पीआर श्रीजेश, पिछले एक दशक से भारतीय मेंस हॉकी टीम के मजबूत स्तंभ बने हुए हैं। तीन बार के इस ओलंपियन ने कई बार मैदान पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
साल 2006 में श्रीलंका में हुए दक्षिण एशियन गेम्स में डेब्यू करने के बाद से पीआर श्रीजेश भारतीय टीम के नियमित सदस्य हैं। इस दौरान टीम में काफी बदलाव देखने को मिले लेकिन श्रीजेश पर टीम मैनेजमेंट का भरोस कायम रहा।
वर्ल्ड हॉकी में पीआर श्रीजेश को उनकी सहज प्रवृत्ति के लिए जाना जाता है। यह उनकी ऐसी काबिलियत है जो उन्हें पेनल्टी शूट-आउट जैसी स्थितियों में और अधिक प्रभावी बनाता है।
केरल के एर्नाकुलम जिले के किझक्कम्बलम गांव में किसान परिवार में जन्मे पीआर श्रीजेश शुरुआत में हॉकी में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचते थे।
लेकिन जब पीआर श्रीजेश युवा थे तो उन्हें एथलेटिक्स ने काफी आकर्षित किया। तिरुवनंतपुरम में जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल में, उन्होंने स्प्रिंट, लंबी कूद और वॉलीबॉल में भाग लिया लेकिन अंत में उनके कोचों ने उन्हें हॉकी खेलने के लिए मना लिया।
पीआर श्रीजेश की क्षमता को उनके शुरुआती कोच, जयकुमार और रमेश कोलप्पा ने बहुत जल्दी ही पहचान लिया था और उन्होंने इस खिलाड़ी को निखारने का फैसला किया।
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