भारतीय निशानेबाजों ने ओलंपिक में कितने पदक जीते हैं?
भारत ने ओलंपिक में निशानेबाजी में सात पदक जीते हैं। इसकी शुरुआत राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एथेंस 2004 में रजत पदक जीतने के साथ की थी जबकि मनु भाकर ने पेरिस 2024 में दो पदक अपने नाम किए।
ओलंपिक खेलों की पिछली शताब्दी में व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भारत का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं था, जहां भारत ने काफी समय तक कुछ ही पदक हासिल किए थे।
हालांकि, 21वीं सदी में ये सभी चीजें काफी तेजी से बदलीं। भारतीय निशानेबाजों ने लगातार एक के बाद एक व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने शुरू किए।
इसकी शुरुआत तब हुई जब राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एथेंस 2004 में रजत पदक जीता। इसके बाद से पिछले चार ग्रीष्मकालीन खेलों में चार अन्य भारतीयों ने भी पोडियम पर स्थान हासिल किया। पेरिस 2024 में, मनु भाकर ओलंपिक में शूटिंग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद वह एक ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। मनु भाकर ने सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मिटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम इवेंट में कांस्य पदक अपने नाम किया।
भारत ने पेरिस 2024 में निशानेबाजी में रिकॉर्ड तीन पदक जीते, जो किसी एक संस्करण में सबसे ज्यादा जीते गए पदक हैं, और इसने लंदन 2012 में जीते गए दो पदकों को पीछे छोड़ दिया।
भारतीय निशानेबाजों ने अब तक सात ओलंपिक शूटिंग मेडल जीते हैं। आइए यहां उन पदकों पर एक नज़र डालें और जानें कि आख़िर उन्होंने यह कैसे किया।
शूटिंग में भारत के ओलंपिक पदक
राज्यवर्धन सिंह राठौर - 2004 एथेंस ओलंपिक में पुरुषों के डबल ट्रैप में रजत पदक
आर्मी मैन राज्यवर्धन सिंह राठौर ने साल 2004 में उस समय सुर्खियां बटोरीं, जब वह स्वतंत्रता के बाद व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
जयपुर के शॉटगन शूटर ने एथेंस ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेने से पहले ही अपना नाम बना लिया था। उन्होंने पहले राष्ट्रमंडल खेल 2002 में स्वर्ण पदक जीता और इसके बाद 2003 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक हासिल किया।
एथेंस में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने डबल-ट्रैप इवेंट में बहुत अच्छी शुरुआत नहीं की और वह क्वालीफायर में पांचवें स्थान पर रहे। हालांकि, वह शीर्ष 6 शूटर में जगह बनाते हुए फाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहे, जहां संयुक्त अरब अमीरात के अहमद अल मकतूम शीर्ष स्थान पर थे।
अहमद अल मकतूम ने फाइनल में आसानी से स्वर्ण पदक हासिल करने के लिए अपनी बढ़त को बनाए रखा, लेकिन दूसरे स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा काफी कड़ी थी।
राज्यवर्धन सिंह राठौर ने चीन के वांग झेंग की कड़ी चुनौती को पार करते हुए रजत पदक जीता और इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में हमेशा-हमेशा के लिए अपना नाम दर्ज करा दिया।
अभिनव बिंद्रा - 2008 बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक
पिछले खेलों में राज्यवर्धन सिंह राठौर की सफलता के बाद, भारतीय निशानेबाजी दल से काफी उम्मीदें थी। खासकर अभिनव बिंद्रा से प्रशंसकों को काफी उम्मीदें थीं।
