ग्रैंड स्लैम जीतना किसी भी पेशेवर टेनिस खिलाड़ी का सपना होता है। इस प्रतियोगिता का स्तर, इतिहास और इसके खिताब के लिए होने वाली भिड़ंत इसे और चुनौतीपूर्ण बना देता है और इसलिए ग्रैंड स्लैम में सफलता हासिल करने का मजा ही कुछ और होता है।
भारत को अभी तक चार ग्रैंड स्लैम चैंपियन मिले हैं, जिसमें ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लिएंडर पेस, महेश भूपति , सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना शामिल हैं। इन सभी ने डबल्स में जीत हासिल की है।
चारों भारतीय टेनिस खिलाड़ी डबल्स के स्पेशलिस्ट हैं। ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी महेश भूपति हैं, जिन्होंने 1997 फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स में जापान की रिका हीराकी के साथ जीत हासिल की थी।
ये जोड़ी मुख्य ड्रॉ में प्रवेश करने वाली अंतिम वरीयता प्राप्त जोड़ी थी, इसलिए उन्हें तब खिताब जीतने के दावेदारों की सूची से बाहर माना जा रहा था। इसके अलावा इन दोनों खिलाड़ियों ने ग्रैंड स्लैम शुरू होने से पहले एक हफ्ते भी साथ नहीं खेले थे।
इस तरह दोनों की तलाश हुई खत्म
1997 के फ्रेंच ओपन ग्रैंड स्लैम में महेश भूपति पहली बार मिक्स्ड डबल्स में खेलने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन उनकी उम्मीदों पर लगभग पानी फिर ही गया था।
खिलाड़ियों को मुख्य ड्रॉ के लिए अपना नाम दर्ज करने की समय सीमा दी गई थी लेकिन महेश भूपति अभी भी अपने साथी की तलाश कर रहे थे।
भूपति को पता चला कि रीका हिराकी भी अपने मुख्य साथी सतोशी इवाबुची के बाहर होने के बाद एक दूसरे साथी की तलाश में थीं। ऐसे में भूपति और हिराकी एक-दूसरे के पार्टनर बने और एक साथ खेलने के लिए तैयार हुए।
हिराकी ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में कहा, '' हम खिलाड़ियों के लिए बने लाउंज में अपने अपने पार्टनर की तलाश में निकले थे, लेकिन तभी उन्होंने मुड़कर मुझसे पूछा कि क्या मैं डबल्स पार्टनर की तलाश में हूं।”
एक हफ्ते बाद अपने पहले मुक़ाबले के लिए कोर्ट में मिलने से पहले शायद यही एक बातचीत हुई थी।
महेश भूपति ने साथी टेनिस खिलाड़ी पूरव राजा के साथ बातचीत में बताया कि हम ड्रॉ में उतरने वाली आखिरी जोड़ी थे, क्योंकि हिराकी नंबर 30वें और मैं 32वें स्थान पर थे।
घबराहट के साथ हुई थी शुरुआत
भूपति-हीरकी को फ्रेंच ओपन के पहले राउंड में बाई दिया गया। इंडो-जापानी डबल्स जोड़ी का पहला मुख्य ड्रॉ मैच क्रिस्टीन कुंस और स्कॉट डेविस के खिलाफ दूसरे दौर में हुआ।
पहला सेट ठीक उसी तरह से गया, जिस तरह उस जोड़ी से उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि दोनों ने पहले कभी एक साथ नहीं खेला था।
भूपति-हीराकी ने पहला सेट 2-6 से गंवा दिया और उन्होंने कोर्ट पर ज्यादा बातचीत भी नहीं की।
हीराकी ने कहा, "हम अपने पहले सेट में ज्यादा बात नहीं कर रहे थे। जब हम 5-2 से पिछड़ रहे थे, तो मैंने अपने बगल की कोर्ट में एक टीम को अंकों और तालमेल के लिए बातचीत करते हुए देखा।"
हीराकी ने कहा “महेश बहुत शांत थे, इसलिए मुझे लगा कि वो गुस्से में हैं। लेकिन जब मैंने उनसे बात किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि ये उनका पहला मिक्स्ड डबल्स टूर्नामेंट है। वो भी मेरी तरह नर्वस थे।”
इंडो-जापानी जोड़ी ने जल्द ही वापसी की और दूसरे सेट को 6-2 से जीत लिया। अंतिम सेट लंबे समय तक चला, जहां दोनों जोड़ी एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन भूपति-हीराकी ने इस फाइनल सेट को 9-7 से जीत कर मुक़ाबला भी अपने नाम कर लिया।
