अरम महमूद से मिलिए: टोक्यो ओलंपिक के लिए लक्ष्य रखने वाला एक उभरता हुआ रिफ्यूजी बैडमिंटन स्टार

महमूद 2015 में सीरिया छोड़कर नीदरलैंड पहुंच गए थे, अब वह 2021 में गर्मियों में होने वाले टोक्यो 2020 ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

5 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Aram Mahmoud Badminton IOC Refugee Scholarship Picture Credit Aram Mahmoud Facebook

अरम महमूद सीरिया में जन्मे एक बैडमिंटन खिलाड़ी हैं, जो आईओसी रिफ्यूजी एथलीट स्कॉलरशिप के समर्थन से नीदरलैंड में प्रशिक्षण लेते हैं।

युद्ध से बचने और सीरिया में अवसरों की कमी के चलते यह प्रतिभाशाली शटलर अपने खेल को फिर से बेहतर करते हुए सभी मुश्किलों के विपरीत ओलंपिक खेलों में बेहतर प्रदर्शन करने पर नज़र बनाए हुए है।

अपनी स्थिति और कानूनी बंदिशों के कारण महमूद 2015 से 2018 तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ रहे थे, लेकिन तब से लेकर अब तक उनकी रैंकिंग में आए सुधार को देखकर साफ पता चलता है कि उनके अंदर इस खेल में अपनी छाप छोड़ने की कितनी तीव्र इच्छा है।

सितंबर 2018 में वह वर्ल्ड रैंकिंग में 937वें स्थान पर थे, और अब वह 185वें स्थान पर काबिज हैं। उनसे टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के लिए दूसरी आईओसी रिफ्यूजी ओलंपिक टीम बनाने की बहुत अधिक उम्मीदें हैं।

महमूद जोहान क्रूफ अकादमी में अध्ययन करने के साथ ही प्रशिक्षण भी ले रहे हैं, और जब उन्हें यह खबर मिली कि उन्हें जून 2019 में रिफ्यूजी एथलीट सपोर्ट प्रोग्राम के हिस्से के रूप में IOC स्कॉलरशिप से सम्मानित किया गया, तो वे बहुत खुश हुए:

उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, "सभी लोगों की महत्वाकांक्षाएं और सपने होते हैं। एक एथलीट के तौर पर मेरा सपना एक दिन ओलंपिक में हिस्सा लेने का है। इस स्कॉलरशिप की वजह से मैं अभी भी इस सपने को पूरा कर सकता हूं।”

लेकिन जहां पर वह अभी हैं वहां से आगे का रास्ता आसान नहीं होने वाला है, सभी बाधाओं को तोड़कर आगे बढ़ना, अपने संदेहों को हराना और असफलताओं से परे अपने रोज के सफर को जारी रखना एक मुश्किल काम है।

महमूद सीरिया की राजधानी दमिश्क में पले-बढ़े एक युवा खिलाड़ी के तौर पर उभरते हुए सितारे थे, लेकिन उन्हें अपने खेल के सपनों को पूरा करने के लिए अपना देश और अपने परिवार को छोड़ना पड़ा।

उन्होंने 2019 में BWF और आधिकारिक टोक्यो 2020 वेबसाइट को बताया, “2014 से 2018 के बीच का समय कभी-कभी उनके लिए बहुत निराशाजनक रहा था।”

"मैंने लगातार दूसरी बार (2014 में) सीरियाई पुरुष चैंपियनशिप और अरब यूथ चैंपियनशिप जीती। इसके बाद मैं सीरियन बैडमिंटन फेडरेशन से पूरा समर्थन मिलने की प्रतीक्षा कर रहा था, खासतौर पर उस वक्त जब जूनियर स्तर पर मेरी अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग 85 थी।”

"जब मैं अपने देश में बने हुए संकट के अंत की प्रतीक्षा कर रहा था, तो उस वक्त मुझे इसके ठीक विपरीत होता हुआ नज़र आया। यह संकट बढ़ गया था। हर तरफ अराजकता फैली हुई थी।”

2015 में उन्होंने सीरिया छोड़ने का फैसला किया और नीदरलैंड पहुंचे, लेकिन यह सब भी आसान नहीं था। क्योंकि उन्होंने सीरिया के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की थी, इसलिए शटलर को अंतरराष्ट्रीय सर्किट में फिर से शामिल होने से पहले तीन साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा।

