आईओसी रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप-धारक (IOC Refugee Athlete Scholarship) रोज लोकनीयन नाथिके ने ब्राजील में 2016 ओलंपिक खेलों में इतिहास रचा था, जब उन्हें पहली बार रिफ्यूजी ओलंपिक टीम के लिए ध्वज धारक होने का सम्मान दिया गया।
दक्षिण सूडान में जन्मी एथलीट 2021 में आगामी टोक्यो 2020 खेलों के लिए अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं। वहीं, उन्हें रियो में 800 मीटर में अपने 7वें पायदान से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है।
दुनिया भर के सभी एथलीटों की तरह, इस 27 वर्षीय एथलीट को भी वैश्विक महामारी के कारण होने वाली अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हमेशा परिस्थितियों का डटकर सामना किया। रोज लोकनीयन नाथिके ने ओलंपिक चैनल और Tokyo2020.org से बात करते हुए कहा, "खेल मेरे लिए सब कुछ है" और "यह मेरा जुनून है, इससे मुझे एक नई उम्मीद मिली है।"
वहीं, आगे उन्होंने कहा, "आप उम्मीद कभी भी मत छोड़िए, ट्रेनिंग जारी रखिए। इस महामारी से हमें मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह जरूर खत्म हो जाएगा।"
रोज लोकनीयन नाथिके ने आगे कहा, "आप उम्मीद कभी भी मत छोड़िए, ट्रेनिंग जारी रखिए। इस महामारी से हमें मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह जरूर खत्म हो जाएगा।"
आपको बता दें कि जब वो मुश्किल से 10 साल की थी, तब गृहयुद्ध के दौरान नाथिके और उनका परिवार दक्षिण सूडान से पैदल भाग गया था, जहां इस दौरान स्थानीय सेना उनके गांव आ गई थी।
इसके बाद वो और उनका परिवार उत्तर पश्चिमी केन्या में काकुमा रिफ्यूजी कैंप में आ गए, जहां उन्होंने अपने शौक के लिए दौड़ना शुरु किया। इस दौरान नाथिके ने दौड़ प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरु किया। वहीं, उन्हें 2015 में केन्या की राजधानी नैरोबी के बाहर, नोंग में टेगला लोरौप रिफ्यूजी ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग के लिए चुना गया।
जहां तीन बार के ओलंपियन लोरूपे के मार्गदर्शन में नाथिके ने ट्रेनिंग लेना शुरु किया। इसके बाद नाथिके ने अपनी प्रतिभा को दिखाया, और पहली बार रिफ्यूजी ओलंपिक टीम के हिस्से के रूप में रियो में ओलंपिक खेलों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए चुना गया।
तब से, उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद नाथिके ने वर्ल्ड एथलेटिक्स की रिफ्यूजी टीम के हिस्से के रूप में 2017 और 2019 IAAF विश्व चैंपियनशिप में भी हिस्सा लिया। जहां वो 8वें और 7वें स्थान पर रहीं।
बताते चलें कि पिछले साल लॉकडाउन के कारण उनके ट्रेनिंग सेंटर को बंद कर दिया गया। जिसके बाद उन्हें अपने काकुमा रिफ्यूजी सेंटर में वापस जाना पड़ा, जहां लगभग 200,000 रिफ्यूजी रहते हैं।
नाथिके ने बात करते हुए कहा, "यह [काकुमा] मेरे लिए घर है, यहीं मेरा परिवार रहता है, इसलिए मुझे कहीं और नहीं जाना है।"
ट्रेनिंग के आर्थिक मदद के साथ, और अन्य 54 रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप-धारकों को 2021 तक बढ़ाया गया है। जहां नाथिके अब अपने आने वाले गेम्स पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं ताकी जापान में होने वाले गेम्स में अपना सर्वश्रष्ठ प्रदर्शन दे सकें।
रोज लोकनीयन नाथिके ने आगे कहा, "मेरे सपने में ओलंपिक गेम्स रहता है। मैं अभी भी ट्रेनिंग कर रही हूं और इसको आगे भी जारी रखूंगी। साथ ही एक एथलीट को हमेशा तैयार रहना चाहिए।"