देहरादून में जन्मे अभिनव ने एथेंस ओलंपिक में क्वालिफिकेशन राउंड में ओलंपिक रिकॉर्ड बनाया, लेकिन फाइनल में अपनी बेहतरीन फॉर्म को बरकरार रखने में असफल रहे।
इसके चार साल बाद अभिनव बिंद्रा एक बार फिर ओलंपिक खेल में गौरव हासिल करने के लिए तैयार थे।
भारतीय निशानेबाज क्वालीफाइंग राउंड में चौथे स्थान पर रहे, लेकिन फाइनल में सिर्फ एक शॉट शेष रहने पर वह फिनलैंड के हेनरी हक्किनेन के साथ बराबरी करने में सफल रहे।
आखिरी शॉट में अभिनव बिंद्रा ने स्वर्ण पदक हासिल करने के लिए 10.8 का स्कोर हासिल किया, जबकि हक्किनेन केवल 9.7 का स्कोर ही हासिल कर सके। आपको बता दें कि यह अभी भी भारत का पहला और एकमात्र व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक है।
गगन नारंग - 2012 लंदन ओलंपिक में पुरुषों के 10 मीटर राइफल में कांस्य पदक
भारत को लंदन ओलंपिक खेलों में सबसे अधिक सफलता मिली और गगन नारंग सहित पूरा निशानेबाजी दल इसका एक बड़ा कारण रहा।
बीजिंग ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गगन नारंग ने फाइनल में जगह बनाने के लिए लंदन में अच्छा प्रदर्शन किया, जबकि मौजूदा चैंपियन अभिनव बिंद्रा क्वालिफिकेशन राउंड से ही बाहर हो गए।
रॉयल आर्टिलरी बैरक में हुए फाइनल में गगन नारंग ने लगातार 10 अंक हासिल करते हुए अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा और कुल 701.1 अंक के साथ कांस्य पदक हासिल किया। यह लंदन ओलंपिक में भारत का पहला पदक था।
विजय कुमार - 2012 लंदन ओलंपिक में मेंस 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में रजत पदक
राज्यवर्धन सिंह राठौर के एथेंस में रजत पदक जीतने के आठ साल बाद एक अन्य आर्मी मैन विजय कुमार ने निशानेबाजी में भारत के लिए दूसरा रजत पदक जीता। इस बार यह पदक राइफल इवेंट में आया।
भारतीय सेना में एक सूबेदार के रूप में तैनात विजय कुमार राष्ट्रमंडल खेल के चैंपियन के रूप में लंदन गए और चौथे स्थान पर रहते हुए फाइनल राउंड के लिए उन्होंने क्वालीफाई किया।
आपको बता दें कि नए निशानेबाजी नियमों के तहत क्वालिफिकेशन स्कोर फाइनल में नहीं जोड़ा जाना था, इसलिए विजय कुमार के पास नए सिरे से शुरुआत करने और आगे बढ़ने का एक अच्छा मौका था।
धीरे-धीरे निशानेबाज एलिमिनेशन में बाहर होते रहे, विजय कुमार ने अंतिम दो में बने रहने तक आगे बढ़ने के लिए शानदार शॉट लगाए। हालांकि, क्यूबा के लेउरिस पुपो ने फाइनल शॉट लगाने से पहले तक एक अच्छी बढ़त बना ली और भारतीय राइफल शूटर गगन नारंग को दूसरे स्थान पर रहते हुए रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
मनु भाकर - पेरिस 2024 ओलंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक
मनु भाकर ने महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर पेरिस 2024 ओलंपिक में भारत का पहला पदक जीता। इस तरह वह ओलंपिक शूटिंग में भारत की पहली पदक विजेता बन गईं।
एक दिन पहले, वह 20 वर्षों में ओलंपिक शूटिंग फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थीं।
मनु भाकर ने आठ महिलाओं के फाइनल में 221.7 अंक हासिल करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया। कोरिया गणराज्य की ओह ये जिन ने 243.2 के नए ओलंपिक रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता और उनके बाद उनकी हमवतन येजी किम ने स्वर्ण पदक राउंड में प्रवेश करने के लिए भाकर को पछाड़ दिया और 241.3 के फाइनल स्कोर के साथ रजत पदक जीता।
