टेबल टेनिस के नियम, स्कोरिंग सिस्टम और पिंग पॉन्ग के बारे में वह सब कुछ जो आपको जानना चाहिए
टेबल टेनिस पहली बार सियोल में हुए 1988 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में शामिल किया गया था और इसके बाद से लगातार यह खेल ओलंपिक खेलों का हिस्सा रहा है। इसलिए यहां हम आपके लिए टेबल टेनिस के आधिकारिक नियम सहित हर जरूरी जानकारी लेकर आए हैं।
एक ऐसा खेल जहां रफ़्तार और रोमांच का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है। हम बात कर रहे हैं टेबल टेनिस (Table Tennis) की, ये खेल की दुनिया के सबसे रोमांचक गेम में से एक है।
दरअसल ये एक ऐसा खेल था जो विक्टोरियन युग में इंग्लैंड के रईस खेला करते थे, इस गेम को शुरुआती समय में पिंग-पॉन्ग कहा जाता था। जिसे 1922 में टेबल टेनिस के नाम से जाना जाने लगा। पहले इस खेल में यूरोपियन्स देशों का ख़ासतौर से हंगरी का दबदबा था।
हालांकि 1950 आते-आते टेबल टेनिस का ये गेम एशिआई उप-महाद्वीप में काफ़ी लोकप्रिय हो चुका था।
चीन में टेबल टेनिस का पहला वर्ल्ड कप होने के 8 साल बाद ही सियोल में हुए 1988 समर ओलंपिक में इसे जगह मिल गई थी।
आपके लिए हम लेकर आए हैं टेबल टेनिस के वह सारे नियम, खेलने का सामान (इक्युपमेंट) और कैसे इसे खेला जाता है।
टेबल टेनिस के उपकरण
टेबल टेनिस टेबल - टेबल टेनिस के आधिकारिक नियमों के अनुसार, खेल एक 2.74 x 1.53-मीटर आयताकार टेबल पर खेला जाता है जिसे फ़ाइबर वुड से बनाया जाता है और इसे दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है।
टेबल पर डार्क और ग्लॉसी पेंट की परत रहती है, जो इसे मैट फिनिश देती है। टेबल पर दो सेंटीमीटर मोटी लाइन की सीमा होती है, जो खेल की सतह को चिह्नित करती है।
टेबल को एक जाल द्वारा दो हिस्सों में विभाजित किया जाता है जो पोल के ज़रिए टेबल के साथ जुड़ा होता है। टेबल टेनिस के नेट की ऊंचाई 15.25 सेंटीमीटर रहती है।
टेबल टेनिस रैकेट - बैट, जिसे आमतौर पर 'रैकेट' या 'पैडल' के रूप में संदर्भित किया जाता है, लगभग 17 सेमी लंबा और 15 सेमी चौड़ा होता है, जो मुख्य रूप से लकड़ी का बना होता है। इसके दोनों ओर रबर की सतह होती है - काली और लाल - जो गेंद पर स्पिन और दिशा देने में खिलाड़ियों की मदद करती है।
टेबल टेनिस गेंद - गेंद, आमतौर पर नारंगी या सफेद होती है, इसका वजन लगभग 2.7 ग्राम होता है और यह नियम और विनियमों के अनुसार 40 मिलीमीटर के व्यास के साथ गोलाकार होता है।
कैसे खेलते हैं टेबल टेनिस?
टेबल टेनिस में सर्व और सर्विस के नियम
एक टेबल टेनिस मैच की शुरुआत अंपायर द्वारा सिक्का-उछालने (टॉस) के साथ होती है। विजेता के पास पहले गेंद की सर्विस करने, उसे प्राप्त करने या जिस टेबल के किस ओर खेलना चाहते हैं, उसे चुनने का अधिकार रहता है।
सर्विस करने वाले को एक खुली हथेली के साथ गेंद को पकड़ना होता है, इसे ऊपर उछालना पड़ता है और इसे इस तरह से मारना होता है कि गेंद दूसरी तरफ नेट पार करने के बाद पहले टेबल से टकराकर फिर हवा में उछले।
हालांकि, रिसीवर इसे नेट पर मारकर और टेबल के प्रतिद्वंद्वी के आधे हिस्से में लौटा सकता है। अगर खिलाड़ी गेंद के उछलने से पहले वापस करने का प्रयास करता है, तो ये फाउल कहा जाता है।
जबकि सिंगल्स प्रतियोगिता में सर्विस नियम के मुताबिक़ सर्वर को विपरीत छोर पर टेबल के किसी भी हिस्से में सर्विस करने की अनुमति देता है। लेकिन युगल में सर्विस को टेबल में तिरछी ओर (डायगोनली) खेलना होता है। यहां, सर्विस करने वाला खिलाड़ी टेबल के दाईं ओर से खेलता है
टेबल टेनिस में प्वाइंट्स कैसे हासिल किया जाता है?