तीसरे सेट में भूपति-हीराकी के अपना असली गेम दिखाया और मैच के दौरान एक-दूसरे का आत्मविश्वास भी बढ़ाया।
इंडो-जापानी जोड़ी ने इसी लय को आगे बरकरार रखा और भूपति-हीराकी ने तीसरे दौर में छठे वरीयता प्राप्त एलेक्जेंड्रा फुसाई और डेविड एडम्स की जोड़ी को 6-3, 6-7, 6-4 से हराया।
उन्होंने क्वार्टर फ़ाइनल में आसानी से जीत दर्ज की, जहां उन्होंने अन्ना कोर्निकोवा और मार्क नोल्स को सीधे सेटों में 7-5, 6-0 से हरा दिया।
भारत के पहले ग्रैंड स्लैम विजेता
सेमी-फाइनल में भूपति-हीराकी की सबसे बड़ी परीक्षा होने वाली थी। उनके खिलाफ तब तीन बार के ग्रैंड स्लैम मिक्स्ड डबल्स चैंपियन सिरिल सुक और हेलेना सुकोवा खेलने वाले थे।
दोनों जोड़ियों को अभियान एक जैसा ही रहा था। उन्होंने भी क्वार्टर फाइनल में सीधे सेटों में जीत दर्ज की थी। जबकि पहले दूसरे और तीसरे दौर में तीन-सेट में मुक़ाबले जीते थे। कागज पर, सुक और सुकोवा फेवरेट माने जा रहे थे।
हालांकि, अंडरडॉग टैग हासिल कर चुकी इस जोड़ी ने मुक़ाबले में भूपति-हिराकी को ज्यादा परेशान नहीं किया।
महेश भूपति की तेज़ सर्विस और बेसलाइन से बेहतरीन शॉट्स और रिका हिराकी की ताकतवर ग्राउंडस्ट्रॉक ने इंडो-जापानी जोड़ी को मुक़ाबले में 6-4, 6-1 से जीत दिला दी। अब ये जोड़ी इतिहास रचने से सिर्फ एक कदम दूर थी।
फाइनल में भूपति-हीराकी का सामना अमेरिका की शीर्ष वरीयता प्राप्त लिसा रेमंड और पैट्रिक गालब्रेथ के खिलाफ होने वाला था, जिन्होंने 1996 के यूएस ओपन में एक साथ अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता था।
सभी को लग रहा था कि इस मुक़ाबले को अमेरिकी जोड़ी ही जीतेगी, लेकिन भूपति-हीराकी ने शानदार खेल दिखाया और विरोधियों को एक तरफा मुक़ाबले में हराकर क्ले कोर्ट पर 6-4, 6-1 से जीत दर्ज की और अपना पहला ग्रैंड स्लैम मिक्स्ड डबल्स का खिताब भी जीता।
इस तरह महेश भूपति पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए, जिन्होंने ग्रैंड स्लैम का खिताब जीता और 22 सालों में ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली जापानी खिलाड़ी बनीं रीका हीराकी।
ये महेश भूपति के लिए थोड़ा ज्यादा खास था क्योंकि 7 जून 1997 को उन्होंने फ्रेंच ओपन का खिताब जीता था और इसी दिन उनका 23 वां जन्मदिन था।
इंडो-जापानी जोड़ी के आगे की कहानी
महेश भूपति और रिका हीराकी ने उसके बाद दो और ग्रैंड स्लैम में भाग लिया। 1997 विंबलडन और 1997 यूएस ओपन में दोनों साथ में खेले, जहां उन्हें विंबलडन में तीसरे दौर में हार मिली तो यूएस ओपन के पहले दौर में ही हार झेलनी पड़ी।
इसके बाद दोनों अलग-अलग पार्टनर के साथ खेलने लगे क्योंकि भूपति और उनके नए कोच ने एक अलग साथी के साथ खेलने का फैसला किया।
1997 फ्रेंच ओपन में रिका हीराकी की खिताबी जीत उनके करियर का एकमात्र ग्रैंड स्लैम खिताब था, उन्होंने 30 साल की उम्र में 2001 में संन्यास ले लिया।
दूसरे ओर महेश भूपति के करियर की शुरुआत ही हुई थी, जहां उन्होंने आगे चलकर 11 और ग्रैंड स्लैम खिताब जीते। जिसमें मार्टिना हिंगिस और सानिया मिर्जा जैसे दिग्गजों के साथ जोड़ी बनाकर सात मिक्स्ड डबल्स खिताब और चार पुरुष डबल्स खिताब जीते थे।
2014 में संन्यास लेने से पहले महेश भूपति ने पांच ओलंपिक, तीन एशियन गेम्स और एक बार राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।