2014 में सिरिल टचटचेट-II ने अपने जीवन का अंत करने के बारे में सोच लिया था।
ग्लासगो में राष्ट्रमंडल खेलों में 85 किग्रा वेटलिफ्टिंग इवेंट में पांचवें स्थान पर रहने के कुछ ही हफ्तों बाद कैमरून के इस मूल निवासी ने ब्राइटन में अपने आपको कंगाल, भूखा और बेसहारा पाया।
उन्होंने बीबीसी स्पोर्ट से कहा, “मैंने काफी लंबे समय से आत्महत्या करने के बारे में सोच रहा था। मैं बस यह सबकुछ खत्म करना चाहता था।"
ग्लासगो में प्रतियोगिता खत्म करने के बाद तत्कालीन 19 वर्षीय यह एथलीट टीम कैंप से भाग गया, क्योंकि वह अपने वतन लौटने के लिए खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था और इस बारे में किसी से चर्चा भी नहीं कर सकते थे।
उन्होंने सड़कों पर अपनी रातें गुजारी और उनके पास खुद के भरण-पोषण के लिए भी कोई रास्ता नहीं था।
उन्होंने आगे कहा, "यह सबकुछ उस स्थिति तक पहुंच गया जहां मैंने सोचा कि आखिर मैं ऐसा कर ही क्यों रहा हूं? मैं समय क्यों बर्बाद कर रहा हूं? खुद की जान ही क्यों न ले लो। मैं एक नए देश में एक नए शहर में एक पुल के नीचे रह रहा था। मैं वहां किसी को नहीं जानता था।"
लेकिन तब टचटचैट ने एक निर्णय लिया, जो उनके जीवन को पूरी तरह से बदल देने वाला था।
उन्होंने समरिटंस (एक चैरिटी जो भावनात्मक संकट में किसी को भी भावनात्मक रूप से अपना समर्थन प्रदान करती है) का एक फोन नंबर देखा, और अपने फोन में बचे आखिरी बैलेंस का उपयोग करके उन्हें कॉल करने का फैसला किया।
टचटचैट ने बताया, “उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं कहां हूं और फिर मुझे लगता है कि उन्होंने पुलिस को फोन किया क्योंकि तभी मैंने पुलिस की गाड़ी को आते हुए देखा। अच्छी बात यह थी कि उन्होंने मुझे कुछ भी गलत करने से रोक लिया।"
शुरुआत में यह कोई बहुत अच्छी खबर नहीं लगती थी। हिरासत में लिए जाने के बाद इस युवक को डोवर के एक में एक इमिग्रेशन रिमूवल सेंटर में ले जाया गया, और उसे डर था कि उन्हें वापस उनके देश भेजा जा रहा है।
लेकिन जैसे-जैसे उनको शरण देने का मामला आगे बढ़ा, अच्छी चीजें नज़र आने लगीं और अंततः बर्मिंघम में उनके रहने का फिर से इंतजाम किया गया। अधिक सुरक्षित रहने की स्थिति के साथ वह अपने मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते थे, जो बीते दो बर्षों में ब्रिटेन में रहते हुए काफी बिगड़ गया था।
इसके लिए वह एक स्थानीय जीपी से मिले, जिसने उन्हें एंटीडिप्रेसेंट लेने और कुछ व्यायाम करने की सलाह दी। सौभाग्य से वह 14 वर्ष की आयु से एक वेटलिफ्टर थे, और उन्हें अपने खेल में वापस आने के लिए किसी दूसरे बुलावे की जरूरत नहीं थी।
टचटचैट ने जल्द ही अपने स्थानीय क्लब में प्रशिक्षण शुरू कर दिया और यह सब उन्होंने ब्रिटिश रिजनल चैंपियनशिप के होने से कुछ ही दिनों पहले शुरू किया था।
कई राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ 94 किग्रा और 96 किग्रा में ब्रिटिश चैंपियन बनने के बाद, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उन्हें रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप भेंट की। इस अतिरिक्त धन के साथ वह बड़े आराम से 2021 में टोक्यो ओलंपिक में रिफ्यूजी टीम में जगह बनाने की कोशिश पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम थे।
उन्होंने Olympics.com को बताया, “एक खिलाड़ी के तौर पर सभी का ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेना एक सपना होता है। टोक्यो में रिफ्यूजी ओलंपिक टीम का प्रतिनिधित्व करना किसी के लिए भी खुशी की बात होगी।”
अधिक व्यवस्थित और सुखी जीवन का माहौल मिलने की वजह से टचटचेट को अपने खेल से बाहर के भविष्य पर भी ध्यान केंद्रित करने का मौका मिला।
उन्होंने मेंटल हेल्थ नर्स बनने के लिए अध्ययन करना शुरू किया, ताकि वह अपनी तरह दुख झेल रहे दूसरे लोगों को सदमे से निकलने में मदद कर सकें। मॉडल छात्र ने मिडलसेक्स विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और अब वह अपने प्रशिक्षण को जारी रखने के साथ ही मास्टर डिग्री भी शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं।
फिलहाल उनका ध्यान टोक्यो 2020 में 96 किग्रा वेटलिफ्टिंग इवेंट के लिए क्वालीफाई करने पर है। लेकिन चाहे वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सकें या नहीं, वह खुश होंगे।
उन्होंने अपने बुरे दौर से वापसी करते हुए खुश होने पर कहा, “सच कहूं तो मुझे खेल में हिस्सा लेने के बारे में सोचकर ही ज्यादा न सोचने का हौसला मिला है।”
अन्य रिफ्यूजी खिलाड़ियों के लिए भी उनका संदेश बहुत ही आसान है: "आप भी कर सकते हैं। बस अपने प्रयास में लग जाइए!”