ऑल इंग्लैंड ओपन चैंपियन, कॉमनवेल्थ गेम्स के गोल्ड मेडल विजेता और कई बार नेशनल चैंपियन बनें प्रकाश पादुकोण बेशक भारत के पहले बैडमिंटन स्टार रहे हैं।
कोर्ट को बेहतरीन तरीके से कवर करना प्रकाश पादुकोण की ताकत मानी जाती थी। यह शटलर 1970 से 1980 के दौर का भारत की ओर से सिंगल्स खिलाड़ियों में सबसे बेहतर था।
10 जून 1955 को कर्नाटक के बेंगलुरु में जन्में प्रकाश पादुकोण उस समय में बड़े हो रहे थे जब भारत को बैडमिंटन खेल के बारे में ज़्यादा न तो जानकारी थी और न ही रूचि थी। हालांकि वॉलीबॉल की तरह ही दक्षिण भारत का रुझान भी इस खेल के लिए देखा जा सकता था।
‘शटल बैडमिंटन’ (खेल का पहले का नाम) से रूबरू उन्हें उनके पिता रमेश ने कराया था और उस दौरान वह अपने दोस्तों के साथ खेला करते थे लेकिन जैसे जैसे उम्र और रुझान बढ़ते गए वैसे-वैसे फर्स्ट स्टेट एसोसिएशन के मुख्य सदस्य बनते चले गए।
युवा प्रकाश का जुड़ाव खेल से बढ़ने लगा और उन्होंने जूनियर स्टेट लेवल टूर्नामेंट में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था और 17 साल की उम्र यानी 1972 तक वह भारतीय प्रशंसकों की नज़रों में आने लग गए।
जूनियर ख़िताब को जीतने की उम्मीद उनसे तो की जाती ही थी और उन्होंने उस खिताब को हासिल भी किया लेकिन उसी साल उन्होंने नेशनल सीनियर चैंपियनशिप को भी अपने नाम किया। इतना ही नहीं सफलता की राह पर प्रकाश ने नेशनल जूनियर डबल्स के फाइनल तक का सफ़र तय किया लेकिन उसे वह जीत न सके और रनर अप के तौर पर उन्होंने सफलता हासिल की।
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