जेम्स दक्षिण सूडान के बेंटिउ के रहने वाले हैं। उनके पिता एक सैनिक थे जिनकी 1999 में युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई थी। जब वह एक छोटे बच्चे थे, जेम्स मवेशियों की देखभाल किया करते थे। वह दक्षिण सूडान से इसलिए भाग गए क्योंकि वहां युद्ध छिड़ गया था, जेम्स को डर था कि कहीं सेना उन्हें युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर ना करें। वह 2002 में केन्या पहुंचे और काकुमा शरणार्थी शिविर में शामिल हो गए जहां उन्हें UNHCR का समर्थन मिला था। वो स्कूल गए और वहीं दौड़ने लगे। UNHCR ने उन्हें 2013 में टेगला लोरूप पीस फाउंडेशन में शामिल होने के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए राजी किया और वो तब से वहां ट्रेनिंग कर रहे हैं।
इसके अलावा उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जेम्स रिफ्यूजी ओलंपिक टीम के हिस्से के रूप में ओलंपिक खेलों रियो 2016 और टोक्यो 2020 ओलंपिक में 400 मीटर में भी भाग ले चुके हैं।
टोक्यो 2020 के बाद, जेम्स और उनके दो साथी एथलीट शेरिडन विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए कनाडा चले गए। वह अब एक फुल-टाइम छात्र-एथलीट हैं और पेरिस 2024 के लिए भी तैयारी कर रहे हैं।
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