उस तीन साल के कार्यकाल के दौरान वह केवल स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर ही खेल सकते थे। एक शहर से दूसरे शहर में जाकर खेलने की कोशिश करने, कहीं भी खेलने के लिए जगह खोजने, किसी प्रशिक्षण टीम की मदद की तलाश में या दयालुता और नई-दोस्ती पर भरोसा करते हुए उन्होंने अपने बैडमिंटन करियर को आगे बढ़ाने के लिए रास्ता निकालने की कोशिश की। अंत में उन्हें एक स्थानीय क्लब बीवी अल्मेरे से सहायता मिली।

मुश्किलों के दौर से गुजरने और अपने परिवार से दूर होते हुए भी बैडमिंटन उनके लिए हमेशा से खास रहा है।

उन्होंने बीडब्ल्यूएफ/टोक्यो 2020 से कहा, “नीदरलैंड प्रवास के बाद से बैडमिंटन ही मेरे देश और मेरे परिवार के साथ जुड़ाव का एकमात्र जरिया रहा था।”

“बैडमिंटन ने मुझे नीदरलैंड में अपने अकेलेपन से छुटकारा पाने में काफी मदद की। यह चुनौती बहुत बड़ी थी, लेकिन मैंने बैडमिंटन को एक दोस्त बनाने के लिए किसी उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया है। शुरुआती महीनों में मैं कई बार एक गाँव से दूसरे गाँव गया। ये सब चीजें तब बदलीं, जब लोगों ने मुझे एक ऐसा क्लब ढूंढ़ने में मेरी मदद की जहां मैं अपने बैडमिंटन के खेल को जारी रख सकूं।”

"मैं अपने परिवार और बहुत सारे दोस्तों के इतने प्यार और समर्थन से धन्य हूं। उन्होंने मुझे डच सीखने और डच लोगों को जानने का मौका दिया, इसके साथ ही सामाजिक जीवन और खेल में कड़ी मेहनत करने और सुधार करने में मेरी मदद की।”

जब वह फिर से डच रंग की जर्सी पहनकर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेलने के लिए उतरे तो उनके इस सफर और मेहनत के परिणाम भी नज़र आने लगे।

2019 में एस्टोनिया, स्वीडन और ऑस्ट्रिया में हुए टूर्नामेंट के क्वालीफाइंग राउंड ने उन्हें अपने कौशल को बेहतर करने में मदद की। इसके बाद उन्होंने पुर्तगाली इंटरनेशनल के क्वार्टर-फाइनल में भी जगह बनाई।

उनका हौसला उस वक्त और भी बढ़ गया जब उन्होंने लिथुआनियाई अंतर्राष्ट्रीय के सेमी-फाइनल में जगह बनाने के बाद लिथुआनियाई अंतरराष्ट्रीय खिताब भी जीता।

लेकिन जब वह धीरे-धीरे अपनी बेहतरीन फॉर्म को पाने के लिए आगे बढ़ रहे थे, तभी कोरोना वायरस का संकट आ गया।

फिर नीदरलैंड में लगे प्रतिबंधों ने उनकी प्रशिक्षण की क्षमता को कम कर दिया और अब वह बेल्जियम और जर्मनी में प्रशिक्षण लेने, खेलने और खुद को बेहतर फॉर्म में पहुंचाने पर नजर बनाए हुए हैं।

महमूद ने फरवरी 2020 में बीडब्ल्यूएफ/टोक्यो 2020  को बताया, “दैनिक प्रशिक्षण मिलना मुश्किल है, इसलिए मैं नीदरलैंड के बाहर इसकी तलाश कर रहा हूं।"

"उदाहरण के लिए अगर मैं जर्मनी और बेल्जियम में प्रशिक्षण लेता हूं तो मेरे लिए अच्छा प्रशिक्षण ढूंढना थोड़ा भ्रमित करने वाला रहेगा। लेकिन मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे बहुत सारे दोस्त हैं और वे मुझे आमंत्रित कर रहे हैं। मेरे एक मित्र ने कहा है कि मैं जर्मनी में एक सप्ताह के लिए प्रशिक्षण ले सकता हूं और यह काफी अच्छी बात थी।”

उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि मैं कोर्ट पर अपना सबसे बेहतर दे सकूंगा और इसके साथ ही शीर्ष खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होने के लिए अपने कौशल और फिटनेस के स्तर को भी बेहतर कर सकूंगा।”

टोक्यो ओलंपिक में अब कुछ ही दिन शेष बचे होने के साथ महमूद अपने पहले ओलंपिक खेलों में खेलने के सपने को हकीकत में बदलने के लिए पूरी ताकत के साथ तैयारी कर रहे हैं।

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