साल 1899 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप यानी ऑल इंग्लैंड ओपन की शुरुआत हुई थी। बैडमिंटन का ये टूर्नामेंट दुनिया का सबसे पुराना व प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है।
उसके बाद बैडमिंटन ओलंपिक में शामिल हुआ और BWF के सबसे बड़े टूर्नामेंट वर्ल्ड चैंपियनशिप व वर्ल्ड टूर फाइनल भी खेले जाने लगे। इसके बावजूद भी ब्रिटेन के इस बेहद पुराने टूर्नामेंट की रौनक बरकरार है।
वर्षों से ऑल इंग्लैंड ओपन विजेताओं की सूची में विश्व बैडमिंटन के महान सर जॉर्ज थॉमस और बेट्टी उबर जैसे दिग्गजों का नाम शुमार है। इनके नाम पर थॉमस और उबेर कप खेला जाता है, इसमें एमेच्योर युग व ओपन युग के प्रतीक जैसे लिन डैन और नोज़ोमी ओकुहारा का नाम भी शामिल है।
दिलचस्प बात यह भी है कि 1899 के पहले संस्करण में कोई सिंगल्स प्रतियोगिता नहीं आयोजित हुई थी। डी. डब्ल्यू. ओक्स और स्टीवर्ट मार्सडेन मैसी (मेंस डबल्स), डी. डब्ल्यू. ओक्स और डेज़ी सेंट जॉन (मिक्स्ड डबल्स) और मेरिल लुकास/मैरी ग्रीम (वूमेंस डबल्स) में पहली बार ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियन बने थे।
1900 में सिंगल्स की शुरुआत के साथ सिडनी एच स्मिथ मेंस सिंगल्स में पहली बार ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने थे, जबकि एथेल थॉमसन पहली वूमेंस सिंगल्स की चैंपियन बनीं।
1920 में प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतकर सर जॉर्ज थॉमस प्रथम विश्व युद्ध के बाद के युग में पहले ऑल इंग्लैंड मेंस चैंपियन बने थे।
फिलहाल अभी तक सर जॉर्ज थॉमस ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन इतिहास के सबसे सफल खिलाड़ी बने हुए हैं, जिनके नाम कुल 21 खिताब (चार मेंस सिंगल्स, नौ मेंस डबल्स और आठ मिक्स्ड डबल्स) दर्ज हैं।
अमेरिका की जूडी डेवलिन के नाम (10 वूमेंस सिंगल्स और सात डबल्स) ऑल इंग्लैंड ओपन की सबसे सफल महिला खिलाड़ी हैं, जिनके नाम 17 खिताब है। टूर्नामेंट में उनके नाम सबसे अधिक 10 महिला सिंगल्स खिताब भी दर्ज हैं।
इंडोनेशिया के रूडी हार्टोनो सबसे अधिक आठ ऑल इंग्लैंड ओपन मेंस सिंगल्स खिताब जीतने का रिकॉर्ड कायम किया है। इनमें से उन्होंने सात खिताब साल 1968 से 1974 के दरम्यान लगातार जीते हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
जबकि ऑल इंग्लैंड ओपन खिताब जीतने में ब्रिटेन से ताल्लुक रखने वाले खिलाड़ियों का दबदबा रहा है। साल विदेशी भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही थी, लेकिन 1938 तक अधिकतर अंग्रेज व आयरिश खिलाड़ी ही खिताब पर कब्जा करते थे।
साल 1939 का संस्करण ऐतिहासिक साबित हुआ और डेनमार्क के टेज मैडसेन और कनाडा के डोरोथी वाल्टन ने मेंस व वूमेंस के सिंगल्स खिताब पर कब्जा करके इतिहास रच दिया था। मिक्स्ड डबल्स का खिताब भी उस वर्ष डेनमार्क की जोड़ी ने जीता था।
दस साल बाद ऑल इंग्लैंड ओपन को पहला एशियाई चैंपियन मिला और मलेशिया के ओई टेक हॉक और तेओ सेंग खून ने मेंस डबल्स का खिताब जीता था।
अगले ही साल एक और मलेशियाई वोंग पेंग सून ने टूर्नामेंट का मेंस सिंगल्स का खिताब जीतकर पहले एशियाई चैंपियन बन गये, जो उनके चार खिताबों में पहला खिताब था। जापानी दिग्गज हीरो यूकी ऑल इंग्लैंड ओपन में वूमेंस सिंगल्स का खिताब जीतने वाली पहली एशियाई (1969) हैं।
साल 1980 में भारत के प्रकाश पादुकोण ने ऑल इंग्लैंड चैंपियन बनने वाले पहले भारतीय थे। इस जीत ने उन्हें बैडमिंटन के ओपन युग में पहला मेंस सिंगल्स ऑल इंग्लैंड खिताब विजेता भी बना दिया, जो 1979 के अंत में शुरू हुआ था।
पुलेला गोपीचंद (2001) प्रतिष्ठित खिताब जीतने वाले एकमात्र अन्य भारतीय हैं।
ओपन युग में एशियाई खिलाड़ी ऑल इंग्लैंड टूर्नामेंट में हावी रहे हैं, विशेषकर चीनी शटलर जिन्होंने 1982 से भाग लेना शुरू किया था।
चीनी के दिग्गज लिन डैन ओपन युग में ऑल इंग्लैंड में सबसे सफल खिलाड़ी रहे हैं, जिनके नाम छह मेंस सिंगल्स का खिताब है। मलेशिया के ली ज़ी जिया मौजूदा समय में मेंस चैंपियन हैं जबकि जापान की नोज़ोमी ओकुहारा महिला वर्ग की चैंपियन हैं।
ऑल इंग्लैंड ओपन क्रमशः प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के कारण 1915 से 1919 और 1940 से 1946 तक आयोजित नहीं किया गया था।