विश्व बैडमिंटन रैंकिंग के आधार पर पीवी सिंधु के करियर पर एक नज़र डालें 

पीवी सिंधु के करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग नंबर-2 रही है और वो काफी समय तक शीर्ष -10 खिलाड़ियों में बनी रही हैं।

6 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
PV Sindhu
(2021 Getty Images)

दो बार की ओलंपिक पदक विजेता, विश्व चैंपियन और BWF वर्ल्ड टूर फाइनल चैंपियन पीवी सिंधु इतिहास में भारत की सबसे बड़ी दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी हैं

पीवी सिंधु ने शुरुआत से ही अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, उन्होंने 2012 में एशियन जूनियर चैंपियनशिप के फाइनल में जापान की प्रतिद्वंद्वी नोजोमी ओकुहारा को हराकर खिताब जीता।

हालांकि भारतीय बैडमिंटन स्टार पहले ही 2009 में इंडिया ओपन में एक सीनियर इवेंट में खेल चुकी थीं और उस साल के अंत में वो दुनिया की 255 वें नंबर की खिलाड़ी बन गई थीं।

पीवी सिंधु पहली बार तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने 2013 BWF विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। उसके बाद से उनके प्रदर्शन में साल-दर-साल लगातार सुधार हुआ है और बैडमिंटन रैंकिंग में उनके आगे बढ़ने का सफर उनकी साख को दर्शाता है।

पीवी सिंधु ने शीर्ष 100 में बनाई जगह

पीवी सिंधु की रैंकिंग में पहली बड़ी छलांग फरवरी 2010 में देखने को मिली, जब वो ईरान फज्र इंटरनेशनल चैलेंज के फाइनल में पहुंचीं, जहां वो जापान की री एटोह से हार गईं। जिसके बाद 255 से 87 स्थान की छलांग लगाकर वो दुनिया की नंबर 168वीं खिलाड़ी बन गईं।

इंडियन ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेंट में राउंड ऑफ-16 में पहुंचने के बाद उस समय की 15 वर्षीय खिलाड़ी जून 2010 में 154वें स्थान पर पहुंच गईं। तब वो 160 से 190 की रैंकिंग के बीच में रहीं।

वो तब भी जूनियर स्तर के टूर्नामेंट खेल रही थीं और जनवरी 2011 में विश्व नंबर 150 पर पहुंच गईं। ये वो साल था जब पीवी सिंधु ने नियमित रूप से सीनियर स्तर पर खेलना शुरू किया था।

जुलाई 2011 में इंडोनेशिया इंटरनेशनल चैलेंज जीतने के बाद वो दुनिया की 103वें नंबर की खिलाड़ी बन गईं। पीवी सिंधु ने एक हफ्ते बाद शीर्ष -100 में जगह बनाई, जब वो 4 अगस्त 2011 को दुनिया की 98 वें स्थान पर पहुंचीं।

सितंबर 2011 में वियतनाम ग्रां प्री ओपन में क्वार्टर फाइनल में पहुंचने के बाद भारतीय सनसनी जल्द ही विश्व में 75 वें नंबर पर आ गईं।

2011 के भारत और स्विस इंटरनेशनल चैलेंज टूर्नामेंट में खिताब और 2011 के डच ओपन में उपविजेता रहने के बाद पीवी सिंधु ने लंबी छलांग लगाई और दुनिया की 31वें नंबर की खिलाड़ी बनकर सामने आईं।

साल 2012 रहा शानदार: शीर्ष 20 में किया प्रवेश

भारत की उभरती हुई बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने जनवरी 2012 में शीर्ष -30 में प्रवेश किया और उस साल मार्च में अपना पहला ऑल इंग्लैंड ओपन खेला, जिसमें वो चीनी ताइपे की दिग्गज ताई त्ज़ु यिंग से राउंड ऑफ-32 में हार गई थीं।

उस साल कुछ मिले-जुले परिणाम रहे लेकिन उन्होंने जुलाई में एशियन जूनियर चैंपियनशिप खिताब को अपने नाम कर लिया।

सितंबर 2012 में पीवी सिंधु के सीनियर करियर का सबसे महत्वपूर्ण पल आया। उन्होंने चीन मास्टर्स के क्वार्टर फाइनल में तत्कालीन ओलंपिक चैंपियन, चीन की ली ज़ुएरुई को हराकर सेमीफाइनल से बाहर कर दिया।

पीवी सिंधु ने इस इवेंट के बाद शीर्ष -20 में प्रवेश किया, तब वो विश्व नंबर 20वीं खिलाड़ी बनीं। उन्होंने सैयद मोदी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में फाइनल तक का सफर तय किया, जहां वो इंडोनेशिया की लिंडावेई फनेत्री से हार गईं और 2012 में विश्व नंबर 19 बनकर साल का अंत किया।

