भारत में महिला बैडमिंटन को जब भी याद किया जाता है, तो ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) के साथ अक्सर ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल (Saina Nehwal) और पीवी सिंधु (PV Sindhu) का नाम एक ही सांस में लिया जाता है।
2000 के दशक की शुरुआत तक, विश्व स्तर पर भारतीय बैडमिंटन को प्रकाश पादुकोण (Prakash Padukone) और पुलेला गोपीचंद (Pullela Gopichand) जैसे पुरुष खिलाड़ियों ने आगे बढ़ाया था।
हालांकि, साइना नेहवाल की शुरूआत के साथ ये कहानी बदल गई, जिन्होंने महिला बैडमिंटन को एक अलग मुकाम दिया। वहीं, इसके बाद पीवी सिंधु ने भी दस्तक दी।
जैसे ही साइना नेहवाल और पीवी सिंधु ने एकल सर्किट में इस खेल को आगे बढ़ाया, तो वहीं ज्वाला गुट्टा युगल क्षेत्र में भारत की पोस्टर-गर्ल के रूप में उभरी।
आपको बताते चलें कि ज्वाला गुट्टा के पिता एक तेलुगु है और मां चीनी हैं। जहां ज्वाला का शुरुआती झुकाव टेनिस की ओर था, लेकिन उन्होंने अपनी मां येलन (Yelan) के कहने पर बैडमिंटन की दुनिया की ओर रुख किया।
ज्वाला गुट्टा ने द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच सैयद मोहम्मद आरिफ ( Dronacharya Award-winning coach Syed Mohammed Arif) के नेतृत्व में अपने बैडमिंटन शैली को निखारने की पहली कोशिश की, बता दें कि उनकी उम्र उस समय केवल छह साल थी। उसके बाद वो बैडमिंटन की दुनिया में आगे कदम बढ़ाती गई और एक अलग मुकाम हासिल किया।
मैंने कभी भी लोगों की नकारात्मक बातों से प्रभावित होने में अपना समय बर्बाद नहीं किया है, बल्कि अपनी सारी ऊर्जा और ध्यान अपने खेल को बेहतर बनाने में लगाया है।
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