मनु भाकर ने फाइनल की जोरदार शुरुआत की और पहली सीरीज में 50.4 अंक हासिल करते हुए दूसरे स्थान पर रहीं। दूसरी सीरीज में 9.6 सेकंड के बाद वह ओह ये जिन और येजी किम से पीछे तीसरे स्थान पर खिसक गईं।
भारतीय निशानेबाज ने तीसरी सीरीज के अंत में येजी किम से दूसरा स्थान वापस ले लिया और एक बार फिर फाइनल के अंतिम चरण में भी ऐसा ही हुआ, लेकिन दक्षिण कोरियाई निशानेबाज ने भाकर को 0.1 अंक से पीछे छोड़ते हुए स्वर्ण पदक राउंड में प्रवेश किया।
मनु भाकर/सरबजोत सिंह - पेरिस 2024 ओलंपिक में मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल में कांस्य पदक
मनु भाकर ओलंपिक के एक ही संस्करण में दो पदक जीतने वाली भारत की पहली एथलीट हैं। उन्होंने पेरिस 2024 में सरबजोत सिंह के साथ मिश्रित टीम 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग स्पर्धा में एक और कांस्य पदक जीता। वह ओलंपिक में शूटिंग में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय भी बनीं। आपको बता दें, लंदन 2012 के बाद पहली बार भारत ने शूटिंग में दो पदक जीते।
कांस्य पदक के लिए हुए मैच में मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने रिपब्लिक ऑफ कोरिया के ओह ये जिन और वोनहो ली को 16-10 से हराया।
मनु ने अपने पहले शॉट में 10.2 का स्कोर करके शानदार शुरुआत की। सरबजोत सिंह के 8.6 के स्कोर ने भारत को पहले दो अंक गंवा दिए, लेकिन उन्होंने 10.5, 10.4 और 10 के स्कोर के साथ जल्दी ही वापसी की और भारत को अगले छह अंक दिलाने में मदद की।
मनु भाकर ने अपने पहले सात शॉट में ज्यादा से ज्यादा 10 का अंक हासिल किया। हालांकि, ओह ये जिन ने अपनी निरंतरता के साथ दक्षिण कोरियाई टीम को दौड़ में बनाए रखा और 8-2 से पिछड़ने के बाद मैच को 14-10 तक लेकर गए। ओलंपिक चैंपियन ने अपने अंतिम शॉट में 9 और वोनहो ली ने 9.5 का स्कोर किया, जिसके कारण भारतीय निशानेबाजों को ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतने में मदद मिली।
भारतीय निशानेबाजों ने 26 में से 19 शॉट कम से कम 10 के स्कोर पर लगाए, जबकि दक्षिण कोरियाई निशानेबाजों ने 12 शॉट कम से कम 10 के स्कोर पर लगाए।
स्वप्निल कुसाले - पेरिस 2024 ओलंपिक में पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में कांस्य पदक
पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन स्पर्धा में स्वप्निल कुसाले के कांस्य पदक के साथ भारत ने पेरिस 2024 में अपना तीसरा शूटिंग पदक जीता। इन तीन पदकों ने लंदन 2012 खेलों में भारत द्वारा जीते गए दो पदकों के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया।
फाइनल में, कुसाले पहले 15 शॉट्स के बाद नीलिंग पोजीशन में 153.3 के साथ छठे स्थान पर थे।
हालांकि, प्रोन पोजीशन में तीन सीरीज में और स्टैंडिंग पोजीशन में दो सीरीज में लगातार कुछ बेहतरीन शूटिंग के साथ कुसाले स्टेज 1 के अंत में तीसरे स्थान पर पहुंच गए, जिसके बाद उनके पीछे रहे दो निशानेबाज बाहर हो गए।
उसके बाद चरण 2 में हर एक शॉट के बाद एक एलिमिनेशन के साथ, कुसाले ने अपने अगले तीन शॉट 10.5, 9.4 और 9.9 के स्कोर किए और शीर्ष तीन में अपना स्थान बनाए रखा और अपना पदक पक्का कर लिया।
हालांकि, उनका 10.0 का अगला शॉट उन्हें स्वर्ण की रेस में बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं था। चीन के लियू युकुन ने 463.6 अंक के साथ स्वर्ण पदक जीता, जबकि यूक्रेन के सेरही कुलिश (461.3) ने रजत पदक जीता। कुसाले ने 451.4 स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता।