जीतने पर ध्यान मत दो बल्कि वो करो जो आप करना पसंद करते हो - एग्नेस केलेटी
100 वर्ष पूरी कर चुकी ओलंपिक खिलाड़ी एग्नेस केलेटी परेशानियों को झेलकर और कई तरह की तकलीफों से आगे बढ़कर युग की चैंपियन बन गई। जुलाई 2021 में होने वाले टोक्यो 2020 खेलों से पहले इस सौ वर्षीय खिलाड़ी ने अपनी कहानी और कुछ पसंदीदा यादों को साझा किया और प्रतियोगिता में हिस्सा लेनेवालों को शुभकामनाएं दी।
" आपको जीवन प्यार करने के लिए मिला है और हमेशा इसके अच्छे पक्ष को देखना चाहिए।"
Olympics.com से बात करते हुए दुनिया की सबसे उम्रदराज जीवित महिला ओलंपिक चैंपियन एग्नेस केलेटी बताती है कि उनके सौ साल का रहस्य यही है, अपने साक्षात्कार में उन्होने अपने तजुर्बे और बुद्धिमता की बात की।
जीवन के इस अर्थ को समझने के लिए यह एक ऐसा ज्ञान है जिसमें हर तरह की बातें शामिल है, इसमें उपलब्धि, तकलीफें, हार कर जीतना और कैसे हानि होने के बाद आप जीवन में आगे बढ़ पाते है, कुछ ऐसा ही बता रही है एग्रेस केलेटी।
अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए युवा जिमनास्ट ने जब शुरुआत की. तो केलेटी ने कभी भी बाहरी परेशानियों से मिलने वाली तकलीफों और अराजकता के बारे में नहीं सोचा, शायद इसी वजह से उन्हें शुरूआती दौर में करियर को आगे बढ़ाने में दिक्कतें हुई।
16 साल की उम्र में पूरी इमानदारी और उम्मीद के साथ, इस युवा जिमनास्ट ने हंगरी की राष्ट्रीय जिम्नास्टिक चैंपियनशिप जीती। उसके बाद उनकी निगाह खेल के सबसे बड़े मंच यानि की ओलंपिक में प्रदर्शन करने पर टिकी थी। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध के नुकसान ने सब कुछ बदल दिया।
इस दौरान केलेटी का देश नाजियों के कब्जे में आ गया था, और अपने यहूदी वंश के कारण केलेटी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, इतना ही नहीं जिंदा रहने के लिए उन्होंने अपनी पहचान को छिपाकर रखा और एक ईसाई नौकरानी बनकर काम करना पड़ा।
इसकी वजह से खुद उनकी और मां और बहन की जान तो बच गई, लेकिन उनके पिता और दूसरे रिश्तेदार ऑशविट्ज़-बिरकेनौ कॉनसनट्रेशन शिविर में मारे गए।
केलेटी की जिम्नास्टिक में वापसी
युद्ध खत्म होने के बाद, केलेटी ने अपने जिमनास्टिक करियर में लौटने का फैसला किया। उनकी निगाहें एक बार फिर ओलंपिक में भाग लेने पर टिकी थीं।
हलांकि लंदन 1948 में लिगामेंट की चोट की वजह से उन्हे बाहर होना पड़ा। बता दें कि केलेटी का यह लगातार तीसरा ओलंपिक खेल था जिसे वह याद करेंगी।
चार साल बाद, केलेटी ने आखिरकार वह करिश्मा कर दिखाया।
हेलसिंकी 1952 में उन्होंने अपना ओलंपिक डेब्यू किया। अपने आप में यह एक जबरदस्त कमाल था, कि 31 साल की उम्र में केलेटी दूसरे प्रतिस्पर्धियों से काफी आगे थी, बता दें कि उनके दूसरे प्रतिद्वंद्वियों की औसत आयु 23 वर्ष थी।
एक गोल्ड, एक रजत और दो कांस्य पदक हासिल करके केलेटी ने फिनलैंड की राजधानी को अलविदा कह दिया।
उनके अंदर काफी लंबे समय से ओलंपिक में लौटने और अपनी जिमनास्टिक क्षमता को दिखाने की जद्दोजहद चल रही थी, वह भी तब से जब वह 1937 में पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पहुंची थी।