शीर्ष 10 में पहुंचीं पीवी सिंधु

पीवी सिंधु ने इंडिया ओपन के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया और मलेशिया ग्रां प्री गोल्ड का खिताब जीतने के बाद मई 2013 में विश्व रैंकिंग में 13वां स्थान हासिल किया।

पीवी सिंधु ने पहली बार अगस्त 2013 में दुनिया के शीर्ष 10 में जगह बनाई, BWF विश्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन के बाद वो विश्व नंबर 10 की खिलाड़ी बन गईं, जहां वो सेमीफाइनल में थाईलैंड की रतचानोक इंतानोन से हार गई थीं।

हालांकि वहां पीवी सिंधु कांस्य पदक जीतने में सफल रहीं, जिससे वह BWF विश्व चैंपियनशिप पदक जीतने वाली पहली भारतीय शटलर बन गईं। उन्होंने चीनी दिग्गज वांग यिहान और वांग शिजियान को हराया था – उस साल वांग शिक्सियन पर उनकी दूसरी जीत थी – जहां कांस्य पदक मैच में उन्होंने चीनी खिलाड़ी को शिकस्त दी।

वो 2013 में मकाऊ ओपन खिताब के साथ विश्व नंबर 11 स्थान पर बनीं रहीं। पीवी सिंधु की रैंकिंग 2014 और 2015 तक स्थिर रही। उन्होंने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों और 2014 BWF विश्व चैंपियनशिप में कांस्य जीता और लगातार तीन मकाऊ ओपन खिताब अपने नाम किए।

पीवी सिंधु चोट के कारण 2015 के पहले तीन महीनों तक एक्शन से दूर रहीं और मई 2015 में वो विश्व नंबर 14वीं खिलाड़ी बन गईं, जो पिछले कुछ सालों में उनकी सबसे निचली रैंक थी।

हालांकि, उन्होंने जल्द ही इन सब पर काबू पा लिया और 2016 की शुरुआत मलेशिया मास्टर्स खिताब के साथ की। उसके बाद उन्होंने रियो 2016 में ऐतिहासिक ओलंपिक रजत पदक जीता

एक चाइना ओपन खिताब, हांगकांग ओपन के फाइनल का सफर और 2016 सुपरसीरीज फाइनल्स के सेमीफाइनल में पहुंचने का मतलब था कि पीवी सिंधु ने साल का अंत दुनिया की छठे नंबर की खिलाड़ी बनकर किया, जो उनकी उस समय की सर्वोच्च रैंकिंग थी।

पीवी सिंधु करियर की सर्वश्रेष्ठ नंबर-2 रैंकिंग पर पहुंचीं

बैडमिंटन जगत की एक दिग्गज खिलाड़ी बन चुकीं पीवी सिंधु ने 2017 की शुरुआत सैयद मोदी और इंडिया ओपन खिताब के साथ की, बाद के फाइनल में उन्होंने स्पेन की कैरोलिना मारिन को हराया।

इस परिणाम के बाद 6 अप्रैल, 2017 को पीवी सिंधु ताई त्ज़ु यिंग के बाद विश्व नंबर 2 खिलाड़ी बन गईं, जो उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है।

साल 2017 के आगे के कुछ महीनों में वो शीर्ष पांच में रहीं और उस साल पहली बार BWF विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची, जहां नोज़ोमी ओकुहारा के साथ एक कड़े मुक़ाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

पीवी सिंधु ने कोरिया ओपन जीता और हांगकांग ओपन और दुबई सुपरसीरीज फाइनल में फाइनल तक का सफर तय किया, और इस साल के अंत तक वो विश्व की तीसरे नंबर की खिलाड़ी बन गईं।

तब से भारतीय बैडमिंटन स्टार बड़े टूर्नामेंटों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करती रही हैं, उन्होंने 2018 में पहले BWF वर्ल्ड टूर फाइनल और 2018 राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों और BWF विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता।

लगातार रजत पदक जीतने के बाद, पीवी सिंधु 2019 में फाइनल में नोजोमी ओकुहारा को हराकर भारत की पहली बैडमिंटन विश्व चैंपियन बनीं।

उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भी इतिहास रचा, दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला और सुशील कुमार के बाद सिर्फ दूसरी भारतीय एथलीट बनीं। टोक्यो में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। इसके अलावा पीवी सिंधु राष्ट्रमंडल खेल 2022 की स्वर्ण पदक विजेता भी हैं।

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