बैडमिंटन: जानिए रैकेट के खेल को खेलने का तरीका, नियम और इससे जुड़ी हर जरूरी जानकारी
बैडमिंटन के सभी बुनियादी नियमों के अलावा जानें इस खेल को खेलने का तरीका, कोर्ट लाइन क्या होता है, इस खेल में अंक कैसे मिलते हैं और बहुत कुछ!
बैडमिंटन दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है, जिसके प्रशंसक दुनिया भर में मौजूद हैं।
यह ओलंपिक जैसे मल्टी-स्पोर्ट प्रतियोगिताओं में मुख्य आकर्षण का केंद्र है।
बार्सिलोना 1992 के बाद से बैडमिंटन, नियमित रूप से ओलंपिक खेल का हिस्सा रहा है। अटलांटा 1996 में मिश्रित युगल की शुरुआत के बाद से अब ओलंपिक खेल में बैडमिंटन की पांच प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
ओलंपिक खेल की बैडमिंटन प्रतियोगिता में चीन ने कुल 20 स्वर्ण, 12 रजत और 15 कांस्य पदक के साथ अपना वर्चस्व बनाए रखा है। इंडोनेशिया 8 स्वर्ण, 6 रजत और 7 कांस्य पदक के साथ दूसरा सबसे सफल देश है।
हालांकि, बैडमिंटन का खेल एशिया में सबसे अधिक लोकप्रिय है। लेकिन, यह यूरोप के खिलाड़ी भी इसमें काफ़ी दिलचस्पी रखते हैं शीर्ष सम्मान के लिए नियमित रूप से अपनी चुनौती पेश करते रहते हैं जिसमें डेनमार्क के खिलाड़ियों का नाम भी शुमार है।
क्या आप बैडमिंटन के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं? यहां हम उन नियमों और उपकरणों पर एक नज़र डाल रहे हैं जिनकी खेल के दौरान आपको जरूरत होगी।
बैडमिंटन के नियम
बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (BWF) द्वारा बताए गए बैडमिंटन के नियमों का यहां एक आसान विवरण दिया गया है।
बैडमिंटन का खेल अकेले या जोड़ी में खेला जा सकता है। एकल में, दो खिलाड़ी एक-दूसरे के ख़िलाफ़ प्रतिस्पर्धा करते हैं। युगल में, खिलाड़ियों की एक जोड़ी दूसरी या विरोधी जोड़ी के ख़िलाफ़ प्रतिस्पर्धा करती है। बैडमिंटन की युगल स्पर्धा में चार खिलाड़ी शामिल होते हैं।
बैडमिंटन में स्कोर करने का तरीका
सभी एकल और युगल मैच में तीन गेम होते हैं। हर गेम में सबसे पहले 21 अंक हासिल करने वाला खिलाड़ी विजेता होता है। अगर कोई खिलाड़ी लगातार दो गेम जीत जाता है तो वह मैच का भी विजेता होता है और तीसरा गेम नहीं होता है।
प्रत्येक सर्व पर एक अंक अर्जित किया जाता है और जो भी पक्ष रैली जीतता है उसे प्रदान किया जाता है। जीतने वाले खिलाड़ी या जोड़ी को अगली सर्विस मिलती है।
यदि स्कोर 20-20 है, तो गेम जीतने के लिए एक पक्ष को दो स्पष्ट अंकों से जीतना होगा। यदि स्कोर 29-29 तक पहुंच जाता है, तो सबसे पहले 30वां अंक प्राप्त करने वाला खिलाड़ी जीतेगा।
बैडमिंटन में साइड का परिवर्तन
बैडमिंटन में, खिलाड़ियों को विशिष्ट परिस्थितियों में छोर बदलना होता है। उन्हें पहले गेम के ख़त्म होने के बाद छोर बदलना चाहिए। अगर मैच तीसरे गेम तक पहुंचता है तो उन्हें दूसरे गेम के बाद भी अपना साइड बदलना होगा। तीसरे गेम में, जब भी कोई एक खिलाड़ी/टीम 11 अंकों तक पहुंच जाती है तब छोर बदला जाता है।
बैडमिंटन में अंक कैसे मिलता है
यदि बर्डी (शटलकॉक) प्रतिद्वंद्वी के कोर्ट के हिस्से में गिरती है तो खिलाड़ी को एक अंक मिलता है। शटलकॉक अगर लाइन पर भी गिरती है तो भी अंक हासिल होता है।