1956 में मेलबर्न ओलंपिक खेलों में उन्होंने दुनिया को हैरान कर दिया, क्योंकि उन्होंने महान सोवियत जिमनास्ट लारिस लैटिनिना (Laris Latynina) के सामने उनके छह पदक जीतने से पहले अपना बेस्ट दिया था, जिनमें से चार स्वर्ण उनके थे।
उनके सभी दस पदकों में, उनका सबसे पहला पदक वह है जो उन्हें सबसे खास है।
"मेरे लिए फ्लोर एक्सरसाइज मे मिला गोल्ड मेडल सबसे खास है" - Olympics.com से केलेटी ने बताया -
"यह मेरा पसंदीदा है क्योंकि फ्लोर एक्सरसाइज़ वह जगह है जहां मैं वह करती हूं जो मैं चाहती हूं, मैं वैसे ही दिखती हूं जैसे की मैं हूं
जिमनास्टिक डिसिप्लिन अपेरेटस के इर्द गिर्द तक ही सीमित है, , जबकि फ्लोर पर जिमनास्ट खुद को आसानी से व्यक्त कर सकता है
एक महिला प्रतियोगी के रूप में केलेटी बताती है कि उन्हें अच्छे रिजल्ट के लिए आस पास के पुरूषों की तुलना में दोगुनी मेहनत करनी पड़ती थी, उनका पहला गोल्ड मेडल इसी बात का प्रमाण है।
केलेटी के लिए जिम्नास्टिक का सफर यहीं नहीं रुका।
हंगरी में राजनीतिक तनाव की वजह से , केलेटी ने साल 1957 में इज़राइल जाने से पहले ऑस्ट्रेलिया में शरण मांगी। वहां उन्होंने इज़राइली राष्ट्रीय जिम्नास्टिक टीम की कोच बनने के लिए प्रशिक्षण लिया।
वह अपने इच्छुक छात्रों को सिर्फ एक चीज सबसे ऊपर सिखाती थी: "बार - बार किए गए अभ्यास से ही परिणाम मिलते है!"
केलेटी ने अपने सपनों को साकार करने की राह पर जो कुछ भी देखा है, उनके साथ इस सौ वर्ष की चैंपियन ने ज्ञान के कई मोती हासिल किए हैं, जिससे इस गर्मी में टोक्यो 2020 में हिस्सा लेनेवाले खिलाड़ी बहुत कुछ सीख सकते है।
केलेटी अपनी सबसे अच्छी सलाह साझा करते हुए बताती है कि "सिर्फ परिस्थितियों से निपटना नहीं, बल्कि आप कहां है कैसे दिखते है, इसकी बजाय आपको सर्वश्रेष्ठ करना जरूरी है।
"जीतने पर ध्यान मत दो, बल्कि जो भी कर रहे हो इसलिए करो कि आप उससे प्यार करते हो" - एग्नेस केलेटी
ओलंपिक मशाल केलेटी के लिए कुछ इस तरह है जिससे उनके जीवन में स्थिरता बनी हुई है, जबकि दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है, बता दें कि उनकी पसंदीदा ऐतिहासिक स्मृति चंद्रमा पर मनुष्य का पहला कदम है।
खेलों के प्रति केलेटी का प्रेम अनंत है। वह अभी भी खेल देखना पसंद करती है लेकिन जो उनके लिए सबसे बढ़कर है वो है जिमनास्टिक।
सिमोन बाइल्स (Simon Biles) एक जिमनास्ट, जो केलेटी की तरह, हमेशा के लिए इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएंगी।
केलेटी ने कहा, "मुझे यह देखकर बेहद खुशी होगी अगर उनके नाम पर और भी एक्सरसाइज का नामकरण किया जाता है।" किसी भी जिमनास्ट के लिए इससे बड़ा सम्मान और कुछ भी नहीं हो सकता है कि आपकी नई रचना को इस तरह से सम्मानित किया जाए। बाइल्स के नाम पहले से ही चार एक्सरसाइज का नामकरण किया जा चुका है।
"मैं उनके लिए उम्मीद करती हूं कि उन्होने जो कुछ भी योजना बनाई है वह इस ओलंपिक में साकार हो जाएगी।"
एग्नेस केलेटी का जीवन ओलंपिक भावना के साथ जीने की परिभाषा है। उनकी कहानी सभी को सिखाती है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह की विपरीत परिस्थितियों को पार कर भी महानता हासिल कर सकता है।