्ण पदक हासिल कर इस इवेंट की सफलता में चार चांद लगा दिए थे। दूसरी ओर सोवियत यूनियन के लियोनिड स्पिरिन ने 1956 में 20 किमी वर्ग में पहला स्वर्ण पदक जीता था।

महिलाओं की रेस में चीन की चेन युइंगिंग ने 10 किमी वर्ग में पहला स्वर्ण पदक जाता था। यह कारनामा उन्होंने साल 1992 में किया था। इतना ही नहीं बाकि वांग लिपिंग ने वुमेंस 20 किमी में पहला गोल्ड हासिल कर अपने होने का प्रमाण पेश किया था। यह कीर्तिमान उन्होंने 2000 में पूरा किया था।

पेरिस 2024 में पहली बार मैराथन रेस वॉक मिश्रित रिले स्पर्धा स्पेन के अल्वारो मार्टिन और मारिया पेरेज़ ने जीती।

रणजीत सिंह पहले भारतीय एथलीट बनें जिन्होंने ओलंपिक रेस वॉकिंग में हिस्सा लिया था ऐसा उन्होंने 1080 मास्को गेम्स में किया था। 20 किमी वर्ग अमिन खेते हुए उन्होंने सम्मान जनक 18वां पायदान भी हासिल किया था जिस पर आज तक पूरा भारत वर्ष गर्व करता है।

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