टेबल टेनिस का उद्देश्य गेंद को इतनी तेजी के साथ मारना है कि प्रतिद्वंदी गेंद के साथ संपर्क बनाने में विफल रहता है, जिससे खिलाड़ी को एक अंक मिलता है।
हालाँकि, अगर गेंद नेट से टकराती है और यह प्रतिद्वंदी की ओर टेबल के आधे छोर पर उछलने में विफल रहती है, या इसे टेबल के संपर्क में आए बिना नेट और सीमा के ऊपर हिट करती है, तो प्रतिद्वंदी को एक अंक मिल जाता है।
दूसरी ओर युगल में नियम थोड़ा और मुश्किल हो जाता है। यहाँ, टेबल के प्रतिद्वंदी पक्ष पर गेंद को धकेलने का प्रयास करते हुए सर्वर और उनके जोड़ीदार को बदल-बदल कर सर्विस करना होता है। और ठीक इसी तरह सर्विस का जवाब भी बदल-बदल कर दोनों साथी देते हैं।
अगर आप गेंद को खेल की सतह से बाहर मारते हैं या गेंद शॉट के दौरान आपके शरीर के किसी भी हिस्से के संपर्क में आती है तो प्रतिद्वंदी के स्कोर में एक अंक का इज़ाफ़ा हो जाता है।
टेबल टेनिस में विजेता कैसे बनता है ?
टेबल टेनिस के नियमों के अनुसार, एक खिलाड़ी टेबल टेनिस का खेल 11 अंक हासिल करते हुए जीत सकता है - हर उल्लंघन के लिए एक अंक दिया जाता है। हर खिलाड़ी को लगातार दो बार सर्विस मिलती है। जो भी पहले 11 अंक प्राप्त कर लेता है उसे विजेता घोषित किया जाता है।
अगर अंक 10-10 से बराबरी पर है, तो एक खिलाड़ी को खेल को जीतने के लिए दो अंकों की बढ़त लेनी होती है।
मैच जीतने के लिए गेम जीतने होते हैं, मैच के हिसाब से गेमों की संख्या तय होती है, ये प्रतियोगिताओं और कैटेगरी पर निर्भर करती है।
जबकि एकल मैच आम तौर पर बेस्ट ऑफ़ 7 होता है, जबकि डबल्स इवेंट में विजेता का फ़ैसला बेस्ट ऑफ़ 5 से आता है।
टेबल टेनिस के शॉट्स
गति और कोण बदलकर, खिलाड़ी अपनी सीमा और शॉट्स के हिसाब से अलग अलग शॉट्स खेल सकते हैं। यह उनके खेल को बेहतर बनाने में मदद करता है।
कुछ लोकप्रिय शॉट्स इस तरह हैं:
टॉप-स्पिन: यह खेल में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले हमलावर शॉट्स में से एक है। यहाँ, खिलाड़ी पैडल के नीचे की तरफ ग्लाइड करता है, जबकि इसे 45 डिग्री के कोण पर रखते हुए गेंद को मारता है। गेंद उछलने के बाद घूमती है, जिससे विरोधी के लिए समय पर वापसी को अंजाम देना अपेक्षाकृत कठिन हो जाता है।
ब्लॉक: यह उन शुरुआती शॉट्स में से एक है जिसे गेम में पेश किए जाने के दौरान एक टेबल टेनिस खिलाड़ी को सिखाया जाता है। टेबल के चौकोर भाग में, खिलाड़ी ओपन फ़ेस के साथ पैडल रखता है, टेबल के सामने वाले पैडल साइड का उपयोग करके गेंद को लौटाता है।
चॉप: यह एक रक्षात्मक शॉट है जो कई खिलाड़ी स्पिन का उपयोग करने के लिए प्रयास करते हैं। टेबल से दूर रहते हुए, यहाँ, खिलाड़ी पैडल के शीर्ष भाग का उपयोग करते हैं, इसे गेंद के निचले आधे हिस्से के साथ संपर्क बनाते हुए 45 डिग्री के कोण पर नीचे की ओर धकेलते हुए खेला जाता है।
इसे फोरहैंड (सीधे बैट से) और बैकहैंड (उल्टे बैट से) दोनों के साथ खेला जा सकता है।
ओलंपिक में टेबल टेनिस
ओलंपिक में टेबल टेनिस का आयोजन पुरुषों और महिलाओं के लिए दो श्रेणियों में किया जाता है - टीम स्पर्धा और एकल प्रतियोगिता। एक टीम इवेंट में मैच बेस्ट ऑफ़ 5 में होता है, जबकि एकल में बेस्ट ऑफ़ 7 के आधार पर विजेता का फ़ैसला किया जाता है।
टेबल टेनिस की शुरुआत ओलंपिक में सबसे पहले सियोल में 1988 समर ओलंपिक में हुई थी, टेबल टेनिस में शुरू में एकल और युगल वर्ग में प्रतिस्पर्धाएं होती थीं। हालाँकि, इसे बीजिंग 2008 में संशोधित किया गया था, जहाँ युगल स्पर्धाओं में पुरुष और महिला दोनों वर्गों में टीम प्रतियोगिता की भी शुरुआत की गई।
चीन ने इस खेल में अपना वर्चस्व बना रखा है, उनके नाम 53 पदक हैं जिनमें से 28 स्वर्ण हैं। दक्षिण कोरिया 18 पदकों के साथ चीन के बाद है, जिनमें से उन्होंने तीन स्वर्ण जीते हैं।