रिफ्यूजी एथलीट वेल शुएबो एक वक्त के बाद अपनी उम्मीदों को खो चुके थे, लेकिन कराटे के खेल ने इस सीरियाई रिफ्यूजी एथलीट के सपनों को एक नया पंख दिया।
आपको बताते चलें कि वेल सीरिया के दमिश्क के रहने वाले हैं, जहां वो एक कपड़ा कारखाने में काम करते थे, और साथ ही एक कराटे कोच भी थे।
लेकिन साल 2015 में, युद्ध की आशंका के साथ उन्होंने महसूस किया कि उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए शहर से भागने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
जहां वो रबर की नाव के माध्यम से तुर्की गए और फिर वो बाइक से मैसेडोनिया गए। उसके बाद उन्होंने आखिरी में अपना ठिकाना जर्मनी को बनाया, जहां वह अब रहते हैं और ट्रेनिंग लेते हैं।
फिलहाल शुएबो अब जर्मन भाषा सीख गए हैं, और वहां पर बच्चों और युवाओं को कराटे सिखाते हैं। इसके साथ ही वह अब वहां के माहौल में पूरी तरह ढल चुके हैं।
आपको बताते चले कि कराटे ने उन्हें यूरोप में अपने नए जीवन को शुरु करने में काफी मदद की। कराटे पहली बार टोक्यो 2020 में शामिल हुआ है,इसके साथ ही साल 2018 में वेल शुएबो को ये जानकारी मिली की उन्हें आईओसी रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप (IOC Refugee Athlete Scholarship) के लिए चयनित किया गया है, जिसे सुनकर उनका खुशी का ठिकाना नहीं रहा। फिलहाल इस स्कॉलरशिप से वह अपनी ट्रेनिंग आसानी से कर सकते हैं।
शुएबो ने कहा उनके लिए खेल एक सफलता की कुंजी है: "खेल आपके आगे बढ़ने के लिए दरवाजे खोलता है। खेल सभी भाषाएं बोलने और समझने में सक्षम है। एक प्रकार के खेल के अंदर सब कुछ समाहित है।
वहीं, शुएबो जर्मनी में अपने खेल में 10वें नंबर पर हैं, आपको बता दें कि साल 2020 की शुरुआत में हैम्बर्ग में जर्मन चैंपियनशिप में आयोजित हुई थी, जो कोविड वायरस महामारी के पहले आखिरी बड़ा इवेंट था। जिसमें वह व्यक्तिगत प्रतियोगिता में दसवें स्थान पर रहे थे
वहीं, 2009 के सीरियाई नेशनल चैंपियन अपने नए जीवन से पूरी तरह से खुश हैं
बताते चलें कि शुएबो ने इस वार में अपने बहनोई को खो दिया था, और कभी-कभी अपनी बहन का मैसेज पाने के लिए काफी लंबे समय तक का इंतजार करना पड़ता है, जो इस वार में अपने पांच बच्चों के साथ शहर से भाग गई थी
इसके साथ ही उनके मातृभूमि में चिकित्सा की बुनियादी ढांचा की हालत बहुत खराब है, जो कोरोनो वायरस महामारी से निपटने में बहुत सक्षम नहीं है।
उन्होंने Newsy Today से बात करते हुए कहा, "यह उनके लिए बहुत मुश्किल है। दुर्भाग्य से, मैं उनके लिए शायद ही कुछ कर सकता हूं।"
फिलहाल इस एथलीट की नजर टोक्यो 2020 में खेलने पर टिकी हुई है, जिससे दुनिया भर के सभी रिफ्यूजियों को एक नई उम्मीद मिल सके।
उन्होंने आगे कहा, "मैं उन्हें ताकत देने की कोशिश करता हूं और यह दिखाना चाहता हूं कि आप एक रिफ्यूजी के रूप में क्या हासिल कर सकते हैं।