लेकिन, जब कोई शॉट कोर्ट की सीमा रेखा के बाहर जाता है तो जिसकी कोर्ट की तरफ शटलकॉक गिरता है उसे अंक मिलता है। इसके अलावा अगर बर्डी नेट से टकरा कर विरोधी खिलाड़ी के खेमे में जाती है या उसके नीचे से गुजरती है, या यदि कोई खिलाड़ी अपने रैकेट से दो बार शटलकॉक को मारता है तो उसके विरोधी खिलाड़ी को अंक दिया जाता है।
खिलाड़ियों को शॉट खेलने से पहले शटलकॉक के नेट पार करने का इंतजार करना चाहिए, क्योंकि अगर अपने शरीर या रैकेट से नेट को छू लेते हैं तो आपके विरोधी खिलाड़ी या जोड़ी (युगल स्पर्धा में) को एक अंक मिल जाता है।
बैडमिंटन में सर्विस का तरीका
रैकेट के खेल में खिलाड़ी अपनी कमर की ऊंचाई से सर्विस करता है। शटलर को यह भी ध्यान रखना होता है कि शटलकॉक अपने बॉक्स से सामने वाले खिलाड़ी के बॉक्स में तिरछी जाए। सर्विस के दौरान दोनों ही खिलाड़ी स्थिर रहते हैं।
बैडमिंटन की एकल स्पर्धा के नियम के मुताबिक सर्व करने वालाखिलाड़ी कोर्ट के दाईं ओर से सर्विस करता है। सर्विस करने वाले खिलाड़ी के पास अगर इवेन प्वाइंट (सम संख्या में अंक) है तो वह हमेशा दाईं ओर से ही सर्व करेगा। इसके विपरीत अगर गेम के दौरान सर्विस करने वाले खिलाड़ी के पास ऑड प्वाइंट (विषम संख्या में अंक) हैं तो वो बाईं तरफ से सर्विस करेगा।
जब तक सर्विस करने वाला खिलाड़ी अंक जीतने में कामयाब रहेगा तब तक वह अपनी सर्विस जारी रखेगा।
बैडमिंटन की युगल स्पर्धा में सर्विस करने वाला खिलाड़ी दाईं ओर से अपनी सर्व शुरू करता है और जब तक वह प्वाइंट हासिल करना जारी रखता है तब तक वह अपनी टीम के साथी के साथ बारी-बारी से सर्व करता रहता है।
यदि विपक्षी टीम अंक लेने में कामयाब होती है तो फिर सर्विस करने का मौका उन्हें मिल जाता है। मैच में जो खिलाड़ी शुरू में दोनों टीम के लिए सर्व नहीं करता है, उस खिलाड़ी को केवल तभी सर्व करने का मौका मिलता है जब वह नॉन-सर्विस साइड के रूप में जीत हासिल करते हैं।
बैडमिंटन कोर्ट की लंबाई और चौड़ाई क्या होती है
एकल स्पर्धा में बैडमिंटन कोर्ट 13.41 मीटर (44 फीट) लंबा और 5.18 मीटर (17 फीट) चौड़ा होता है। युगल स्पर्धा में कोर्ट की चौड़ाई 6.1 मीटर (20 फीट) होती है, जबकि लंबाई समान ही रहती है।
नेट की बात करें तो दोनों ही छोर से इसकी ऊंचाई 1.55 मीटर (5 फीट 1 इंच) होती है, जबकि बीच में नेट की ऊंचाई 1.52 मीटर होती है।
खिलाड़ी जब सर्विस करता है तो उसका सर्व शॉर्ट सर्विस लाइन से जरूर पास करना चाहिए जिसकी दूरी नेट से 1.98 मीटर (6.5 फीट) होती है।
शॉर्ट सर्विस लाइन के अलावा एक बीच की लाइन भी होती है जो बाएं और दाएं सर्विस कोर्ट को विभाजित करती है। इसके अलावा एक बेसलाइन होती है, जो युगल सर्विस लाइन से 0.76 मीटर (2.5 फीट) की दूरी पर होती है।
प्रत्येक सर्विस कोर्ट (कुल चार) 3.96 मीटर (13 फीट) लंबा और 2.59 मीटर (8.5 फीट) चौड़ा होता है।
बैडमिंटन बर्डी (शटलकॉक या शटल)
रैकेट के खेल में बर्डी को बैडमिंटन शटलकॉक भी कहा जाता है। यह एक 'बॉल' की तरह होती है।
शटलकॉक एक कोन (शंकु आकार) के आकार की होती है। इसे पंख या फिर सिंथेटिक सामग्री से बनाया जाता है। इसके बॉटम में एक गोल आकार का कॉर्क या रबर से बना हुआ बेस होता है।
बर्डी 16 पंखों से बनी होती है। यह 62 से 70 मिली मीटर लंबी होती है। इसका वजन 4.74 और 5.5 ग्राम के बीच में होता है। शटल का जो पंख वाला बाहरी हिस्सा होता है, उसका डायमीटर 58 से 62 मिली मीटर का होता है और नीचे लगे कॉर्क या रबर बेस का डायमीटर 25 से 28 मिली मीटर होता है।